
अरहर (तुअर/तुर) में दिखाई दे रही रोएंदार इल्लीको कैसे रोखे?
Share

बिहारी रोएदार इल्ली ( Bihar Hairy Caterpillar) एक महत्वपूर्ण बहुभक्षी किट है. इसको अरहर, सोयबीन, तिलहन, ज्यूट, हल्दी और दलहन फसलों में पाया जाता है. इनके अलावा यह अनेक जंगली पौधों पर भी बसेरा करती है. सोयबीन में यह किट ७७ प्रतिशत नुकसान करने की क्षमता रखती है. मार्च महीने में शंखी से बाहर आकर नर मादा मिलन करते है.
मादा पत्तों के निचले हिस्से में १०० से अधिक अंडे देती हिया. अंडे से निकली इल्लिया शुरुआत में पत्ते के निचले हिस्से में खुरेदती है. बड़े होने पर पत्ते को जालीदार बनाती है. संख्या विस्पोट हुआ तो फसल के सारे पत्ते निपट जाते है. जुलाई और अगस्त में इसका प्रकोप चरम पर होता है. इसके बाद ठंड के साथ यह शंखी बनाकर मिटटी में छिप जाती है.
क्विनोलफ़ॉस २५ प्रतिशत और सायपरमेथ्रिन १० प्रतिशत इन दवाओं के बेताहाशा इस्तेमाल से इन कीटो पर छिडकाव का असर होना बंद हो चूका है. इसलिए किसानोंने
क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.5% एससी, नोवाल्युरोन एवं स्पिनटोरम 11.7 % एससी जैसे आधुनिक किटनाशकों का इस्तेमाल करना चाहिए. ठण्ड का प्रकोप हो तो छिडकाव ना करे.
अगर फसल में इल्ली पत्ते या टहनी को लटकी हुई दिखाई दे तो इसमें न्यूक्लियर पौलीहायड्रोसीस व्हायरस का प्रकोप है यह समझा जा सकता है. इसको निकालर एक डिब्बी में डाले और इसके साथ जितनी जिन्दा इल्लिया जमा कर सके कर ले. साथ में फसल की कुच्छ पत्तिया भी दाल दे. ऐसा करने से मरी हुई इल्ली से निकला व्हायरस अन्य इल्लियों में संख्या बढ़ाएगा. दुसरे दिन सारे इल्ली यो को रगडगर पानी में मिलाकर इसका छिडकाव करे. ऐसा करने से इल्लियों में व्हायरस का प्रकोप बढकर इल्लियों की संख्या घट जाएगी. यह जैविक नियंत्रण का एक प्रयोग है.
किसानों के लिए उपयुक्त कितबे
आशा करते है के आपको यह जनिकारी पसंद आयी हो. कोई शिकायत या सलाह हो तो कमेन्ट करे. लेख अवश्य शेअर करे.