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खेत की जंग: परस्पर विरोधी सलाहों में उलझा किसान

खेत की जंग: परस्पर विरोधी सलाहों में उलझा किसान

आज किसान के लिए खेती करना एक जंग बन गया है। हर तरफ से परस्पर विरोधी सलाहों की बौछार होती है, जिससे किसान भ्रमित होकर रह जाता है। एक ओर शहरवासी कहते हैं कि इतना महंगा अनाज खरीदते हैं, लेकिन किसान जहर डालकर फसल उगाते हैं, जिससे कैंसर हो जाता है। दूसरी ओर कृषि विशेषज्ञ उन्नत खेती के लिए उर्वरक और कीटनाशकों के इस्तेमाल पर जोर देते हैं। ऊपर से पर्यावरणविद कह उठते हैं कि प्रकृति का संरक्षण करो, जैविक खेती करो। किसान मेहनत तो बहुत करता है, हर सलाह पर अमल करने की कोशिश करता है, लेकिन अंत में उलझन में ही रह जाता है। आइए, इन परस्पर विरोधी सलाहों को समझने की कोशिश करें:

शहरवासियों की चिंता: यह सच है कि कुछ किसान फसलों को जल्दी बढ़ाने के लिए जरूरत से ज्यादा रसायन इस्तेमाल कर देते हैं। इससे अनाज में रासायनिक अवशेष रह जाते हैं, जो सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं। लेकिन, सभी किसान ऐसा नहीं करते। बहुत से किसान कम रसायन या जैविक खेती अपनाकर स्वस्थ भोजन उगा रहे हैं।

कृषि विशेषज्ञों की सलाह: उर्वरक और कीटनाशक सही मात्रा में इस्तेमाल किए जाएं तो फसल पैदावार बढ़ाने में मदद करते हैं। इससे किसानों की आमदनी बढ़ती है और अनाज की कमी दूर होती है। लेकिन, जरूरत से ज्यादा रसायन मिट्टी को बंजर बना देते हैं और पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाते हैं।

पर्यावरणविदों की अपील: जैविक खेती प्रकृति के अनुकूल है। इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और पर्यावरण भी स्वस्थ रहता है। लेकिन, जैविक खेती में पैदावार कम हो सकती है और कीटों से फसल को बचाना भी चुनौतीपूर्ण होता है।

तो किस रास्ते पर चले किसान?

सच्चाई यह है कि कोई भी एक रास्ता सही नहीं है। किसान को अपनी परिस्थिति के अनुसार फैसला लेना चाहिए। मिट्टी की जांच कराकर उर्वरक का सही मात्रा में इस्तेमाल करें। एकीकृत कीट प्रबंधन अपनाएं, ताकि रसायनों का कम से कम इस्तेमाल हो। स्वदेशी खाद और जैविक कीटनाशकों का प्रयोग करें। फसल चक्र अपनाएं और मिश्रित खेती करें। सरकार की जैविक खेती योजनाओं का लाभ उठाएं। कृषि विभाग और अनुभवी किसानों से सलाह लें। याद रखें, संतुलन बनाकर ही खेती को लाभप्रद और टिकाऊ बनाया जा सकता है।

इसके अलावा, उपभोक्ताओं को भी जागरूक होना चाहिए। स्थानीय किसानों से सीधे ताजा उपज खरीदें। जैविक खेती के उत्पादों को प्राथमिकता दें। रासायनिक अवशेषों के बारे में अधिक जानकारी हासिल करें। किसानों का हौसला बढ़ाएं और खेती को सम्मान दें। तभी खेत की जंग जीती जा सकती है।

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