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आखिर ये दवाए असर क्यों नहीं दिखाती?

आखिर ये दवाए असर क्यों नहीं दिखाती?

क्या आपने कभी इस बात का अनुभव किया है? खाद, उर्वरक, कीटनाशक, शाखनाशक, प्लांट टॉनिक का इस्तेमाल करने के बाद भी उसका कोई फायदा नजर नहीं आता! अगर हा, तो यह लेख आपके लिए है. एग्रो इनपुट की मार्केट में इतनी सारी गड़बड़िया है, जो आप को इस लेख के माध्यम से बताने की कोशिश कर रहे है. इस जानकारी के साथ आप बेबजह खर्चे से बचेंगे और आपको रिजल्ट भी अच्छे ही मिलेंगे.

बदमाशियां

एक हाल की रिपोर्ट में बताया गया है कि २०२१-२२ में, कृषिकेन्द्रो और ऑनलाइन दुकानों से लगभग ३% ऐसे उत्पादन पाए गए जो “मिसब्रांडेड कैटेगरी” में आते है. मिसब्रांडेड केटेगिरी में लेबल पर लिखा कुछ और होता है और अंदर की दवा कुछ और होती है. उदाहरण के लिए, लेबल पर नीम तेल लिखा हो और बोतल में मेलेथिऑन भरा हो! हर दवा के ऊपर एक्सपायरी तिथि लिखी होती है, इस डेट के बाद उत्पादन बेचा या इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्यों की असर कम हो जाएगा. कई बार इसपर “एक्सपायरी तिथि का ठप्पा” बदल दिया जाता है या “लेबल ही बदल दिया” जाता है. “काउंटरफिट कैटेगिरी” में किसी नामी कंपनी के लेबल लगाकर नकली उत्पादन बेचा जाता है. “रेप्लिका कैटेगिरी” में नामी उत्पादन जैसे दिखाई देनेवाला प्रोडक्ट बनाया जाता है. दूर दराज के गाओ में तो “खाली दवा के बोतल में पानी, केरोसिन या तेल मिलाकर बेचा जाता है. वाटर सोल्युबल, झींक सल्फेट जैसे खादों में नमक मिलाना आम है. कंपोस्ट में मिटटी, कोकोपिट में पानी मिलाना आम है. ऐसे में रिजल्ट ना मिलना स्वाभाविक है.

असंतुलन

यह तो बात हुई बदमाशी की, लेकिन उर्वरक और दवाओं का असर दिखाई देने के लिए और भी कुछ बाते समझना जरूरी है. मिट्टी की उर्वरता, उर्वरक देने से नहीं बढ़ती बल्कि उसमे विविध घटकों के परस्पर प्रमाण अनुसार होती है. बिना कार्बनिक पदार्थो से मिटटी बेजान होती है. ऐसे बेजान मिटटी में कितने भी अकार्बनिक उर्वरक डाले वह जड़ों से फसल में नहीं जाते. वे या तो पानी के साथ बह जाते है, मिटटी में स्थिर हो जाते है या उड़कर हवा में चले जाते है. अगर सिर्फ कार्बनिक पदार्थ मिलाए जाए तो उनमे अकार्बनिक पदार्थो की कमी हो जाती है. तो किसानों को आपने मिटटी को समझना बेहद जरूरी है. मिटटी की जांच किए बिना मिटटी को समझना सम्भव नहीं.

गलतिया

छिड़काव द्वारा दिए जाने वाले दवाओं के बारे में भी कुछ बाते ध्यान में रखना बहोत ही जरूरी है. छिड़काव के लिए इस्तेमाल होनेवाला पानी साफ़ और हल्का होना जरूरी है. साफ़ पानी को हल्का बनाने के लिए उसमे थोड़ा निम्बू सत्व याने साइट्रिक एसिड मिलाने से फायदा होगा. इसमें थोड़ा साबुन या शैम्पू मिलाने से भी फायदा होगा। लेकिन समस्या बढ़ जाएगी अगर एकसाथ अनेक दवाई एकसाथ मिलाई जाए. एक ही घोल में किटनाशक, फफूंद नाशक, जीवामृत, सीवीड, माइक्रोन्यूट्रिएंट ना मिलाए। एक का भी असर नहीं आएगा क्योंकी पत्तियों के सूक्ष्म छिद्र बंद हो जाएगे।


किसान भाइयों इस लेख को अधूरा छोड़ रहा हु ताकि आप कमेंट में कुछ लिखे और फिर हम इस लेख को आगे बढ़ाए. अगर आप कुछ नहीं लिखेंगे तो लेख पूरा नहीं होगा। आपके प्रतिक्रियाओ का इंतजार रहेगा.

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