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चने मे बीज संस्करण का फायदा क्यों नहीं मिलता?

चने मे बीज संस्करण का फायदा क्यों नहीं मिलता?

रीसेट एग्री किसान भाइयों का स्वागत करता है। चना एक उपयुक्त और फायदेमंद दलहनी फसल है। छोटे-बड़े सारे किसान भाई अपने कुछ हिस्से मे चने की बुवाई अवश्य करते है। दलहनी फसल होने से इसके बीज मे भरपूर पोषण होता है जो पौधे को पनपने तक मदत करता है। 

दुर्भाग्यवश इसी पोषण के बजहसे ढेर सारी फफूँदे अंकुरित होने वाले बीजोंके और आकर्षित होकर पौधे पर हमला बोल देती है।

अगर इन फफूँदो को रोका गया तो पौधे तेज गति से बढ़ेंगे और उनकी सेहत बनी रहेगी। करीबन हर किसान भाई चने के बीजों को फफूंदनाशीयों से संस्कारित करता है। लेकिन इस प्रक्रिया का फायदा दिखाई नहीं देता। इसके कारण कुछ ऐसे है। 

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पुराने और जानेमाने सक्रिय तत्व का उपयोग: किसान भाई अक्सर कार्बेंडाझिम, मॅकोझिब, कॅप्टन जैसे पुराने सक्रिय तत्वों का इस्तेमाल करते है। क्योंकि यह तत्व सालों से इस्तेमाल हो रहे है, अधिकतर फफूँदो ने इनके प्रति प्रतिकार प्राप्त कर लिया है। इसी कारण इनका फायदा नहीं होता।  

पुराने और एक्सपायर्ड दवा का इस्तेमाल: पुरानी दवाए अक्सर वक्त के साथ खराब हो जाती है. इनके सक्रिय तत्व टूट कर निष्क्रिय हो जाते है। इसी कारण इनका फायदा नहीं होता।  

बनावटी/मिलावटी/नकली दवाओंका इस्तेमाल: भारत मे भ्रष्ट मानसिकता बढ़ी हुई है। जाने माने कंपनियों की पेकिंग की नकल कर बनावटी उत्पादन बेचे जाते है। कई उत्पादनों मे पानी/साल्वन्ट को मिलकर फिरसे पैक किया जाता है। नकली दवाए धड़ल्ले से ऑर्गेनिक के लेबल के साथ बेची जा रही है। क्योंकी किसान दवाइयों को उधारी से खरीदते है, ना बिल लेते है ना दवा का हिस्सा ऑरीजीनल पेकिंग मे बचाकर रखते है। शिकायत करना तो दुरकी बात है।   

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एक्सपर्ट द्वारा दीयी गई गलत सलाह: भारत एक बेरोजगारों का देश है। यहा युवा वर्ग घटिया कंपनियों मे नौकरी करते हुए खुदकों एक्सपर्ट बताते है। अपने छोटे फायदे के लिए वो किसान भाइयों को बेकार के उत्पादन बेचने के लिए मजबूर है। किसान भाइयों को इनसे बचके रहेन होगा। 

वनस्‍पति संरक्षण, संगरोध एवं संग्रह निदेशालय से प्राप्त जानकारी अनुसार चने और इसके समान फसलों मे बीज प्रक्रिया हेतु निम्न दवाओ को परखकर उपयोगी पाया गया है। 

ऑरीअस एफएस
एक प्रवाही घोल है जिसमे टेब्यूकोनाझोंल ५.४ प्रतिशत के औसत से इस्तेमाल किया गया है। बीज संस्करण हेतु यह एक आधुनिक उत्पादन है। यह एक प्रणालीगत तत्व है जो फफूँद के रेशों को बढ़ने से रोखता है। 

इसका उपयोग गेहू (३० मिली प्रति १०० किलो बीज), मूंगफली ( ४० मिली प्रति १०० किलो बीज ) एवं चने मे (४० मिली प्रति १०० किलो) किया जा सकता है।

 

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शोरेश एफ एस 

यह एक प्रवाही घोल है जिसमे टेब्यूकोनेझोंल के साथ प्रोक्लोराज इस सक्रिय तत्व का इस्तेमाल किया गया है। चने मे ३० मिली प्रति १०० किलो बीज का उपयोग किया जा सकता है। अगर किसी कारणवश शोरेश मिलने मे दिक्कत हो तो आप अदामा का झमीर ७.५ मिली प्रति १०० किलो बीज इस्तेमाल कर सकते है क्योंकि झमीर मे यही सक्रिय तत्व उपलब्ध है। १०० मिली झमीर की बोतल पर एमझोंन पर ऑफर देखि गई थी, ऑफर जाचने हेतु यहा क्लिक करे।  

इनके अलावा टेब्यूकोनेझोंल 15% + झायनेब 57% डब्ल्यू डी जी   4 ग्राम/ प्रति 10 किलो बीज के औसत से इस्तेमाल क्या जा सकता है। 

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