
सरकार कृषि के बारे मे क्या सोचती है?
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रिसेट एग्री के विशेष लेख में आपका स्वागत है. भारतीय किसानों के लिए बेहतर मुनाफा, खुशहाल जिन्दगी, यह हमारा नारा है. इसीलिए लेखो की रचना, कृषि की लागत कम करते हुए मुनाफा बढ़ाने के हिसाब से कियी जाती है. आपको हमारा यह प्रयास पसंद आएगा ऐसी आशा करते है. इस वेबसाइट के मेनू में जाकर आप हमारे अन्य ब्लॉग पढ़ सकते है!
यह लेख सरकार द्वारा प्रस्तुत बजेट २०२३ के अन्तर्गन सरकारी आर्थिक सर्वेक्षण पर आधारित है.
आनेवाले वक्त के लिए, सरकारे किसानों के लिए जो भी योजनाए लाएगी, वो इस बात पर निर्भर करती है के, सरकार आज कृषि के बारे मे क्या सोच रही है? सरकार की यह सोच हर एक सामान्य किसान को समझना बहोत जरूरी है.
सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 अनुसार, हाल के वर्षों मे कृषि क्षेत्र के निर्यात मे बढ़ोतरी हुई है. यह बढ़ोतरी किसान उत्पादक संघटनों को बढ़ावा देना, फसलों मे विविधता लाना, कृषि यांत्रिकीकरण को बढ़ावा देना तथा कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड तैयार करना इन सरकारी हस्तक्षेप का परिणाम है.
- जलवायु परिवर्तन
- खंडित भूमि
- यांत्रिकीकरण मे समस्याए
- कम उपज
- मजदूरों की कमी और
- बढ़ती लागत
क्योंकि, देश का विकास और रोजगार कृषिक्षेत्रपर निर्भर है, कृषि क्षेत्र की इन चुनौतियों से निपटने हेतु, सरकार कृषि की दिशा को रीसेट करना चाहती है.
सरकार फसल बीमा योजना, किसान क्रेडिट कार्ड और उत्पादकता बढ़ाने वाले यांत्रिकीकरण को बढ़ावा देना चाहती है.
बागवानी और प्रक्रिया उद्योगोंसे किसानोंके आय के श्रोत बढ़े है, जिसके कारण किसान जलवायु परिवर्तन के समस्या से झुजने मे समर्थ हो रहे है.
अन्न प्रकिया उद्योगों को और बढ़ावा देने से उपज की बर्बादी रोकी जा सकती है, भंडारण क्षमता बढ़ाई जा सकती है और किसानों को उपज का बेहतर मूल्य दिलाया जा सकता है. सरकारी ई-नाम सेवा और फार्मर प्रोड्यूसर कंपनियों के माध्यम से इसमे फायदा होगा.
प्रधानमंत्री किसान सम्पदा योजना, सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम योजना और उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना के माध्यम से सरकार अन्न प्रकिया उद्योगों को बढ़ावा दे रहा है।
कोल्ड स्टोरेज और बुनियादी यातायात ढांचा निर्माण करने से अन्न प्रकिया उद्योग को बढ़ावा मिलने के साथ साथ, उपज की बर्बादी कम होने मे , किसानों को बेहतर मूल्य देने मे, रोजगार बढ़ाने मे और निर्यात वृद्धि करने मे मदद हो रही है.