
क्या भारत के पूंजीपती गूगल की तरह छोटे भारतीय किसानों का भला चाहते है?
Share
जब अधिकतर पूंजीपति किसानों को लुटकर कृषि पर अपना वर्चस्व बनाना चाहते है; तब हर किसान को मजबूत करने की गूगल की यह कोशिश, इसे दुनिया के अन्य स्वार्थी पूंजीपतियोंसे अलग करती है.
आनेवाले दिनों में
- बायोटेक्नोलॉजी
- नैनो टेक्नोलोजी
- रोबोटिक्स
- ड्रोन और
- आर्टिफिशियल इंटेलीजन्स
इससे आनेवाले बदलावों से छोटे छोटे किसानों की दिक्कतों को दूर किया जाएगा.
अधिक उपज देनेवाले फसलों के साथ साथ,
- उर्वरक और दवाओंका तकनीकी तरीकेसे उपयोग करना
- मेहनत और लागत को कम करना
- मौसम विज्ञान को भरोसेमंद करना
- उपज को अच्छे दाम दिलाना
यह इन विज्ञान शाखओंका मुख्य लक्ष्य है.
आउटलुक इण्डिया के वेबसाइट से पता चला है के...
गूगल ने वाधवानी इंस्टीट्यूट फॉर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को १० लाख अमेरिकन डॉलर याने करीबन सव्वा आठ करोड़ भारतीय रूपये की मदत कियी है.
भारतीय मूल की यह सामजिक संस्था इस राशि का उपयोग कृषि संबंधित मौसम विज्ञान तकनीक को अधिक भरोसेमंद और उपयोगी करने में करेंगा. इससे मौसम में होने वाले बदलावों की सटिक जानकारी छोटे किसानों को उचित वक्तपर, आसानी से उपलब्ध होगी.
वर्ष २०१९ में भी गूगल ने इस भारतीय संस्था को २० लाख अमेरिकन डॉलर की मदत कियी है. जिसका उपयोग कपास में किट नियंत्रण प्रणाली के विकास में हो रहा है.
भारत में जब छोटे किसान बेहाल हो रहे है, ऐसे समाचार उम्मीद की नई किरण लाती है.
आपको यह खबर कैसे लगी? कमेन्ट में अवश्य लिखे.
जल्द ही फिर मिलेंगे और लाएंगे ऐसी जानकारी, जो छोटे किसानो को बल देती है.
बने रही रिसेट एग्री डॉट इन के साथ!
धन्यवाद