
कृषिजगतमे होंगे कृत्रिम बुद्धिकौशल के जलवे!
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रिसेट एग्री के विशेष लेख में आपका स्वागत है. भारतीय किसानों के लिए बेहतर मुनाफा, खुशहाल जिन्दगी, यह हमारा नारा है. इसीलिए लेखो की रचना, कृषि की लागत कम करते हुए मुनाफा बढ़ाने के हिसाब से कियी जाती है. आपको हमारा यह प्रयास पसंद आएगा ऐसी आशा करते है. इस वेबसाइट के मेनू में जाकर आप हमारे अन्य ब्लॉग पढ़ सकते है!
दुनिया मे लोकसंख्या विस्फोट (population exposion) जारी है.१९७० मे जो लोक संख्या ३७० करोड़ थी वह आज ८०० करोड़ होने जा रही है. आनेवाले कुछ वर्षोंतक बढ़ोतरी जारी रहेगी! इतने सारे लोगों के लिए खाना कहासे आएगा? यह सबसे बड़ा प्रश्न है. एक और जहा खाने की जरूरत बढ़ रही है, बदलते जलवायु और सिचाई के दिक्कतों से उपज मे कमी हो रही है.
ऐसी परिस्थितिका सामना करने हेतु किसानों को फसल निहाय और बदलते परिस्थिति को भापकर उर्वरक, मिट्टी, किटनाशक के साथ साथ सिचाई व्यवस्थापन के चुनावमे माहिर होना पड़ता है. यह काम काफी धैर्य का है. हर बार नए, अनोखे और विध्वंसक किट-रोग उभरकर आते है और करीबन ४० प्रतिशत फसलों को चट कर जाते है. किसानों को न्यूनतम ऊर्जा और पानी मे अधिक उपज लेनी ही है. शहरीकरण के चलते लोग गावों को छोड़कर शहरों मे बस रहे है. युवाओं का झुकाव किसानी की और नहीं है. ऐसे मे अन्य परेशानियों के साथ साथ अब किसानों को कम से कम सहचारियों के साथ अधिक उपज देने की जिम्मेदारी निभानी है.
किसानों के सामने खड़ी इन चुनौतियों के कारण ही किसान को और भी अधिक सटीक और पूर्तीला होने के और ध्यान देना पड़ रहा है. यही कारण है कृषि जगतमे कृत्रिम बुद्धिकौशल के जलवे की आहत सुनाई दे रही है।
बीते कुछ वर्षों मे दुनिया भर जो भी नए स्टार्ट (start-up) अप शुरू हुए उनमे अनेक कंपनियों ने कृषि के चुनौतियों पर काम करने का पर्याय चुना है. कोई स्वयंचलित (automatic) ट्रेक्टर बनवा रहा है तो कोई हार्वेष्टर. कोई ड्रोन की मदत से फसलों पर निगरानी करना चाहता है तो कोई छिड़काव!
मोबाइलपर ऑपरेट होने वाला यह पंप स्विच एक शुरुआत है!
पोलीहाउसेस के व्यवस्थापन मे भी स्वयंचलित (self oprating tools) उपकरण ही इस्तेमाल हो रहे है. इनमे इस्तेमाल होने वाले कृत्रिम बुद्धिकौशलसे उपज के पोषकता और स्वाद का भी खास खयाल रखा जा सकता है!
मशीन के कॅमेरे उसे फसल और खरपतवार मे फर्क करना सिखाती है और फिर वह इंसानों की मदतबिना ही अच्छे शाखनाशी को चुनकर छिड़कता है. इनका काम यहा खत्म नहीं होता. छिड़काव का असर हो रहा है या नहीं? अगर नहीं तो क्या पर्याय उपलब्ध है? इसका विश्लेषण कर वह खरपतवार प्रबंधनको अंजाम देता है!
कृषिक्षेत्र की चुनौतिया फसलके बढ़वार और उपज के कटाई तक सीमित नहीं है. जागतिक उपज का १७ प्रतिशत हिस्सा और इसे बनाने मे उपयोग मे लाई गई ३८ प्रतिशत ऊर्जा बेकार जाता है. मिट्टी, पानी, पैसा, वक्त; सभी संसाधन बेकार हो जाते है. बात यहा खत्म नहीं होती. बेकार जाने वाले घटकों को ठिकाने लगाने के लिए कूड़े के पहाड़ खड़े होते है, जो जहरीले गैस (green house gases) पैदा करते हुए पर्यावरण पर दुष्प्रभाव करते है. कृत्रिम बुद्धिकौशल इसमे भी अपने जलवे दिखाने के लिए तैयार है!
तो नए कृत्रिम बुद्धिकौशल आधारित उपकरणों (artificial intelligence based tools) का दौर किसानों के लिए ढेर सारे बदलाव ला रहा है. इनके उपयोग हेतु, किसानों को भी इसके कदम से कदम मिलाने होंगे, इसे समझना होगा! चलिए एक जायजा लेते है.
- उमदा व्यवस्थापन हेतु विभिन्न पहलुओ से भरी जानकारी (data) और उपकरणों का उपयोग करना होगा; जैसे व्हिडिओ, इंटरनेट से जुडनेवाले ज्ञानेंद्री (IoT sensors), संगणकीय दृष्टि तंत्र (computer vision technology), प्रतिमा और प्रकाश जैसे जानकारीया जमा करने वाले, अन्य तंत्र.
- इन सभी जानकारियों को समायोजित करना होगा. हर पौधा सेकड़ों जानकारीया बताएंगा. जैसे प्रकाश, पानी, जलवायु और पर्यावरण मे बदलाव से उपज के स्वाद, पोषण, बीमारी और नुकसान मे होने वाले बदलाव. वक्त के साथ इन जानकारियों के आधार पर हमे उपज बढ़ाने, नुकसान घटाने, पोषण बढ़ाने और संसाधनों के बचत मे फायदा मिलेगा.
- इस प्रकार के निरंतर अभ्याससे (around-the-clock monitoring) उपकरण और भी विद्वान बनेगे (machine learnign). इससे आपको उत्पादन, संचलन और वितरण के सुधार मे मदत मिलेगी. उदाहरण के लिए, उड़ने वाले ड्रोन द्वारा भेजे गए प्रतिमाओ से संगणकीय दृष्टि तंत्र को फसल के बढ़वार और जलवायु के संबंधों को बेहतर समझने मे मदत मिलेगी. कृत्रिम बुद्धिकौशल (artificial intelligence) से किसान फसल का निरंतर निरीक्षण करते हुए आंधी तूफान और सूखे से निपटने मे अधिक समर्थ होंगे क्योंकी अब वह, सिचाई तथा फसल आवरण मे उचित और तेज परिवर्तन कर पाएंगे.
- धान की सफाई और छनाई (seiving) करते समय, दो अलग इंसानों के समझ बुझ मे अंतर आता है. लेकिन जब इस प्रक्रिया मे कृत्रिम बुद्धिकौशल का उपयोग होगा तब उपकरण अधिक सटीक विश्लेषण करेगा. छलनी बदलना, हवा का दबाव बढ़ाना अधिक तत्परता और सटीकता से होगा.
आनेवाले दिनों मे कृषि उद्योगो के निर्णय लेने के प्रक्रिया पर कृत्रिम बुद्धिकौशल का जमकर उपयोग होगा. इसमे तत्पर किसानों को दूसरों के मुकाबले बेहतर मुकाम हासिल होगा. इसलिए कृत्रिम बुद्धिकौशल का सबसे अधिक फायदा उसिको होगा, जो इसे तेजी से समझकर, उपयोग मे लाएगा!
संदर्भ: फोर्ब्स