
जायद में योजना!
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इस बात को ध्यान में रखते हुए मैं नहीं चाहता कि आपको सिर्फ बुकिंग और मेंटेनेंस के बारे में बताया जाए। तरबूज की खेती करते समय बस से पहले हमें इसका मार्केटिंग के बारे में डाक टिकट होगा। चाहे तो हम कम क्षेत्र में बुवाई करें लेकिन उचित देय देय होंगे।दुनिया में हर चीज की कीमत डिमांड-सप्लाय के माध्यम से तय होती है। अनुभव से हमलोग जानते हैं के अगर व्यापारिक खेत कम से कम 8 रु का रेट दे तो हमें विस्तार से हो सकता है। अगर बाजार में लागू जादा हो तो कंजुमर 11 रु के दर से खरीद करता है और अगर आवेदन कम हो तो 20 रु से खरीद है। मतलब बिल्कुल स्पष्ट है....ठोस एव वक्री विक्री में कम से कम 7 रु प्रति किलो का अंतर है जिसमें व्यापारी का परिश्रम, मार्केटिंग का खर्चा पीछे छिपा है।
व्यवसायी हमारे पेशेवर दस्तावेज है, ऐसा मैत्रीपूर्ण हु। जब सप्लाय जादा होता है तो व्यपारीको बाजार में प्रतिस्पर्धा का समाना रखता है। ऐसे वक्त अपने आप को बनाए रखने के लिए वो किसानों के रूप में नजर रखने की कोशिश करता है। मतलब सब कुछ इतना सरल भी नहीं होता, यह बात हम सभी को समझ में आएगी।
सबसे पहले उत्पाद का विवरण एव व्रायटी और ध्यान देना होगा। किसी एक दुर्घटना का चुनाव ना करें। कमसे कम दो अलग बिजोंका उपयोग करें। जायद के आलावा, जायद के अन्य फल जैसे खरबूज, खीरा एव करेला की खेती भी साथ में करें। इसमें भी एक से अधिक प्रकार के बिज तब।
खेत आपके हात बटानेवाले मजदूर हो या शहर में रहने वाले आपके रिश्ते या दोस्त, उनकी मदद से आप सीधे मार्केटिंग की योजना बनाते हैं। अगर आप उन्हें उचित विकल्प की गारंटी दे सकते हैं तो हो सकता है के ये लोग आपकी बिक्री में आपका हात बटा दे। सात रु प्रति किलो के भाव के अंतर में उनकी ही कहानियों का निर्धारण हो जाएगा।
अगर आपकी पहचान में किसी के पास छोटा-हाथ वाला वाहन है तो वह बहोत ही उमदा पंजीकरण बन सकता है। रेगुलर सप्लाय देने के लिए आपको बुवाई का टाइम टेबल बनाना होगा। दूसरा रास्ता ये भी हो सकता है कि आप अन्य किसानों को लागू करें।
अगर आप इंटरनेट मार्केटिंग की बात मन में ठानी है तो भी ध्यान दें के आपके शेड्यूल का कुछ उचित हिस्सा दाम मिलने पर सॉलिड भाव में भी विक्री किया ही जा सकता है। ऐसा करने से नियमित बाजारसे आपके संबंध बने रहेंगे। ये बात बहोतही जरूरी है।
बेमोसम बरसात और ओले गिरने की समस्या आपके सामने अचानक ही एक चुनौती उत्पन्न कर सकती है। ऐसी स्थिति में खुले खेत में 30 से 80 प्रतिशत नुकसान हो सकता है। इस अवस्था में नुकसान को कम करने के लिए दो बार इस्तेमाल करें। अपने ही क्षेत्र में आप प्लांट में कुछ संयंत्र हमेशा बनाए रखें। हो सकता है के आपको ऐसे ट्रे की 3-4 फ्लो लगे। लेकिन संकट के समय ये क्रिएटी आपको लाभ ही रहेंगे।
जापानी किसान तरबूज को अलग शेप देते हैं। भले ही आप इसे व्यावसायिक स्तर पर ना करें लेकिन स्क्वीयर और हार्ट शेप में कम से कम 100 प्रति एकड़ प्रति एकड़ जरूर बनाएं। ये अलग-अलग शेप ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए देखने वालों को जगाने में साबित होते हैं। शोषक मार्केटिंग एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, ये ध्यान में रखें।
सोशल मिडिया का उचित उपयोग करना आवश्यक है। आप अपने खेत-रखरखाव और निर्माण के बारे में सटीक जानकारी सामाजिक मिडिया पर जरूर साझा करें। सॉफ्टड्रिंक के उत्पादकों के बाजार में भ्रम फैलाते हैं के तरबूज में इंजेक्शन द्वारा रंग और मिठास भरी जाती है। सोशल मिडिया द्वारा उचित तरीके से आप अपने उत्पाद की गुणवत्ता की बातें अवश्य रखते हैं। सॉफ्टड्रिंक में इस तरह की मिलावट बड़ी आसानी से हो सकती है ये बात आम जनता है।
प्री-सीजन तरबूज की बुकिंग नवंबर-दिसंबर में होती है। सीज़ल तरबूज की जनवरी-फरवरी-मार्च में बुकिंग होती है। बालुई मिट्टी अच्छी होती है, हर तरह की मिट्टी लीक हो सकती है, पानी की निकासी का उचित प्रबंधन करें। मिट्टी की पक्की करते समय (प्रति एकड़) 25 क्विंटल गोबर खाद के साथ 10 किलो सोईल ग्रेड माइक्रोन्यूट्रीअंट मिलाए। इस फलसके लिए "बेड-मल्चिंग -ड्रिप सिस्टिम" (मल्चिंग 35 मायक्रोन, 16 एम्) लगाना उचित होता है। कुछ किसान मिर्च निकालने के बाद उसी बेड-मल्चिंग-ड्रिप सिस्टम में टरबूज के उम्मीदवार हैं।
इसका ठीक उल्टा भी किया जा सकता है, जिसमें आप काली मिर्च के दूतावासों में अंतर करने से पहले टरबॉन्ज़ के युग्मों को शामिल करना शुरू कर सकते हैं। जब ट्रोजनोज़ के चारे पूरी तरह से काली मिर्च के सूट से अच्छे हो जाएंगे।
जायद की फसल होने से पर्याप्त जल उपलब्ध होना जरूरी है। "बेड-मल्चिंग-ड्रिप" सिस्टिम होने से जल की मात्र कम होगी। पहले माह में प्रति दिन आधा घंटा देना पर्याप्त होगा। लेकिन जब फल का आकार बढ़ जाता है तब प्रति दिन 2-3 घंटे पानी की जरूरत होगी।
चरस के वक्त आपके उत्पादित तरबूज में 13 से 15 साल के बीच ब्रिक्स का आयोजन किया जाएगा। इसके अभ्यास के लिए आप रिफ्रैक्टोमीटर का उपयोग करें। रिफ्रैक्टोमीटर खरीदने के लिए क्लिक करें।
अनुकूल मिठास की निर्मिती के लिए परिणाम को संतुलित योग देना जरूरी है। फसली वृद्धि हो रही है तब प्रति एकड़ एकड़-19-19 3 किलो, केल्शियम नायट्रेट 1 किलो, डब्ल्यू डी जी सल्फर 1 किलो खुराक दे। जब पर सफलता पूरी लगी तब प्रति एकड़ 12-61-00 5 किलो, केल्शियम नायट्रेट 1 किलो, डब्ल्यू डी जी सल्फर 1 किलो खुराक दे। इस जल्दी आप फसल पर माइक्रो न्यूट्रीअंट मिक्स्चर और प्लांट टॉनिक का छिडकाव कर सकते हैं। जब फल लगने लगे तब प्रति एकड़ 0-52-34 8 किलो, केल्शियम नायट्रेट 1 किलो, डब्ल्यू डी जी सल्फर 1 किलो खुराक दे।
इस परिणाम में मुख्य समस्या फलमक्खी की होती है। यह किट फुल के ओवरी या फल के सरफेस पर डंख के अंडे देती है। इन एंडोस इलियास चौराहा है। ध्यान ना देने पर 75 प्रतिशत फल नष्ट हो सकते हैं। छिदकाव से इस किट का नियंत्रण नहीं होता है। लेकिन आप फलमक्खी ट्रैप के इस्तेमाल से फलमक्खी पर 10 प्रतिशत नियंत्रण पा सकते हैं। एक एकड़ में 6-8 जाल लगते हैं जिनका खर्चा 50 रु के आस-पास होगा।
फलमक्खी के आलावा इसमें जादा किट नहीं ली जाती है। कुछ हिस्सोमे लीफ माइनरा का नियंत्रण कोराजेन के चमत्कार से होता है। किटोकी निगरानी के लिए आप एक एकड़ क्षेत्र में 7 पीले व् 3 नील चिपचिपा जाल लगवाए। इन निरिक्षणमात्र से आपको मिलने वाले किट का अंदेशा हो जाएगा।
एक एकड़ में 6000 बेल लगेंगे। जर बेल पर 2 फल हो सकते हैं वास्तव में औसत वजन 3-4 किलो होगा। इस तरह आपको एक एकड क्षेत्र मे 36-48 टन का उत्पादन होगा। जिसका सॉलिड विक्री मूल्य 3.36 लाख एव क्रेडिट विक्री मूल्य 6.3 लाख होगा।
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