
महू, सफेदमक्खी, थ्रिप, फुदको से नाराज को कैसे धोया? मानक कैसे बनाए?
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जब भी हम कोई कटौती बोते है तो हमारी कामना यही होती है के यह परिणाम अनुवांशिक लाभ पूर्ण करे। भरपूर भरपूर, फले और उपज दें। लेकिन रोग और कीटोके कारण ऐसा अक्सर नहीं मिलता।
आपने महू, थ्रिप, जस्सीड एव व्हाइट फ्लाय याने व्हाइट डेक जैसे किटों के प्रकोप का अनुभव किया होगा। शायदही को यी कटौती हो जो किसी चार्ट से बचती हो। छोटे छोटे यह कीड़े अरबो-खरबोंकी संख्या में अचानक ही परिणाम पर डॉट देते हैं। लहलहाती कटौती का रस चूसकर, ये परिणाम को अधमरा कर देता है।
यह कीड़ा अकेले नहीं होता, अक्सर किसी के साथ फंगस और वायरस भी फैलते हुए दिखाई देते हैं। हरीभरी कटौती देखते ही देखते मुरझाती है, झुलजती है और पूरी तरह बीमार हो जाती है।
ऐसे समय, किसान भाईयो, हमारे पास कोई भी करित नहीं बचतता जिससे हम अपनी फसल की बर्बादी को रोक सकते हैं। कृषि सेवा केंद्र या किसी सलाहकार की सलाह हम अधिक जहरीली दवा हो सकते हैं—उसका छिदकाव करते हैं। क्यों अब फसल को सिर्फ रसचुसक किट नहीं बल्कि कवक, जीवाणु और विषाणु से भी मुक्त अनुमान है, छिदकाव में किटनाशक के आलावा फफूंदनाशक, जीवाणुनाशक और विषाणु निवारक दवाओं का भी समावेश करना है। बीमार फसल को बिमारी से शटरने के लिए अधिक पोषण होता है जो हम प्रमाणपत्रों की एक्स्ट्रा मात्रा के रूप में देते हैं। खर्चे की बात खत्म नहीं होती। फसली बिमारी से मुक्त हुई, पोषण से समृध्ह हुई लेकिन सफ़लता को अब वक्त की पसंद के चुनाव पर भी खरा उरना होगा। उस पर अच्छे पूरे और फल आए इसलिए प्लांट टॉनिक का खर्चा भी करना होगा।
दुःख या काम की बात इतनी ही होती है कि बहुत सारे खर्चे और मेहनत के बाद भी भविष्यवाणी से मुनाफ मिले यह बात जरूरी नहीं!
दवाए छिडकते—छिडकते हम सिर्फ वक्त और पैसा ही बरबाद नहीं करते बल्कि खुद की, सफलता की एवज भविष्यवाणी के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डालते हैं।
तो क्या हमारे तरीकों में बदलाव करना चाहिए? ऐसा क्या करे—जो कटौती की बरबादी को रोकें, खर्चा बढ़ने से बचाएं। क्या इतना जहरीली दवा की छिदकाव से, केंसर जैसे पर्यावरण से पर्यावरण के हानी से बचना नामुमकिन है?
इन रसचुसक नुकसान का असर पर जो बुरा असर दिखता है वह अचानक नहीं दिखता। इस कीडे कम संख्या में घटाव और खाते पे अपना घर बनायें। जब परिणामी लहेलहने लगता है तब यह बड़ी मात्रा में अंक देकर अपनी संख्या को दिन दूना और रात को चौगुना करता है। एंडोसे निकले हुए बच्चे की किटक फसल का रस्सले में पूरी जानकारी देता है और गति से गति-योग्य बन जाता है। यह चक्र अब तेज गति से चलता है और देखते ही देखते परिणाम के हिसाब से आजाती है।
इन बातों का ध्यान रखते हुए कृषि वैज्ञानिक चिपचिपे जाल को इजाद करते हैं। ये ट्रैप अलग-अलग तरीकों से इस्तेमाल किया जा सकता है। किसी समय का समय जब आप अपने क्षेत्र में उपलब्ध कीड़ोके प्रकार और उनकी संख्या का प्रकार लेते हैं तो आप प्रति एकड़ 8 से 10 चिपचिपा जाल लगवाए। आप कुछ पीला और कुछ नील ट्रैप भी लगवा सकते हैं।
हर दूसरे-तीसरे दिन आप इन्हें निरिक्षण करें। बेरोजगार कीड़ोको आप मोबाइल के मेरासे झूम करके देख सकते हैं। ऐसा करना आसान हो जाता है। आप इन्हें गिनकर संख्या का अनुमान लगा सकते हैं। यदि संख्या अधिक है तो आप ट्रैप की संख्या घटाए या लाइट ट्रैप लगवाए । ऐसा करने से अपना जीवनचक्र नहीं चलेगा और उसकी संख्या में वृद्धि नहीं होगी।
ऐसे समय में आप सफलता पर अजेडीरेक्टिन, बेसिलस थ्यूरिनजेंसिस, बवेरिया या किटनाशक का छिडकाव भी कर सकते हैं। इस र क्षात्मक छिडकाव औषधियों का खर्चा भी कम होगा और परिणाम भी लम्बे समय तक सेहतमंद रहेगा।
खाते समय पानी पर निकाल दें, उस पर डबलडोस किटनाशक का छिडकाव करना भी, पूरे खाते में कीटोकी संख्या को रखने का एक तरीका है।
किसान भाईयो स्वास्थ्य मंदिर और लम्बी उम्र के लिए हम लोग जिस तरह हम खान पान पर ध्यान देते हैं, कसरत करते हैं, ध्यानधारणा करते हैं वैसे ही फसल के लिए संतुलित पोषण और प्रमाण सफाई की जरूरत है। चिकनाओं को निकाल देना, स्टिकी ट्रैप, स्टिकी रोल, लिटट्रैप, रक्षात्मक चिडकाव का मुख्य महत्व है। इनके इस्तेमाल से नतीजा तरो ताजा बना रहेगा, फूलते, फलते हुए पूरे पूरे और पूरे पूरे अनुमान लगाएंगे। खर्चा कम और ज्यादा प्रस्तुति का ज्ञान देने वाला लेख बेशक शेयर करें।