
ककड़ी की बेले बौनी हो, तो क्या करे?
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रिसेट एग्री डॉट इन पर किसान भाइयो का स्वागत है. बुवाई के बाद फसल दिन दुनी रात चौगूनी बढ़ेगी तो जल्हद ही उसको ढेर सारे फुल और फल लगेंगे. ऐसी फसल बढिया उपज और भरपूर मुनाफा देकर हमारा जीवन खुशहाल बना सकती है. रिसेट एग्री आपको इसमें मदत करता है.
आज के इस ब्लॉग में हम आपको ककड़ी की बेले बौनी रहेने के समस्या का हल बता रहे है.

अगर आपकी ककड़ी की बेल सामान्य औसत से बढने में विफल हो रही है तो इसका मुख्य कारण हो सकता है, मिटटी की उर्वरकता का दोष. क्या आपने फसल लगाने से ५-६ दिन पहेले संतुलित बेसल डोस दिया था? अगर हा तो आपको फसल में
- पि एस बी बायोफर्टिलाइजर का डोस देना होगा. इसके परिणामो को आने में थोड़ी देर लगेगी. अगर आपके पास ५-६ दिन का वक्त नही है तो
- आपको प्रति एकड़ एन पि के वाटर सोल्युबल १२-६१-०० का ३ किलो प्रति एकड़ का खुराक ड्रिप से देना होगा और १० ग्राम प्रति लिटर के औसत से छिडकाव भी करना होगा. इसमें ६१ यह अंक खाद में पोस्फरस के प्रतिशत को दर्शाता है.
- आप लिक्विड फोस्पेरिक एसिड का भी प्रयोग कर सकते है. क्योंकी उसमे फोस्परस का प्रतिशत ८५ होता है, २.५ किलो (1.25-1.30 लिटर) फोस्पेरिक एसिड को २०० लिटर पानी में मिलाकर ड्रिप से दे. (फोस्पेरिक एसिड के इस्तेमाल में सबसे बड़ी दिक्कत मिलावटी फोस्पेरिक एसिड की होती है.)
अगर आपने बेसल डोस नही दिया है तो उपर दिए हुए खादों के आलावा आपको मिटटी के गुणों के आधार पर बेसल डोस देना चाहिए.

ध्यान रहे अगर फसल को जरूरत से अधिक फोस्फोरस दिया गया तो मिटटी में जम जाएगा. इससे मिटटी की उर्वरकता घटेगी.
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