
एक एकड से हर वर्ष 6-7 लाख की कमाई करने का फॉर्म्युला
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किसान भाईयो, प्रती वर्ष, एक एकड से 6-7 लाख कमाना आसान तो नही लेकिन मेहनत, लगन और चतुराई से ऐसा किया जा सकता है! इसमे आप अनेक फलसों का चुनाव कर सकते है.
इस लेख मे हम निम्न फसलों मे से किसी एक या अधिक फसलोंका विचार कर सकते है.
- करेला (bitter gourd)
- ककड़ी/खीरा (cucumber)
- घिया तोरई (SPONGE GOURD)
- तोरई (Ridge gourd)
- लौकी (bottle gourd)
- टिंडा, कुंदुरी (Ivy gourd)
- चिचिंडा (SNAKE GAURD)
- टिंडा/गोल भिंडी (Apple Gourd / Tinda / Gol Bhendi)
इन फसलों की उपज आपको मुंबई, दिल्ली, बेंगलोर, कोलकता , चेन्नई, अहमेदाबाद, हैदराबाद, पुणे, सूरत, कानपुर मार्केट के लिए ही तैयार करना होगा. क्वालिटी उपज देंगे तो यहा के व्यापारी आपकी ऊँगली छोड़ेंगे नही!
इन फसलों की अवधि ३ माह की होगी और आपको, एक के बाद एक, वर्ष मे चार फसले लेनी होगी.
७५ दिन के बाद फसल की उपज कम होते जाएगी. ९० दिन आते आते पुराने फसल को निकाल कर, साफ सफाई करे और अगले फसल के लिए बेसल डोस लगाना शुरू करे.
मिट्टी की तैयारी: जुताई करने के बाद रोटावेटर से मिट्टी तैयार करे.
बेड की बनावट: 5 फिट का बेड बनाकर, उसमे प्रती एकड 4-5 टन पुरी तरह सडी हुई गोबर की खाद या सिटी कंपोस्ट और बेसल डोस मिलाए. लेटरल बिछाकर उसपर २५-३० मायक्रोन की मलचिंग शीट बिछाए. 1 से १.५ फिट पर होल बनाकर इसमे पौध लगाए. एक एकड़ मे ६ से ७ हजार पौधे लगते है.
मंडप: हर 8 फिट पर बांस खड़ा करे, 5 फिट पर तार से बांधकर मंडप बनए. बांस को गिरने से बचाने के लिए, 6 फिट पर क्रॉसिंग मे तार लगाए.
बेड, मलचिंग शीट, मंडप का सेटिंग साल भर ३ से ४ बार इस्तेमाल किया जा सकता है. मौसम और मार्केट को ध्यान में रखेत हुए आप फसले चुन सकते है. गर्मी में खीरा, बरसात में करेला और ठण्ड में कुंदुरी/तोरइ/लौकी ऐसा भी प्लान हो सकता है. आजकल बरसातमें कंटोला (बन करेला/spiny gourd) की खेती भी होने लगी है.
सिचाई: बरसात मे 20-30 मिनिट तो गरमी मे 4 घंटा पानी दे. बरसात मे फसल मे पानी जमा ना हो इसलिए निकासी की व्यवस्था अवश्य करे.
बेसल डोस: बेसल डोस बनाने हेतु मिटटी के अनुसार (प्रति एकड़) डीएपि १०० से १५० किलो, एम् ओ पि १०० से १२५ किलो, सल्फर पावडर ३ से ५ किलो, मेग्नेशियम सल्फेट १० किलो, जिंक सल्फेट ५ किलो, फेरस सल्फेट ५ किलो, मेंग्निज सल्फेट ३ किलो, बोरेक्स २ किलो अच्छे से मिलाए. यह मिश्रण आप बेड में कंपोस्ट के साथ मिलाए. अगर बेड पर मल्चिंग बिछा चुके है तो हर होल में इस मिश्रण का ३५ से ४५ ग्राम का डोस लगाए. पानी चलाकर बेड पूरा भिगोए और ४-५ दिन के लिए छोड़ दे. उसके बाद रोपाई करे.
उर्वरक प्रबंधन: अगर आपने बिज बोए है तो तीसरा पत्ता आने का इन्तेज़ार करे. अगर रोपाई कियी है तो पाचवे दिन से उर्वरक प्रबंधन शुरू करे. उर्वरक देते समय उर्वरक का प्रति एकड़ का डोसका २०० लिटर पानी में घोल बनाए. पहले बेड भीगने दे और टपक सिचाई बंद करने से पहले २०० लिटर का घोल छोड़े. इसके बाद एक मिनिट पानी चलाकर सिचाई बंद करे.
पहेले डोस में वाटर सोल्युबल १९-१९-१९ ३ किलो, पोटेशियम ह्युमेट २०० ग्राम, वैम (मायकोरायझा सोल्युबल पावडर) २०० से ५०० ग्राम का घोल बनाए. पाच-छे दिनके अंतराल से दूसरा डोस वाटर सोल्युबल १९-१९-१९ ५ किलो. दस दिन के अंतरासे तीसरा डोस केल्शियम नायट्रेट ५ किलो. दस दिन के अन्तराल से चौथे डोस में वाटर सोल्युबल १२-६१-०० ५ किलो, पंद्रह दिन के अन्तराल से पाचवे डोस में वाटर सोल्युबल १३-४०-१३ ५ किलो. पंद्रह दिन के अन्तराल से छटवे डोस में वाटर सोल्युबल यूरिया १० किलो के साथ ००-५२-३४ ८ किलो. दस दिन के अन्तराल से सातवे डोस में २५ किलो यूरिया के साथ फोस्पेरिक एसिड २ किलो. दस दिन के अन्तराल से आठवे और आखरी डोस में झिंक, बोरान युक्त मायक्रोन्यूट्रीअंट मिक्स्चर १ किलो या १ लिटर.
छिडकाव प्लानिंग: इन फसलों की आयु करीबन ३ माह की होती है. इनमें आनेवाले “रोग-किट” मौसम अनुसार बदल जाते है. इसीलिए किसानों को खुदसे छिडकाव का प्लानिंग करना चाहिए. बेहतर और असरदार फसल के लिए इन बातों का ध्यान दे.
- बरसाती मौसम में फफूंद जनित रोग और चुसक कीटो का प्रकोप होता है तो शुष्कता के दौरान फलमक्खी, सुंडी और मकड़ीयोका फैलाव होता है.
- अगर आप उंचे बेड और मल्चिंग शिट का इस्तेमाल कर रहे हो तो जड़ो द्वारा प्रवेशित होने वाले किट-रोगों का प्रकोप ना के बराबर होगा.
- प्रति एकड़ ५० से १०० नीले-पीले चिपचिपे पैड का उपयोग करनेसे चुसक कीटो के रोकथाम में मदत मिलेगी.
- गर्मी के दौरान फलमक्खी के नियंत्रण के,लिए, फुल लगते ही प्रति एकड़ १० से १२ मिथाइल युजेनोल एव क्यूल्युअर वाले ट्रैप लगाना ही सबसे बेहतर तरीका है.
- फफूंदीनाशक या किटनाशक का चुनाव करते समय दो सक्रिय तत्वोंवाली दवाए चुने, वो अधिक असरदार होती है.
- फफूंदी और कीटोका प्रकोप फैलने से पहले ही सुरक्षात्मक और तकनीकी छिड़काव से खर्चे में बचत होती है
- स्प्रेडर असरदार है या नही ये हर बार जाच ले. फसल के पत्ते पर पानी की एक बूंद रखे और पिन के मदत से स्प्रेडर इस बूंद में मिलाए. बूंद मिटके तुरंत फैलनी चाहिए.
- बिज, उर्वरक, दवाओं और स्प्रेडर के बाजारमें ६० से ७० प्रतिशत तक नकली, मिलावटी, बनावटी उत्पाद बेचे जाते है. भ्रष्टाचार चरम पर है. लोभ के चलते, लोग जिस थाली में खाते है, उसीमे छेद करते है. इसीलिए बिज, उर्वरक और दवाओं की खरेदी खुद, जाच-परखकर, कानूनी पक्के बिल के साथ करे. इस्तेमाल करते हुए दवा का एक हिस्सा ओरिजिनल पेकिंग के साथ बचाकर रखे. नौकरों के भरोसे ना रहे.
चुनिंदा दवाओं की सूचि
- फलों की सडन (Anthracnose) रोखने हेतु "रोको/केटीएम्/ की" (Thiophanate Methyl 70% WP) २ ग्राम प्रति लिटर
- पत्तोंपर आनेवाले दाग धब्बों (Leaf spot, Downy mildew, powdery mildew) को रोखने हेतु क्लच (Metiram 55% + Pyraclostrobin 5% WG) ३ ग्राम प्रति लिटर या सुपर फोकस (Dimethomorph 12% + Pyraclostrobin 6.7% WG) ३ ग्राम प्रति लिटर
- गर्मी बढ़ने लगे तो पत्तों के निचले हिस्से पर लाल मकड़ी दिखाई देने लगती है. इसके नियंत्रण हेतु मोवेंटो एनर्जी (Spirotetramat 11.01% w/w + Imidacloprid 11.01% w/w SC) १ मिली प्रति लीटर या सुमिटोमो का ईटीएनए (Profenofos 40% + Fenpyroxymate 2.5%w/w EC) २ मिली प्रति लीटर
- नमी भरे शुरुआती दिनों मे आनेवाले एफीड, फुदके (जैसिड), तैला या थ्रिप्स, सफेद मक्खी जैसे कीटों के नियंत्रण हेतु अलिका (Thiamethoxam 12.6% + Lambda Cyhalothrin 9.5% ZC) ०.५ मिली प्रति लीटर या प्लेथोरा (Novaluron 5.25% + Indoxacarb 4.5 w/w SC) १.५ मिली प्रति लीटर
- लाल कद्दू का भृंग, फल और तना छेदक इल्ली, हीरक पृष्ठ पतंगा यानि डाइमंड बैक मॉथ, तंबाकू इल्ली तथा पत्ती सुरंगक के नियंत्रण हेतु बाराज़ाइड (Novaluron 5.25% + Emamectin Benzoate 0.9% SC) १.५ मिली प्रति लीटर या एम्ल्पिगो (Chloratranilprole 10%+ Lambdacyhalothrin 5% ZC) ०.५ मिली प्रति लीटर
- अगर किसी कारण वश फसल का नुकसान होता है तो फसल के स्टेज नुसार अतिरिक्त उर्वरकों का और ईसाबीऑन जैसे छिड़काव का अवश्य उपयोग करे ताकि फसल पूर्ववत सेहत बना पाए.
किसान भाइयों इस लेख का इस्तेमाल अपने समझबुझ और तर्क अनुसार करे. आपका मार्गदर्शन करना मकसद है.
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