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पौधों के फूल झड़नेसे कैसे रोखे?

पौधों के फूल झड़नेसे कैसे रोखे?

फलदार फसल मे फूल झड़ने की समस्या हो सकती है। बाजारू एक्सपर्ट को अगर इस समस्या का हल पूछा तो वह उसके कंपनी के किसी उत्पाद का नाम बताकर छिड़काव या रिचाव करने की सलाह देता है। कई बार इससे समस्या का हल होता है, तो अनेकों बार समस्या पर कोई असर नहीं होता। फूल झड़ जाते है ओर उपज कम होने से नुकसान हो सकता है। 

ऐसेमे उचित यही होगा के फूल झड़ने की समस्या के कारणों का पता कर, उचित हल ढूंढा जाए।

इस लेख मे कारणों का पता करेंगे। 

मिट्टी की कम उर्वरता: फसल को अगर पूर्ण पोषण ना मिले तो वह फूल खिलाने मे और उनका रूपांतर फलों मे करने मे ना कामयाब रहेते है। फसल की आवश्यकता नुसार उर्वरक अवश्य दे। 

बोरान और केलशीयम घटकों की कमी: अगर फसल को बोरान और केलशीयम जैसे घटकों की कमी होती है तो फूल पूर्णत: विकसित नहीं हो पाते। ऐसेमे परागण ठीक से नहीं होता। और फूल झड़ने लगते है। अगर आपने फसल को केलशीयम नायट्रेट और बोरान युक्त उर्वरक नहीं दिए है, तो इनको रिचाव या छिड़काव के माध्यम से दे। 

अतिरिक्त नत्र: अगर मिट्टी मे अतिरिक्त नत्र हो तो इसके कारण फसल की प्रजनन वृद्धि होने के बजाए वानस्पतिक वृद्धि होती है। ऐसेमे फूल कम आते है और वो झड़ भी जाते है। 

फास्फोरस की कमी: अगर फसल को फास्फोरस की कमी का सामना करना पड़ा तो प्रजनन वृद्धि नहीं होती। फूल कम आते है और वह झड़ने भी लगते है। 


अपर्याप्त या अत्यधिक रोशनी: फसलों को फूलोके निर्मिती के लिए अतिरिक्त ऊर्जा की जरूरत होती है। अगर रोशनी अपर्याप्त हो तो ऊर्जा के अभाव मे फूल नहीं बन पाते है। अगर रोशनी जरूरत से ज्यादा हो, पौधे के मेटाबोलिझम पर असर होता है। 

सिचाईकी अनियमितता: वर्षा या सूखे के कारण सिचाई मे अनियमिता होती है। समतल मिट्टी मे वाष्प अवस्था नहीं बनती। इसके कारण फूल झड़ने लगते है।  यदि हवा में नमी 40% से कम या 70% से अधिक हो तो भी फूल झड़ने लगते है। यदि दिन और रात के तापमान में बहुत अधिक अंतर हो तो भी फूल झड़ते है। 

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रोग और कीटों के दुष्प्रभाव: फसल पर अगर सफेद मक्खी, माहू, तैला, फुदके जैसे कीटों का या फफूंद का प्रभाव हो तो फसल के पोषण मे कमी आती है, फूल झड़ने लगते है।   

मधूमक्खी की कमी: ८० प्रतिशत फसले परागण के लिए मधूमक्खीयोंपर निर्भर होती है। अगर फसल के परिवेश मे मधूमक्खी के छत्ते कम होंगे तो परागण के अभाव मे फूल झड़ने लगेंगे। आप मधुमक्खी पालन के माध्यम से इस समस्या का हल कर सकते है। मधूमक्खीयोंको आकर्षित करने हेतु कुछ छिड़काव मिलते है। लेकिन इसका प्रभाव कम ही होता है। फूल धारणा के समय गैस पोईझन युक्त दवा का छिड़काव करने से मधूमक्खीया कम हो जाती है। ऐसे छिडकाव से बचे

किसान भाइयों, क्या आपको यह जानकारी पसंद आयी? केमेन्ट सेक्शन मे अवश्य लिखे। शेअर जरूर करे।

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