
मूंगफलीमें कोनसा ग्रोथ प्रमोटर करता है असर?
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सभी फसलों की तरह मुंगफली में मुनाफा पाने के लिए हमे अच्छे मार्केटिंग के साथ साथ क्वालिटी मूंगफली का उत्पादन उच्चतम उत्पादकता के साथ करना होगा!
इस लक्ष्य को हासिल करने हेतु हमे
- मुंगफल्ली के लिए हमे अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी वाली जमीन का चुनाव करना होगा.
- तिलहनी फसल होने के चलते इसमें एन पि के खादों के अलावा केल्शियम, मैग्नेशियम, सल्फर, झिंक और लोह युक्त खादों का उपयोग प्रभावी तरीकेसे करना होगा.
- भूमिगत फसल होने के बजह से सिचाई का प्रबंध बेहतर तरीकेसे करते हुए उच्च गुणवत्ता पूर्ण फफूंदनाशी तथा किटनाशी दवाओं का चयन करना होगा.
- अनेक उन्नत किस्मे उपलब्ध है लेकिन आपको अपने क्षेत्र के मिटटी और जलवायु के अनुसार अधिक उत्पादकता देने वाले किस्म को चुनने के लिए अच्छेसे सर्वे या प्रयोग करना होगा.
किसानों के लिए उपयुक्त कितबे
इन सारी महत्वपूर्ण मुद्दों के अलावा "ग्रोथ प्रमोटर" का इस्तेमाल सबसे महत्व पूर्ण है. ग्रोथ प्रमोटर का मार्केट नकली, बनावटी और मिलावटी उत्पादनों से भरा पड़ा है. लाखो के संख्या में छोटी छोटी कम्पनिया महंगे-महंगे "ग्रोथ प्रमोटर" बेच रही है. इनका गोरख धंदा खुले आम चल रहा है. इसके माध्यम से सरकार को १८ प्रतिशत का भारी-भरकम जी एस टी प्राप्त होता है जिसके चलते सरकारने अनदेखी करने का विकल्प चुना है. प्रशासन और वितरको को भी लाभान्वित किया जाता है.
वनस्पति संरक्षण, संगरोध एवं संग्रह निदेशालय द्वारा "ग्रोथ प्रमोटर" के उत्पादन परवाने को बहाल किया जाता है. ऐसा करने हेतु यह निदेशालय सभी आवश्यक तथ्यों की जाच करती है. मूंगफल्ली में इस्तेमाल करने हेतु निदेशालय ने जिबरलिक एसिड, प्लेक्वोब्यूट्राझोल, मेप्वीक्वाट क्लोराइड और ट्रायकॉनटेनॉल पर आधारित उत्पादनों को प्रमाणित किया है.
जिबरलिक एसिड: जिबरेलिन्स पौध विकास में विशेष प्रभाव दिखाता है. बौने पौधे के तना और जड़ोके लम्बा करते हुए फूलों की संख्या को बढ़ावा देता है. उपयुक्त उर्वरक देने के बाद भी अगर फसल उचित असर ना दिखाए तो जिबरलिक एसिड युक्त हौशी या २४ केरेट जी ए का ५ मिली प्रति १५ लिटर के औसत से छिडकाव करना चाहिए.
- प्रथम छिडकाव बुवाई के ३० दिन बाद और
- दूसरा छिडकाव फसल पर फुल खिलने के वक्त करे.
प्लेक्वोब्यूट्राझोल और मेप्वीक्वाट क्लोराइड: यह दोनों रसायन जिबरलिक एसिड के विपरीत प्रभाव दिखाते है. बेछूट बढ़ते तनेका विकास रोखकर, फूलों की संख्या बढाने में मदत करता है. कभी कभी पौधे के लिए उम्मीद से बेहतर जलवायु और उर्वरक उपलब्ध होते है. नत्र की मात्रा जरूरत से अधिक और फोस्फेट जरूरत से कम होता है. ऐसे में तने जरूरत से अधिक लम्बे होने लगते है. इस वक्त प्लेक्वोब्यूट्राझोल और मेप्वीक्वाट क्लोराइड युक्त उत्पादनों के छिडकाव से फायदा मिलता है.
- प्लेक्वोब्यूट्राझोल युक्त कल्टार ३ से ४ मिली प्रति १५ लिटर के औसत से छिड़काव करे
- मेप्वीक्वाट क्लोराइड युक्त चमत्कार का छिड़काव फुल आने के वक्त २ मिली प्रति लिटर के औसत से करे.
ट्रायकॉनटेनॉल: ट्रायकॉनटेनॉल को मेलिसिल/मेरिसिल अल्कोहोल नामसे पहेचाना जाता है. यह वनस्पति के पृष्टभाग तथा मधुमक्खी के वेक्स में पाया जाता है. यह एक नैसर्गिक पौध वृद्धि नियंत्रक है. इसके नाममात्र छिडकाव से पौधे का प्रकाशसंश्लेषण, प्रोटीन की निर्मिती, रसों का प्रवाह, एन्झाईम प्रकिया में इजाफा होता है. गुलाब के साथ साथ कपास, चावल, मिर्ची, टमाटर, मुंगफली तथा आलू में इसका उमदा असर देखा गया है.
ट्रायकॉनटेनॉल युक्त ग्रेन्यूल्स: ट्रायकॉनटेनॉल युक्त मिरेकल ग्रान्युल्स बेसल डोस के साथ १० किलो प्रति एकड़ हे हिसाब से मिलाए. अथवा
ट्रायकॉनटेनॉल युक्त विपुल का ०.५ मिली प्रति लिटर के हिसाबसे २५ वे, ४५ वे और ६५ वे दिन छिडकाव करे.
क्या ग्रोथ प्रमोटर की सचमुच जरूरत है?
किसीभी फसल की तरह मूंगफल्ली के फसल से किसान को तभी लाभ होगा जब उसकी उपज उमदा दर्जे की होने के साथ साथ औसत उत्पादकता से अधिक हो. फसल व्यवस्थापन करते समय मिटटी का चयन, किस्मों का चयन, सिचाई प्रबंधन, रोग और किटों की रोकथाम यह बाते महत्वपूर्ण होती है. इनका चुनाव आप कर सकते है लेकिन बारिश, ठण्ड, गर्मी जैसे बदलते परिवेश फसल के पोषण और तंदुरुस्ती पर असर करते है. ऐसेमे फसल की उत्पदकता बरकरार रखने के लिए ग्रोथ प्रमोटर या रेग्युलेटर का इस्तेमाल करना चाहिए.
इस लेख के माध्यम से प्राप्त जानकारी आपको दिशादर्शक होने की आशा करते है. सवाल पूछना हो या रिसेटएग्री से कोई शिकायत हो तो कमेन्ट में अवश्य लिखे.
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