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डंठल, शाखाओ और फलों पर क्रेकिंग की समस्यासे कैसे निपटे?

डंठल, शाखाओ और फलों पर क्रेकिंग की समस्यासे कैसे निपटे?

जब तापमान मे, अचानक बदलाव होते है, अचानक ठंड या नमी बढ़ती है, अनेक फसलों मे क्रेकिंग याने तड़कने की समस्या दिखाई देती है। इसपे ध्यान नहीं दिया गया तो, क्रेक मे फफूंदी लगकर नुकसान बढ़ सकता है। फलों पर आनेवाले क्रेकिंग से इन्हे बाजार रिजेक्ट करता है, और बड़ा नुकसान होता है। 

क्रेकिंग क्यों होती है?

इस समस्या का मुख्य कारण है, केलशियम की कमी। वनस्पति कोशिकाओं मे केलशियम भित्तिकाए बनाने मे कार्यरत होता है। जड़ों द्वारा अवशोषित होने के बाद यह जल वाहिनियों द्वारा यह कोशिकाओ मे पहुच तो जाता है मगर एक कोशिका से दूसरे कोशिका मे इसके वहन मे समस्या होती है। इस कारण से, जहा भी कोशिकाए तेजी से विभाजित हो रही हो वहा, आंशिक रूप से केलशियम की कमी निर्माण होती है। 

जब ठंड या नमी अचानक बढ़ती है तब फसल का ट्रांसपीरेशन (पत्तियों से पानी की भाप निकलने की प्रक्रिया) कम हो जाता है। जिससे जड़े पानी का वहन तेजी से नहीं कर पाती । पनि का वहन कम होने से केलशियम का वहन भी कम हो जाता है। इससे जहा भी कोशिकाए तेजी से विभाजित हो रही हो वहा, आंशिक रूप से होने वाली केलशियम की कमी, आंशिक ना रहेकर, बढ़ जाती है। परिणाम स्वरूप कोशिकाओ की भित्तिकाए कमजोर हो जाती है जो हमे  क्रेकिंग के माध्यम से नजर आती है। 

क्रेकिंग कैसे रोख सकते है?

क्योंकी केलशियम के वहन मे समस्या होने से क्रेकिंग होती है, केलशियम के वहन को बढ़ाकर, इस संसस्या को रोखा जा सकता है। और इसी लिए हमे फसल के जड़ों के पास पानी मे तुरंत घुलने वाला केलशियम देना होगा। केलशियम के वहन मे दो घटक महत्व पूर्ण है। एक है अमीनो स्वरूप का नाएट्रोजन और दूसरा है बोरान। यह दोनों घटक केलशियम को जड़ों से अंदर ले जाते है और कोशिकाओ तक के इसके वहन मे मदद गार होते है। इसीलिए हमे जब भी अंदेशा हो के तापमान और नमी मे तेज बदलाव होने वाला है, हमे फसल के जड़ों मे प्रति एकड़ ५ किलो केलशियम नायट्रेट और १ किलो बोरान ट्वेंटी देना चाहिए।  

केलशियम नायट्रेट ही क्यों? क्या हम केमिकल वाल केलशियम नायट्रेट इस्तेमाल कर सकते है?

केलशियम के विविध पदार्थोंमेसे केलशियम नायट्रेट और केलशियम क्लोराईड यह दो पदार्थ ही पानी मे घुलन शील होते है। जड़ों के पास क्लोराइड देने का कोई प्रयोजन नहीं है, इसीलिए केलशियम नायट्रेट दिया जाता है। 

इसके अलावा फर्टिलायझर ग्रेड केलशियम नायट्रेट और केमिकल ग्रेड केलशियम नायट्रेट मे अंतर होता है। फर्टिलायझर ग्रेड केलशियम नायट्रेट मे अमोनियम  नायट्रेट मिला हुआ होता है, जो  केलशियम के वहन मे मदत करता है। 

बोरान ट्वेंटीही क्यों? 

फसल को बोरान देने के लिए हमारे पास बोरेक्स, बोरिक एसिड, बोरान ट्वेंटी और बोरान इथेनॉलामाइन यह चार पर्यात है। इसमे से बोरेक्स पानी मे घुलता नहीं है। बोरिक एसिड, कम घुलता है, शिवाय उसका सामू एसीडीक है। बोरान इथेनॉलामाइन छिड़काव से देने के लिए बनाया गया है। बोरान ट्वेंटी पानी मे तुरंत घुलता है, इसीलिए यह एक मात्र और उमदा पर्याय है। 

क्रेकिंग होने पर और क्या ऐटियातन उपाय करना चाहिए?

ठंड पड़ते ही, क्रेकिंग की समस्या आने के पहले, आप बिना इंतेजार किए, फसलों को,
प्रति एकड़ के हिसाब से केलशियम नायट्रेट ५ किलो के साथ, डाय सोडियम टेट्रा बोरेट, याने बोरान २० प्रतिशत, १ किलो, २०० लीटर पानी मे घोल बनाकर, जड़ों मे दे! लेकिन, अगर क्रेकिंग कि समस्या दिखाई दे रही है तो, पहेले बताए हुए ट्रीटमेंट के साथ, ऐतियातन किसी अच्छे सिस्टीमिक फफूंदीनाशक का छिड़काव भी करे!

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