
व्हायरस से बर्बाद मिर्च की फसल से कमाए मुनाफा!
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किसान भाइयो का रिसेट एग्री के नये लेख में स्वागत है. इस लेख के माध्यम से हम मिरची में आनेवाले व्हायरस की समस्या का तोड़ जानेंगे.
मिर्च एक महत्वपूर्ण फसल है. हमारे देश में जितनी भाषाए वोली जाती है उससे दो गुना अधिक प्रकारकी मिर्ची उगाई जाती है. इसका आकर, रंग, टेस्ट में, इतने सारा अंतर देखा जाता है जो किसी और फसल में शायद ही दिखाई दे. लेकिन गौर तलब है के करीबन इन सारी प्रकार की मिर्च में व्हायरस का प्रकोप दिखाई देता है. जो फसल इसके चपेट में आती है वो उपज नही दे पाती. वक्त और लागत, दोनों का नुकसान करती है.
आजकल अनेक किसान, मिर्च के फसल के लिए, महंगे बिज/पौधे, तंत्र आधारित रखरखाव, टपक सिचाई, पेपर मल्चिंग, मंडप, क्रोप कव्हर, तालिका अनुसार छिडकाव व् फर्टिगेशन, मार्केटिग तथा एक्सपोर्ट का समावेश करते है.
लेकिन सारे किसान ऐसा नही करते. पारम्परिक पद्धतीसे फसल उगते है. इन्हें अनेक समस्यओंका सामना करना पड़ता है जिसमे मिर्च का व्हायरस एक गंभीर समस्या है. इसमें मिर्च के पत्ते सुकड जाते है, टेढ़ेमेढ़े होते है. फुल कम लगते है, मिर्ची भी कम लगती है और उसका साइज भी छोटा रहे जाता है. उपज में ९० प्रतिशत का नुकसान हो सकता है. फसल की लगत निकालना भी मुश्किल हो सकता है.
इस लेख के माध्यम से आप मिरची की कटाई शुरू होनेपर आनेवाले व्हायरस को रोकने के उपाय जानेंगे
यह उपाय तकनीकी है...
- इसके आधारपर अनेक किसान उपज को बचाने में कामियाब रहे है
- मिर्च के व्हायरस को खात्मा करनेवाली कोई भी दवा आजतक बनी ही नही है.
- मिर्च के व्हायरस को फैलने से रोखा जा सकता है
इस तकनीक की खासियत है
- व्हायरस का लोड कम होता है
- व्हायरस को फ़ैलाने वाले किट का नियंत्रण होता है
- उर्वरक संतुलन होता है
- फसल कि सेहत में सुधार आता है
- फसल की प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार होता है
- फसल में दमखम लौट आता है
इस तकनीक के फायदे
- नये पत्तों पर व्हायरस का असर कम होता है
- मिर्ची की उपज में इजाफा होता है
तकनीकी खुलासा:
- फसल में खराब हो चुके पत्तों में कोई सुधार नही होता
चेतावनी:
- मिर्च का मार्केट रेट औसत से अधिक हो, तभी तकनीक का उपयोग करे.
तकनीक
- मिटटी सुखी हो तो पानी चलाकर उसे नम करे.
- छिडकाव की मात्रा १५ लिटर के हिसाब से है. छिडकाव करते समय पत्ती, शाखाए और खरपतवार अच्छेसे भिगोए
- रिसाव की मात्रा प्रति एकड़ के हिसाब से है. मात्रा को २०० लिटर पानी में १५ मिनट तक घोले. यह घोल टपक सिचाई या पम्प का नोझल निकालकर जड़ोंके क्षेत्र में छोड़ना है
- छिडकाव और रिसाव, एक साथ करे. इसमें एक दिन से अधिक अंतर ना रक्खे
पहेला छिडकाव
पहेला रिसाव
- १२-६१-०० ८ किलो
- पोटॅशीयम शोनाईट ३ किलो
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पाच से छह दिन के अन्तराल के बाद
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दुसरा छिडकाव
- अलीका 5 मिली
- कोन्फीडॉर १० मिली (कीमत पर ४८ प्रतिशत तक छुट!)
- प्लेनोफिक्स ३.५ मिली
- अस्पा एटी ५ मिली
दूसरा रिसाव
- १२-६१-०० ८ किलो
- पोटॅशीयम शोनाईट ३ किलो
- केल्शियम नायट्रेट २ किलो
- टेक्नोझेड २ किलो
फसल की दो लाइनों में छिडकाव तथा रिसाव् नही करेंगे तो आपको ट्रीटमेंट का असर साफ़ साफ दिखाई देगा. रिझल्ट कमेन्ट सेक्शन में अवश्य लिखे.
लेख तथा डाउनलोड कियी हुई फ़ाइल को मित्र परिजनों में अवश्य शेअर करे.