
मक्के और गन्ने में मुक्ति
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जब हम फ़ील्ड में बिज बोते हैं, तो हेम भी यह प्राप्त होता है तो खुद बखुद उगेगा। लेकिन अगर आपको रियायत घर लाना है, तो सफलता की वृद्धि की गति को कायम रखते हुए अधिकतम संभावना को उत्पन्न करना है।
फलस की गति बनी रहे, इसलिए हम इस गति में रुकावट बनने वाले सभी मुश्किलों को दूर करना होगा। संबद्धके विभिन्न कारणों से हानि होती है। इसमें 22 प्रतिशत हानि हानि होती है, 29 प्रतिशत हानि हानि होती है और 37 प्रतिशत हानि प्रदूषण करती है । अगर हम इन रुकावटों से सफलता को बचाए तो उसकी वृद्धि की गति बनी रहेगी।
घटवार फसल का रचनाती है, पानी चुराई है, बंध जमाती है, नुकसान देहि रोग और झटके को आश्रय देता है, जुड़ाव के बीजों में मिलाजुला अनुपात की गुणवत्ता खत्म हो जाती है।
परिणामी अनुरूप प्रयोग करें तो जमा में कितना नुकसान करता है?
- धान में 30-35 वर्ष
- मक्का, बजरा, दलहन, तिलहन में 18 से 85 प्रतिशत
- गन्ने में 38.8 वर्ष
- कपिस में 47.5 प्रतिशत
- चुकंदर में 48.4 प्रतिशत
- प्याज़ में 90.7 प्रतिशत
तो कोई भी कटौती हो, अगर राशि को घटाना है तो जमा प्रबंधन करना ही होगा। हर परिणाम के लिए, एक प्रारंभिक संवेदनशील अवधि होती है। इस अवधि के दौरान, फसल की प्रारंभिक वृद्धि होती है। इस दौरान अगर लाभ से मुक्त रहता है तो तेजी से बढ़ता है। पकड़के अवधि में अपनी पूर्ण शाक्य वृद्धि प्राप्त कर लेता है। इतनी बड़ी हो जाती है के, तय की गई सफलता में ना जम मिलेगी, ना परिणाम का प्रतिस्पर्धी कर पाएंगे। आमतौर पर यह अवधि सफलता के पूर्ण अवधि का तीसरा हिस्सा होता है।
भिन्न भिन्न के संवेदन शील अवधि इस प्रकार से है।
- चावल, गेहू, मक्का , बजरा, ज्वर, सोयबीन, उड़द, सूरज घूर, तिल 45 दिन
- मूंगफल्ली 50 दिन
- कपिस, एरंडी 60 दिन
- गन्ना 120 दिन
निर्दिष्ट प्रबंधन हेतु हमें तीन कार्यविधि का प्रयोग करना होगा।
सूक्ष्म प्रबंधन के माध्यम से बड़े तौर पर पोषक प्रबंधन हो सकता है। इसे मई के माह में 3 हप्तों तक करना होगा। इसके लिए मिटटी को फ्लैट और नम रहना इस पर 50 से 100 माईक्रोन की चादर बिछाए। इसी भूमि का तापमान 8 से 12 डिग्री से बढ़ता है। हर दिन होने वाले धमा के उत्त-चढाव से, मिट्टी के उपरी परत में जमे हुए पोषक तत्वों के बिज, कीड़ों के अंडे, सूत्रकृमि जा सकते हैं। अगर आप पौधशाला बना रहे हैं तो सूक्ष्म सूक्ष्म अपरदन बेशक करें।

परिणामी प्रबंधन यह एक संबद्ध विधि है। ये सही गहराई और सही दूरी पर तथा उचित समय पर बुवाई करना, मानकों की संतुलित मात्रा में प्रयोग करना, उचित जल प्रबंधन और अंतरफसल शामिल हैं। ऐसा करने से सफलता को समय के साथ पोषण मिलता रहेगा और बढ़ने की गति बनी रहेगी। हर फसल के लिए, प्रति एकड़ आधार की संख्या अलग-अलग होती है। बेसल डोस और आवर्ती रासायनिक खादों की मात्राए अलग-अलग होती है। परिणामी नुसार आप इन बातों का ध्यान दें तो प्रबंधन में कारगर है।
भौतिक प्रबंधन में निराई-गुड़ाई करना, बुवाई पूर्व निराई करना, मल्चिंग (परिस्थितियों) का उपयोग करना शामिल है। निराई गुड़ाई करने के लिए विभिन्न प्रकार के हथियार और उपकरण अब उपलब्ध हैं। हैण्ड वाइडर, रोलर वाइडर, बेअर्स अटेरे, पेट्रोल वाइडर और टिलर आदि के बारे में अधिक जानकारी के लिए यह क्लिक करें ।
रासायनिक प्रबंधन में रासायनिक शाकनाशी का प्रयोग किया जाता है। शाकानाशी का प्रभाव उतना ही स्पष्ट होता है जितना स्पष्ट उसका प्रभाव होता है। इसलिए उनका उपयोग उचित तरीके से और समझदारी से करना होगा। कुछ शकनाशी चयनात्मक होते हैं। उनका प्रभाव परिणाम पर नहीं होता है। कुछ शाकनाशी विशेष होते हैं, वे परिणाम और बंटवारे में अंतर नहीं करते हैं। विशेष शाखनाशी का छिडकाव करते समय सावधानी बरतनी है। शकनाशियों के छिदकव से पहले, और बाद में अपनी खुद की घोषणा करने वाली जान ले..
- स्प्रेयर के वायस से नापें
- दवा के डोज का होश ठीक से जान ले
- मात्रा नुसार ही छिदकाव करे, ना कम ना ज्यादा
- इस्तेमाल के वक्त ही पानी में मिलाए, मिलाने के आधे घंटे में छिदकाव करें
- फ्लैट पंखे का उपयोग करें
- गैर-चयनित/विशेष शाकनाशियों को चिडकते समय दस्तावेजों पर शील्ड
- हर साल, पिछले साल से अलग-अलग सांख्यिक तत्वों का प्रयोग करें
- सकनाशी को अलग से स्टोर करें। व्याकरण, टॉनिक और अवैधानिक के साथ ना रखें
- बच्चों के पहुच से दूर, सुखी और ठंडी जगह लेकिन हवादार जगह पर रख-रखाव
- तेज हवा में छिदकाव ना करें
- बारिश की अनुमान हो तो छिदकाव ना करें
- मिश्रित मिश्रण में छिडकाव करते समय शाखनाशी का चयन करके अभ्यास करें।
- दाखिलों को खाद या मिट्टी में मिलाकर ना दे
- हवा के विपरीत दिशा में चमत्कार ना करें
- रक्षात्मक गारमेंट बूट, चश्मा, धूप के चश्मे, मास्क आदि का उपयोग करें
- खाली को या तो जमीन में दबा दें या जला दें
- हाथ और अन्य कपड़ों को साबुन से अच्छी तरह धोए
कई किसान भाई प्रबंधन प्रबंधन को प्रबंधन समझ पकड़ते हैं। इन दोनों में बहोत ही अधिक अंतर है। अगर आप प्रबंधन करेंगे तो आपकी फ़ीस में फ़ायदा नहीं होगा। ऐसे में तेजी की गति से आगे बढ़ने से अधिक से अधिक भविष्यवाणी ऑफर। लेकिन अगर आप सिर्फ नियंत्रण करेंगे तो खेत उगाएंगे। असफलता का जो नुकसान करना है वो कर देगा। नियंत्रण के लिए आप जो भी खर्चा करेंगे वो प्रबंधन के खर्च से अधिक होगा। प्रदर्शन तो कम होने वाला है। ऐसे में आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपए हो जाएंगे।
केलेरिस एक्स्ट्रा गन्ने और मक्का में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें दो सक्रिय पदार्थ मिसोनट्रियॉन और एटराज़िन सस्पेंडेबल घाल के रूप में होते हैं। इसके उपयोग से घटतौमे छँटाई और मोटे मोटे के अनुरूप करें। यह सिस्टिमिक (प्रणालीगत) औषधि है जो संयंत्र के अंदर फैलती है। तीन या चारवाली सारांश पर अच्छा असर होता है। लंबे समय तक खपरवार से मुक्ति मिलती है। सफलता पर इसके छोटे प्रभाव हो सकते हैं लेकिन वो जल्द ही चला जाता है और परिणाम पूर्ववत हो जाता है। डोस: 1400 मिली प्रति एकड़ है। 7 मिले प्रति लिटर के होश से उदास रहने वाले फ्लड जेट या फ्लैट के पंखे के नेपसेक स्प्रेयर से पार्क में चिडकाव करें। इसके साथ कोई भी अन्य औषधि का उपयोग ना करें।
गन्ना और मक्के में जानेवाले

पथरचट्टा

क्रैबग्रास




आशा है कि आप कोई भी नतीजा करें, प्रबंधन में सूक्ष्मीकरण, फसल प्रबंधन, भौतिक प्रबंधन और रासायनिक प्रबंधन , इन चारों बातों का खयाल रखते हुए कम खर्च करते हुए उपज भी अधिक चुनेंगे।
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