
पपीते की मुनाफेवाली किस्में
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पपीते की कई किस्में हैं, जिनमें टेबल किस्में, पपेन किस्में और औद्योगिक किस्में शामिल हैं।
- टेबल किस्में ताजा खाने के लिए होती हैं,
- पपेन किस्मों से पपेन निकाला जाता है, और
- औद्योगिक किस्मों का उपयोग जैम, जेली और अन्य संसाधित उत्पादों के लिए किया जाता है।
अर्का प्रभात (Arka Prbhat): यह पपीते की सबसे बेहतरीन किस्मों में से एक है. यह उभयलिंगी प्रकृति की किस्म है. पौधे 60-70 सेमी ऊंचे होते ही इसमें फल लगने लगते हैं. यह उभयलिंगी है, इसलिए इसका बीज-उत्पादन करना आसान है. इसके फल का औसतन वजन 900-1200 ग्राम तक होता है और गुणवत्ता अच्छी होती है. गूदा सख्त और रंग गहरा गुलाबी होता है। टीएसएस 13-14 एवं ब्रिक्स और प्रति पौधा उपज 90-100 किलोग्राम है। शेल्फ लाइफ अच्छी है.
अर्का सूर्या (Arka Surya): ये भी उभयलिंगी प्रकृति का होता है. इसका छिलका मुलायम होता है, पकने पर इसका रंग समान रूप से पीला होता है. इसके फलों का आकार मध्यम तथा वजन लगभग 600 से 800 ग्राम होता है, इसकी कैवेटी छोटी होती है. इसकी टिकाऊपन गुणवत्ता (Shelf life) अच्छी है. प्रति पेड़ उपज लगभग 55 से 65 किग्रा (60 एवं 65 टन प्रति एकड़) होती है. गुदा 3 से 3.5 सेमी मोटा, गहरा लाल और मीठा होता है। मिठास 13.5 से 15 ब्रीक्स होती है।
रेड लेडी (ताईवान ७८६): ये पपीते की सबसे प्रचलित किस्म है जो प्रति एकड़ 50 टन उत्पादन देती है और उचित रखरखाव से दो वर्षोंतक फल स्वरूप आमदनी दे सकती है। इसके फल का वजन फल का वजन 1.5-2 किग्रा तक होता है और एक पेड़ पर 50 से लेकर 120 पपीते लगते है (100 किलो से 240 किलो)। आधे मीटर के उचाई से फल लगना शुरू हो जाता है। फल की गुणवत्ता, गूदे की मोटाई अच्छी होती है और वह सक्त होता है। गूदे का रंग लाल, सुगंधित और मीठा होता है, मिठास 13-14 ब्रीक्स होती है। पपया रिंग स्पॉट व्हायरस से खुदकों बचाता है। सातवे महीने से पपीते बाजार मे जाना शुरू हो जाता है।
वाशिंगटन (Washington): खाने के लिए इस्तेमाल होने वाली पपीते की ये किस्म किसानों के बीच काफी लोकप्रिय है. इसके फल का वजन फल का वजन 1.5 से 2 किग्रा तक होता है और रंग गहरा पीला होता है. एक पेड़ से कम से कम 60 किलो तक फल निकलता है.
कुर्ग हनीड्यू: इसे मधूबिन्दु भी कहा जाता है। यह खाने के लिए और उद्योगों मे उपयोगी होती है। फल पीला-हरा और लंबा अंडाकार होता है। गुदा मोटा और स्वादिष्ट होता है। यह बौनी किस्म है. फल की औसतरन वजन 1.5-2.0 किलोग्राम होता है. प्रति पेड़ पैदावार लगभग 70 किलो है.
पूसा जायन्ट
इसके तनेबहुत मजबूत होते हैं. आंधी-तूफान झेलने में सक्षम. फल बड़े आकार के 2.5 से 3.0 किलोग्राम औसत वजन के होते हैं. प्रति पौधा औसत उपज 30 से 35 किलोग्राम तक होती है. इसका सबसे ज्यादा प्रयोग पेठा और सब्जी बनाने में किया जाता है. केनिंग के लिए इसी का इस्तेमाल होता है।
पूसा डेलिशियस
पौधे ज्यादा बड़े नहीं होते लेकिन फल खूब देते हैं. औसत उपज 58 से 61 किलोग्राम प्रति पौधा तक होती है और एक फल का औसत वजन 1.0 से 2.0 किलोग्राम तक होता है. गुदा नारंगी और स्वादिष्ट होता है।
पूसा ड्वार्फ
इस प्रजाति के पौधे छोटे होते हैं, जैसा नाम से ही प्रतीत हो रहा है. 30 सेमी से फल लगना शुरू हो जाता है। फल अंडाकार होते हैं जिसका वजन 1.0 से 2.0 किलोग्राम तक होता है. पैदावार 40 से 50 किलोग्राम प्रति पौधा है. पानी की सहन करने की इसकी क्षमता अच्छी होती है। सघन बागवानी के लिए सबसे बेहतरीन किस्म है.