क्या सोयबिन मे सल्फर उर्वरक का उपयोग करना चाहिए?

भारत में उर्वरकों के ढेरों उत्पादन बेचे जा रहे है। कीमतें तेज हैं और हर दिन फर्जी उत्पादों की खबरे आती रहती है। इस संदर्भ में, किसानों को उर्वरकों पर खर्च करते समय सतर्क रहना चाहिए।

यह लेख फसलों के लिए सल्फर के महत्व पर चर्चा करता है और अनेक महत्वपूर्ण सवालों के जवाब देता है।

सल्फर दो अमीनो एसिड, मिथियोनीन और सिस्टीन का एक घटक है, जो प्रोटीन और एंजाइम बनाने के लिए आवश्यक हैं। सल्फर क्लोरोफिल के उत्पादन में भी शामिल है, जो प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक है। 

सोयाबीन के पौधों में सल्फर की कमी से कई समस्याएं हो सकती हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • कम वृद्धि और उपज मे कमी 
  • पत्तियों का पीला पड़ना
  • फली का कमजोर  विकास
  • खराब गुणवत्ता वाले दाने

उपज और गुणवत्ता को प्राप्त करने के लिए, सोयाबीन के पौधों को पर्याप्त मात्रा में सल्फर की आपूर्ति की जानी चाहिए। सल्फर उर्वरक को मिट्टी में बुवाई से पहले या बढ़ते मौसम के दौरान सिचाई के रूप में लगाया जा सकता है।

सोयाबीन के पौधों को आवश्यक सल्फर की मात्रा मिट्टी के प्रकार, उगाई जा रही सोयाबीन की किस्म और अपेक्षित उपज के आधार पर अलग-अलग होगी। हालांकि, एक सामान्य नियम के रूप में, प्रति एकड़ प्रति वर्ष 2-4 किलोग्राम सल्फर का उपयोग करना चाहिए।

सल्फर के फायदे 

  • उपज: सोयाबीन के पौधों में सल्फर की कमी से वृद्धि और उपज मे कमी हो सकती है। अध्ययनों से पता चला है कि सल्फर उर्वरक का उपयोग करके सोयाबीन की उपज में 20% तक की वृद्धि की जा सकती है।
  • बेहतर प्रोटीन: सोयाबीन की दानों में उच्च प्रोटीन का उत्पादन करने के लिए सल्फर आवश्यक है। इसके कमी से दानों में प्रोटीन की मात्रा कम हो सकती है, जिससे उनकी कीमत कम हो सकती है।
  • कीटों और रोगों के प्रति बढ़ी हुई प्रतिरोध: सल्फर सोयाबीन के पौधों को कीटों और रोगों के प्रति प्रतिरोध बढ़ाने में मदद कर सकता है। उदाहरण के लिए, सल्फर से सोयाबीन सिस्ट नेमाटोड और सोयाबीन रस्ट होने को रोख लगती है 

कुल मिलाकर, सोयाबीन के पौधों के लिए सल्फर एक आवश्यक पोषक तत्व है और सोयाबीन की गुणात्मक और मात्रात्मक उपज में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और उनके उत्तर:

सोयाबीन के लिए सल्फर क्यों महत्वपूर्ण है?
सोयाबीन के पौधों के लिए सल्फर एक आवश्यक पोषक तत्व है। यह प्रोटीन, विटामिन और एंजाइमों का एक घटक है। सल्फर सोयाबीन की गुणवत्ता में सुधार करने में भी मदद करता है, जिससे उनके प्रोटीन और तेल की मात्रा बढ़ जाती है।

कौन से सल्फर उर्वरक का उपयोग करना चाहिए?

बाजार में कई अलग-अलग प्रकार के सल्फर उर्वरक उपलब्ध हैं। आपके लिए सबसे अच्छा उर्वरक आपके फसल, मिट्टी के प्रकार और बजट पर निर्भर करेगा। कुछ सामान्य प्रकार के सल्फर उर्वरक हैं:

  • सल्फर पाउडर: यह सल्फर का सबसे सस्ता रूप है, लेकिन यह पानी में घुलनशील नहीं है। इसलिए, इसे मिट्टी में बुवाई से पहले लगाया जाना चाहिए।
  • सल्फर डब्ल्यू डी जी: यह सल्फर का सबसे आम रूप है और यह पानी में घुलनशील है। इसे बुवाई से पहले या बढ़ते मौसम के दौरान लगाया जा सकता है।
सल्फर उर्वरक कब लगाना चाहिए?


सल्फर उर्वरक को मिट्टी में बुवाई से पहले या फसल वृद्धि दौरान लगाया जा सकता है। यदि आप एक ऐसी फसल उगा रहे हैं जो सल्फर की कमी के प्रति संवेदनशील है, तो बुवाई से पहले सल्फर उर्वरक लगाना सबसे अच्छा है।

सल्फर उर्वरक कहां लगाना चाहिए?

सल्फर उर्वरक को पूरे खेत में या खेत के उन विशिष्ट क्षेत्रों में लगाया जा सकता है जिनमें सल्फर की कमी है। यदि आप पूरे खेत में सल्फर उर्वरक लगा रहे हैं, तो इसे समान रूप से फैलाना महत्वपूर्ण है।

सल्फर उर्वरक लगाने के कुछ अतिरिक्त सुझाव:

  • उर्वरक लगाने से पहले मिट्टी की जांच करें ताकि सल्फर के स्तर का पता चल सके।
  • पतझड़ या वसंत की शुरुआत में सल्फर उर्वरक लगाएं, जब मिट्टी ठंडी और नम हो।
  • सूखी मिट्टी में सल्फर उर्वरक न लगाएं।
  • तनाव में वाले पौधों में सल्फर उर्वरक न लगाएं।
  • उर्वरक लेबल पर दिए गए निर्देशों का पालन करें।
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