
सल्फरयुक्त उर्वरकोंपर आपके सारे सवालों के जबाब
Share
किसान भाइयो, प्रश्न मंजूषा के रूप में विषय को समझाने पर, आपको इस विषय की गहरी जानकारी मिलेगी. मन की आशंकाए दूर हो जाएगी. इसलिए रिसेट एग्री के माध्यम से यह जानकारी यहा प्रस्तुत कर रहे है. आपके मन में कोईभी सवाल हो तो आप इस लेख के निचे दिए गये कमेन्ट बोक्स में सवाल पूछे, रिसेट एग्री आपके सवालों के जबाब देने के लिए कटिबद्ध है.
सवाल: फसल किस रूप में सल्फर को प्राप्त करती है?
जबाब: फसल की जड़ें सल्फर को बड़े पैमाने पर सल्फेट आयन के रूप में अवशोषित करती हैं. जबकि पत्तियाँ, इसे सल्फर डाइऑक्साइड गैस के रूप में अवशोषित करती हैं।
सवाल: फसल में सल्फर का अंश कितना होता है?
जबाब: एक स्वस्थ फसल में सल्फर की मात्रा 0.1 से 0.4 प्रतिशत के बीच होती है। यह मात्रा अन्य आवश्यक पोषक तत्वों जैसे फॉस्फोरस और मैंगनीज के लगभग बराबर है।
सवाल: फसल में सल्फर क्या कार्य करता है?
जबाब: सल्फर, प्रोटीन का एक आवश्यक घटक है. प्रोटीन के दो मुख्य अमीनो एसिड जैसे सिस्टीन और मेथिओनिन में सल्फर होता है. सल्फर के बजह से प्रोटीन को आकार मिलता है। यह एंजाइम का भी एक घटक है. जैविक नत्र स्थिरीकरण, उर्जा परिचलन में यह मुख्य रूप से शामिल है. इसके आलावा बायोटिन, थायमिन, कोएंजाइम जैसे विटामिन, के चयापचय गतिविधियों में सल्फर का समावेश है. यह तिलहनी फसलों की तेल गुणवत्ता में वृद्धि करता है. दलहनी फसलो में प्रोटीन के वृद्धि में इसका अहम महत्व है.
सवाल: किन परिस्थियों में फसल पर सल्फर की कमी हो सकती है?
जबाब: आमतौर पर साधारण (मध्यम से हल्की) मिटटी में जब व्यावसायिक फसले लियी जाती है, तब फसलों में सल्फर की कमी के लक्षण दिखाई देते है. विशेष रूप से सल्फर मुक्त उर्वरक इस्तेमाल करने से तथा फसल को बोरिंग, नहर या सिर्फ बारिश के पानी से सिंचित किया जाता है, तब सल्फर के कमी के लक्षण उभरकर आते है. जिस मिटटी में कार्बनिक पदार्थ कम होती है तथा मिटटी से पोषक तत्व प्रवाहित हो जाते है, तब सल्फर का अंश कम हो जाता है.
फसल और किस्म के आधार पर, जब सल्फर की मात्रा 0.1 या 0.2 प्रतिशत से कम हो जाती है, पौधे इसके कमी से पीड़ित हो जाते हैं। अधिकांश फसल प्रजातियों में जब सल्फर का प्रतिशत 0.20 से 0.25 होता है, तब सल्फर पर आधारित उर्वरको के इस्तेमाल के फायदे नजर आते है. जब फसल में नायट्रोजन और सल्फर का अनुपात १६ से अधिक होता है, फसलको सल्फर के कमी होने की पुष्टि होती है.
सवाल: सल्फर के कमी के लक्षण क्या है?
जबाब: क्योंकि पौधों में सल्फर स्थिर होता है, एक हिस्से से दुसरे हिस्से में प्रवाहित नही होता, इसकी कमी सबसे पहले नई पत्तियों पर दिखाई देते है. यह नई पत्तिया एक समान हल्के हरे रंग के रूप में दिखाई देती है, जिसके बाद वह पीले हो जाते हैं।
सवाल: क्या कमी के लक्षण देने पर ही सल्फर के उर्वरक इस्तेमाल करने चाहीए?
जबाब: जब फसल पर कमी के लक्षण दिखाई देते है, तब तक फसल की बढवार में कमी आ चुकी होती है. क्योंकि अब करीबन हर फसल व्यावसायिक स्तरों पर लियी जाती है, फसल की बढवार कम होने से नुकसान होता है. इसिलिये किसानों को हर फसल के बेसल डोस में सल्फर के उर्वरक का समावेश करना चाहिए.
सवाल: किन किन फसलों में सल्फर उर्वरक का सर्वाधिक महत्व है?
जबाब: क्योंकि सल्फर, एन पि के के बाद सबसे अधिक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है, हर फसल के बेसल और आवर्ती ड़ोसेस में सल्फर के उर्वरकों का उपयोग करना होगा. तिलहनि फसले (मूंगफली, रेपसीड और सरसों, सोयाबीन, सूरजमुखी, तिल और कुसुम), दलहनी फसले (बीन्स, चौड़ी फलियाँ, मटर, चना, लोबिया, अरहर, मसूर) और अन्य फसलें जिनमें सल्फर की अधिक आवश्यकता होती है ( (गोभी, शलजम ,प्याज,लहसुन) इसकी कमी से सबसे अधिक पीड़ित होते हैं। यहाँ तक कि गेहूँ और चावल जैसी अनाज की फसलें भी सल्फर के उर्वरक से लाभांन्वित होती है.
सवाल: किन किन उर्वरकों में सल्फर का समावेश होता है?
जबाब: सल्फर का समावेश अनेक उर्वरकों में होता है.
अनेक उर्वरक उनके सल्फेट स्वरूप में होते है. इनमे सल्फेट के मात्रा का प्रतिशत ब्रेकेट में दियी गयी है. इनका समाविष्ट सल्फर पानी में घुलता है.
- अमोनियम सल्फेट (२३%)
- पोटेशियम सल्फेट (१७.५%)
- अमोनियम फोस्फेट सल्फेट (१३%)
- अमोनियम फोस्फेट सल्फेट नायट्रेट (१३%)
- झिंक सल्फेट (१०%)
- मेंग्निज सल्फेट (१७%)
- कॉपर सल्फेट (१२%)
- फेरस सल्फेट (१०.५%)
- झिंक सल्फेट मोनो (१५%)
- मैग्नेशियम सल्फेट (१२%)
नॉन सल्फेट स्वरूप (पानी में घुलते नहीं)
- सल्फर कोटेड यूरिया (१७%)
- सिंगल सुपर फोस्फेट (११%)
सल्फर स्वरूप (पानी में नही घुलते)
- सल्फर ९०% पावडर (९०%)
- सल्फर ९०% ग्रेन्युलर (९०%)
- सल्फर ९० % डब्ल्यू डी जी (९०%)
- सल्फर ८० % डब्ल्यू डी जी (किटनाशक ग्रेड) (८०%)
- सल्फर ५२ % एस सी (कीटनाशक) (५२%)
- सल्फर-झिंक डब्ल्यू डी जी (६७%)
सवाल: क्या सल्फर छिडकाव से दे सकते है?
जबाब: सल्फर के डब्ल्यू डी जी फोर्म्युले का छिडकाव करने से फफूंद जनित रोग और लाल पिली मकड़ी का नियंत्रण होता है. लेकिन जब हवा ३५ डिग्री सेल्सियस असे अधिक हो, सल्फर का छिडकाव ना करे. पत्तिया जलने का खतरा होता है!
सवाल: क्या सल्फर मिटटी में मिला सकते है?
जबाब: सल्फर ९०% पावडर (९०%), सल्फर ९०% ग्रेन्युलर (९०%) बेसल डोस में मिला सकते है. लेकिन इनका इस्तेमाल आवर्ती डोस में ना करे क्यों की इसके परिणाम मिलने में देर लगती है.
सल्फर ९० % डब्ल्यू डी जी (९०%), सल्फर ८० % डब्ल्यू डी जी (किटनाशक ग्रेड) (८०%)
सल्फर ५२ % एस सी (कीटनाशक) (५२%), सल्फर-झिंक डब्ल्यू डी जी (६७%) का उपयोग बेसल डोस और आवर्ती डोस, दोनों में कर सकते है. इनको आप टपक सिचाई से भी दे सकते है.
सवाल: सबसे अच्छा और आधुनिक सल्फर उर्वरक कोनसा है?
जबाब: सल्फर मिल द्वारा उत्पादित टेक्नो झिंक ( सल्फर-झिंक डब्ल्यू डी जी) सबसे आधुनिक और उमदा उर्वरक है. इसे आप टपक सिचाई से दे सकते हो.
किसान भाइयो, इस प्रश्नमंजूषा के माध्यम से आपके अधिकतर सवालों के जबाब देने की कोशिश कियी गयी है. फिरभी आपके कुछ सवाल हो तो आप कमेन्ट में पूछ सकते हो.
सवाल: बनाम फफूंदी नाशक सल्फर का कोनसा स्वरूप इस्तेमाल करे ?
जबाब: सल्फर ९० % डब्ल्यू डी जी (९०%), सल्फर ८० % डब्ल्यू डी जी , सल्फर ५२ % एस सी यह तीनों स्वरूप फफूंदी के नियंत्रण के लिए इस्तेमाल कर सकते है।
सवाल: सल्फर के इस्तेमाल से कोन कोनसी फफूँदिया नियंत्रित होती है?
जबाब: अंगूर, आम, गुलाब, मूंगफली, फलिया, जीरा, मटार, मिर्ची, एपल, गवार और गेहू मे आनेवाले भूरी (पवदरी मिलडयू), टिक्का जैसे फफूँदो के नियंत्रण मे इसका उपयोग होता है। २ ग्राम प्रति लीटर के औसत से छिड़काव करे।
लेख पसंद आया हो तो शेअर करे.
धन्यवाद!