
बजट बिगाड़ने वाले फॉस्फेट खादों का उपयोग कैसे करे ?
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भाइयों और बहनों, आज हम बात करेंगे फॉस्फोरस की, यानी फसल का दूसरा सबसे जरूरी पोषक तत्व, जो नाइट्रोजन के बाद आता है. ये फूल और फल बनने के लिए बहुत जरूरी है. आजकल हमारी नई किस्म की फसलें ज्यादा पैदावार देती हैं, पर उनके लिए डीएपी, एसएसपी, 11-32-16 जैसे रासायनिक खादों की जरूरत होती है. पर अब सरकार इन खादों पर सब्सिडी कम कर रही है और दाम भी बढ़ते जा रहे हैं. ऐसे में ये समझना जरूरी है कि इन खादों का कैसे सही इस्तेमाल करें, ताकि खर्च कम हो और मुनाफा ज्यादा.
ध्यान रखने वाली बातें:
- 12-61-00 या 00-52-34 जैसे महंगे पानी में घुलने वाले खादों के मुकाबले, डीएपी, एसएसपी, 11-32-16 धीरे-धीरे फॉस्फोरस छोड़ते हैं. इसलिए इनकी पूरी मात्रा खेत तैयार करते समय ही डालनी चाहिए. बेड के बीच बिखरने से बचाएं.
- मिट्टी का पीएच (अम्लता) 6 से कम होने पर फॉस्फोरस मिलना मुश्किल होता है. पीएच बढ़ाने के लिए चूना (कैल्शियम कार्बोनेट) डालें. अगर मिट्टी ज्यादा क्षारीय है, तो जिप्सम (कैल्शियम सल्फेट) डालें.
- बीच-बीच में मूंगफली जैसी फलियां लगाने से मिट्टी का पीएच ठीक करने में मदद मिलती है. ये हवा से नाइट्रोजन भी खींचकर मिट्टी में देते हैं.
- हरी खाद फॉस्फोरस को पौधों के लिए आसानी से उपलब्ध कराने में बहुत कारगर है. धान्सा, सुनहेंप जैसी फलियों की जड़ें गहरी होती हैं, जो जमीन में जमे फॉस्फोरस को खींच लाती हैं.
- फूल आने पर 12-61-00 या फल लगने पर 00-52-34 का छिड़काव कर सकते हैं, लेकिन इससे लागत बढ़ेगी.
- फॉस्फेट घुलनशील जीवाणु खाद का इस्तेमाल एक अच्छा विकल्प है. इन्हें ड्रिप सिंचाई से या गोबर खाद में मिलाकर डाल सकते हैं. ये पौधों की जड़ों के पास फॉस्फोरस को घोलकर उन्हें देते हैं.
- माइकोराइजा नामक कवक पौधों की जड़ों के साथ मिलकर काम करता है, जिससे जड़ें ज्यादा फैलती हैं और फॉस्फोरस का लेना आसान हो जाता है. मक्का जैसी फसलों को लगाने से मिट्टी में माइकोराइजा बढ़ता है.
मुझे उम्मीद है इससे आपको फॉस्फोरस के महत्व और उसे कम लागत में इस्तेमाल करने के तरीके समझ में आए होंगे. इनमें से कई खाद और जीवाणु हमारे सहयोगी विक्रेता के पास उपलब्ध हैं, आप उनसे खरीद सकते हैं. कोई सवाल या सुझाव हों तो कमेंट में जरूर लिखें. धन्यवाद!