
ऐसा पोषक तत्व जिसके बिना रासायिक और ऑर्गेनिक फार्मिंग अधूरे है!
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नहीं? देखिए इसके कमी से फसलों में कई समस्याएं हो सकती हैं। जैसे कि:
- पत्तियां पीली हो जाती हैं
- फसल की वृद्धि रुक जाती है
- रोग और कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है
- उपज कम हो जाती है
देखिए, यह एन पि के में से एक नहीं है, कैल्शियम मेग्नेशियम तो हो नहीं सकता! तो फिर यह पोषक तत्व कोनसा है?
हाँ , यह सल्फर है. इसे गंधक भी कहा जाता है. सल्फर फसलों के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य करता है। यह प्रोटीन और एंजाइमों का निर्माण करता है, जिससे फसलों का मेटाबॉलिजम बढ़ता है और पौधे तेजी से पनपते हैं। यह पत्तियों में क्लोरोफील बनाने में भी मदद करता है, जिससे प्रकाश संश्लेषण में वृद्धि होती है।
सल्फर के लिए उर्वरकों का उपयोग किया जा सकता है। सल्फर युक्त उर्वरकों में अमोनियम सल्फेट, एसएसपी, एसओपी, मैग्नेशियम, जिंक या फेरस सल्फेट आदि शामिल हैं। लेकिन इनसे फसल की जरूरत पूरी नहीं हो सकती इसलिए हम लोग एलेमेंटल सल्फर का उपयोग उर्वरक के रूप में करते है. यह सल्फर का प्राकृतिक और शुद्ध रूप है। रसायन होने के बावजूद इसे ऑर्गेनिक फार्मिंग में इस्तेमाल की मान्यता दी जाती है।
अगर आप प्याज और लहसुन जैसी सल्फर का संग्रह करने वाली फसलें, गन्ने और केले जैसी दीर्घकालीन फसलें, सरसों, मूंगफली जैसी तिलहनी फसलें, अरहर, चने जैसी दलहनी फसलें ले रहे हैं तो आपको एलेमेंटल सल्फर देना जरूरी है। अन्य फसलें लेते हुए भी, 12 माह में एक बार एलेमेंटल सल्फर देना चाहिए।
एलेमेंटल सल्फर, सल्फर का शुद्ध रूप है। यह ठोस होता है और पानी में नहीं घुलता। इसे पीसकर पाउडर बनाया जाता है। इसे बेन्टोनाइट में मिलाकर इसके दाने बनाए जाते हैं। इस बेन्टोनाइट सल्फर का डोज़ प्रति एकड़ 10 किलो होता है। तथा इसे बुवाई के पहले बेसल डोस में मिलाकर देना चाहिए। इसकी खामी यह है कि यह फसल को धीरे-धीरे उपलब्ध होता है।
सल्फर ड्रिप इरिगेशन से भी दिया जा सकता है। इसके लिए सुपर माइक्रोनाइज़ सल्फर का उपयोग किया जाता है। इस सल्फर को पानी में मिलाने से यह तुरंत और आसानी से पानी में घुल जाता है। अब इस घोल को ड्रिप इरिगेशन से छोड़ा जा सकता है। प्रति एकड़ का डोज़ मात्र 3 किलो होता है।
सल्फर डब्ल्यूडीजी 90 प्रतिशत फॉर्म्युला उर्वरक के रूप में इस्तेमाल करते हैं। लेकिन छिड़काव के लिए यह इतना प्रभावी नहीं होता इसलिए सल्फर डब्ल्यूडीजी 80 प्रतिशत फॉर्म्युला बनाया गया है जिसमें स्प्रेडर और स्टिकर अधिक मात्रा में होते हैं। और इसका उपयोग फफूंदनाशी और मकड़ीनाशी के रूप में कर सकते हैं। इसका छिड़काव आसानी से हो जाता है और डोज़ 1 से 2 ग्राम प्रति लीटर का होता है। सिजेंटा का थायोन्यूट्री खरीदने हेतु यहां क्लिक करे.
जिंक और सल्फर दोनों ही फसलों के लिए महत्वपूर्ण पोषक तत्व हैं। जिंक प्रोटीन और एंजाइमों के निर्माण में मदद करता है, जबकि सल्फर क्लोरोफिल के निर्माण में मदद करता है। जिंक और सल्फर का फॉर्मूला इन दोनों पोषक तत्वों की कमी को एक साथ दूर करता है। यह फॉर्मूला गेहूँ, धान, फलसब्जिया और फलबाग़ानों में उपयोग किया जा सकता है।