
महंगे खाद डालकरभी गेहू की उपज क्यों नही बढती?
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नमस्कार किसान भाइयो, रिसेट एग्री के इस लेख में आपका स्वागत है. गेहू की बुवाई ताबड़तोड़ हो रही है. पिछले साल के हिसाब से इस साल गेहू का क्षेत्र बढ़ रहा है. मिनिस्ट्री ऑफ़ एग्रीकल्चर द्वारा दीए आकडों नुसार २९ अक्तूबर २०२२ तक ५४००० हेक्टर पर गेहू की बुवाई हो चुकी है जो पिछले साल के तुलनासे ५९ प्रतिशत ज्यादा है. इसमें मुख्य आकडे उत्तरप्रदेश, उतराखंड, राजस्थान और जम्मू कश्मीर से है.
यह तो सिर्फ शुरुआत है, अभी पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, गुजरात, मध्यप्रदेश, बिहार, गोवा, हिमाचल, जम्मू, महाराष्ट्र, छतीसगढ़, झारखण्ड, वेस्ट बेंगोल, आसाम, कर्नाटका के आकडे जुड़ना बाकी है. पिछले वर्ष के तुलना में इस वर्ष की बुवाई ४.२ करोड़ हेक्टर तक पहुचेंगी जो रेकोर्ड ब्रेक हो सकती है.
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इसके आलावा, तेल और दालों के भाव बढने से तथा दुनिया पर मंडराते महायुद्ध के खतरे से दलहन और तिलहन फसलों की बुवाई भी रेकोर्ड ब्रेक होने वाली है.
एक तरफ जहा बुआई के क्षेत्र में बेतहाशा बढ़ोतरी हो रही है, रासायनिक खादों के पूर्ति के लिए सरकारे झुज रही है. खादों के दाम बढ़ रहे है.
ऐसे में नकली, बनावटी और मिलावटी खाद बेचकर हमारेही भाईबंद हमारे थाली में छेड़ कर रहे है. हमेशा की तरह इन बदमाशों के तार नुक्कड़ से लेकर दिल्ली तक जुड़े हुए होते है. बेदाग़ कुर्ती चमचमाते आभूषण पहने ये बदमाश खादों में मिटटी से लेकर नमक और रंगोली की मिलावट करते है.
शीश महलों में रहने वाले और महंगी कारोंमें घुमनेवाले, संस्कारी महाठग तो रंगबिरंगी बेंगो में सिर्फ और सिर्फ मिटटी ही भरकर बेच देते है. आप इनके खिलाफ जितनी भी आवाज उठालो, दिल्ली के चोरों को सुनाई नही देगा!
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किसान भाइयो, फसल आप कितने बड़े क्षेत्र में लगते हो इसका कोई लाभ नही. अगर आप इस फसल का पोषण ठीक से कर पाए तो फसल की बढत अच्छी होगी और उपज बढ़ेगी. लेकिन अगर आप हजार रूपये खर्चा कर कर सिर्फ तो टक्के की मिटटी खेत में मिलाओगे तो फसल का ना पोषण होगा ना उपज को लाभ होगा.
ऐसेमे क्या करे?
- वक्त से पहले परखे हुए खादों की खरीद करे
- हो सके तो इनका विश्लेषण करे
- पक्की रसीद ले
- इस्तेमाल के बाद हर बोरीमें थोड़ा खाद बचाकर रखे
- खाद किसी और के भरोसे ना लगाए
- खुदका खाद वितरण केंद्र खोले
- भेड़ चाल छोड़े, जितनी खाद उपलब्ध हो उतनी ही बुवाई करे
- हर साल विदेश भ्रमण करने वाले विक्रेताओंसे खाद ना खरीदे
- चुनाव में आपके प्रति कटिबद्ध व्यक्तिको चुने. आपकी अनसूनी करनेवाले नेताओंको जुती के निचे रगड़े.
मिलावट कैसे होती है
- यूरिया में साधारण नमक, म्युरेट ऑफ पोटाश, एसएसपी, रॉक फास्फेट, चिकनी मिट्टी आदि की मिलावट का अंदेशा रहता है.
- डीएपी में क्ले मिट्टी जिप्सम की गोलियां.
- एसएसपी, एमओपी उर्वरकों में बालू एवं साधारण नमक.
- एनपीके में एसएसपी, रॉक फॉस्फेट, एनपीके मिश्रण.
- जिंक सल्फेट में मैगनिश्यिम सल्फेट.
- कॉपर सल्फेट एवं फेरस सल्फेट उर्वरक में बालू व साधारण नमक
खादों की जाच करने के कुच्छ नुस्के यहा दे रहे है.
- शुद्ध यूरिया चमकदार, लगभग समान आकार के दाने वाला, पानी में पूर्णतः घुलनशील होता है.
- शुद्ध यूरिया को पानी घोलकर छूने पर ठंडेपन का एहसास होता है.
- गर्म चम्मच पर रखने पर शुद्ध यूरिया के दाने पूरी तरह पिघल जाता है और ऑच तेज करने पर कोई अवशेष नहीं बचता
- थोड़ा सा पानी हथेली पर दो मिनिट तक पकड़े, उसमें 10-15 दाने यूरिया के डाले. शुद्ध यूरिया घुलते हुए पानी को ठंडा करेगा
- एक चम्मच यूरिया घोल में आधा मिलीलीटर बेरियम क्लोराईड मिलाने पर शुद्ध यूरिया का घोल स्वच्छ होगा, यदि सफेद पावडर बनता है तो यूरिया मिलावटी है.
- शुद्ध डी.ए.पी. के दानों का आकार एकदम गोल नहीं होता.
- असली डी.ए.पी. के दानों को गर्म करने प वे खुलकर दोगुने आकार के हो जाते है.
- असली डी.ए.पी. के दाने रगनेपर आसानी से नहीं फूटेंगे, मिलावटी डी.ए.पी. के दाने आसानी से टूटू जाते है.
- पीसे हुए डी.ए.पी. में चूना मिलाकर सूंघे. शौचालय जैसी अमोनिया की गंध आए तो उसमें नाइट्रोजन है. यदि गंध ना आए तो डी.ए.पी. मिलावटी है.
- असली सिंगल सुपर फास्फेट हथेली पर रगड़ने से टूट जाता है.
- शुद्ध जिंक सल्फेट पानी में पूरी तरह घुलनशील होता है, लेकिन इसका घोल यूरिया, पोटाश के घोल की तरह ठण्डा नहीं होता.
- जिंक सल्फेट के घोल में डी.ए.पी. के घोल को मिलाने पर प्युअर दही जैसाघना अवक्षेप बन जाता है.
किसान भाईयों, लेख आपको पसंद आया होगा, ऐसी आशा करता हु. लेख थोडा विद्रोही है लेकिन विद्रोह से ही देश और देशवासी तरक्की करेंगे.
कुछ शिकायत हो तो कमेन्ट करे. अन्य किसान भाइयों को जागरूक करने हेतु इस लेख को अवश्य शेअर करे.
धन्यवाद.