
क्या किसान मक्केके फसल से मुनाफा कमा सकता है?
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मक्के के उत्पादन में अमेरिका, चायना, ब्राझिल, यूरोप, अर्जेन्टीना और युक्रेन "भारत के आगे" है तो मेक्सिको, साउथअफ्रीका, रशिया और केनडा "भारत के पीछे" है. अमेरिका और चायना की उत्पादन क्षमता भारत के करीबन १० गुना ज्यादा है तो भारत की उत्पादन क्षमता रशिया, केनडा से दुगनी है.
भारतीय घरेलू मार्केटमे मक्के का इस्तेमाल कम होता है. अमेरिका और चायना मे मक्के का घरेलू इस्तेमाल भारत के १२ गुना ज्यादा है. इसिलिए, भारत का उत्पादन कम होने के बाबजुद भारत मक्के का एक्स्पोर्ट बांगलादेश, व्हिएतनाम, नेपाल, मलेशिया और म्यानमार जैसे देशोमे करता है. इस जानकारी का उपयोग किसान भाई मार्केट रेट के अनुमान के लिये कर सकते है. अगर प्रमुख उत्पादक देशोमे समस्या होती है तो रेट बढने की संभावना होगी.
भारतीय घरेलू मार्केटमे मक्के का इस्तेमाल कम होता है. अमेरिका और चायना मे मक्के का घरेलू इस्तेमाल भारत के १२ गुना ज्यादा है. इसिलिए, भारत का उत्पादन कम होने के बाबजुद भारत मक्के का एक्स्पोर्ट बांगलादेश, व्हिएतनाम, नेपाल, मलेशिया और म्यानमार जैसे देशोमे करता है. इस जानकारी का उपयोग किसान भाई मार्केट रेट के अनुमान के लिये कर सकते है. अगर प्रमुख उत्पादक देशोमे समस्या होती है तो रेट बढने की संभावना होगी.
इस लेख के माध्यमसे किसान भाई क्या सिख सकते है?
- फसल की लागत जीरो कैसे करे?
- मुनाफे की पहेली किस्त, फसल के कटाई के पहले कैसे कमाए?
- उर्वरक प्रबंधन कैसे करे?
- खरपतवार प्रबंधन कैसे करे?
- किटप्रबंधन कैसे करे?
- फफूंद प्रबंधन कैसे करे?
- लागत को कम कैसे रखे
हाल के दिनों में मक्के की फसल का महत्व अनोखे तरीके से बढ़ा है।
- पशु चारा उद्योग में मक्का की अत्यधिक मांग है।
- मनोरंजन, यात्रा और पर्यटन के क्षेत्र में "स्वीटकॉर्न" की मांग है।
- होटल क्षेत्र में, पश्चिमी व्यंजनों में "बेबीकॉर्न" की अत्यधिक मांग है।
- सिलेज के लिए ताजे मक्के के चारे की काफी मांग है।
रोपण के बाद जब फसल लहलाने लगे तब अगर आप एक हिस्सा चारे के रूप मे बेचेंगे तो फसल पे होनेवाला आपका खर्चा निकल आएगा। इसके बाद खेतों मे जो फसल बची है वो लागत से मुक्त है। अगर जलवायु या कीटों की मार से फसल पर असर होता है तोभी क्योंकि आपने लागल निकाल लियी है, आप पर कम असर होगा।
अगर आपने एक हिस्से मे स्वीटकॉर्न की बुवाई करी होंगी तो आप भुट्टोके लिए स्वीटकॉर्न बेचकर मुनाफे की पहेली किस्त पा सकते है।
मक्का एक तेजी से बढ़ने वाली फसल है, जिसके लिए बड़ी मात्रा में प्रोटीन और एंजाइम की आवश्यकता होती है। उर्वरक प्रबंधन सटीक होना चाहिए। फसलों के संतुलित पोषण केस साथसाथ फसल को कीटों एवं रोगों से बचाने पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
मक्के के खेतो मे पहेले 30-35 दिनोंतक खरपतवार को नियंत्रित करना होता है। ऐसे मे खरपतवार नाशी के छिड़काव से फलस को मदत मिल सकती है।
बुवाई से 5 दिन पहले बेसल उर्वरक की खुराक मिलाकर खेत तैयार कर लेना चाहिए।
बेसल उर्वरक की खुराक मे प्रति एकड़ 10-26-26 100 किलो, एमओपी 50 किलो, सूक्ष्म पोषक मिश्रण 10 किलो और सूक्ष्म सल्फर 3 किलो का समावेश करे। यह खुराक नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम, सल्फर, लोहा, जस्ता, मैंगनीज की आपूर्ति करेगा। फ़्यूरोडोन 3जी 5 किग्रा को बेसल खुराक में शामिल करने से तना छेदक, तना मक्खियों और तितलियों की प्रकोप में कमी आएगी।
अगर आप घरेलू बीज का उपयोग करेंगे तो शुरुवाती खर्चे मे बचत होगी। घरेलू बीज पर आप पावर बेंक (Carbendazim 25%+ Mancozeb 50% WS) से बीजसंस्कार करे जो बीज को सड़ने से तथा पौध को जलनेचे बचाएंगी ।
रोपण के 10 दिन बाद 3 किलो 19-19-19-19 डालें। रोपण के 30-35 दिन बाद 50 किग्रा यूरिया, 50 किग्रा एमओपी तथा 5 किग्रा सूक्ष्मपोषक मिश्रण फैलाकर डालें।
कीटनियंत्रण और फसल पोषण के लिए छिड़काव करने की आवश्यकता है.
मक्के मे तना छेदक, तना मक्खी, तैला या थ्रिप्स, आर्मीवर्म, हेलिकोव्हरपा, एफिड आदि किट का प्रकोप हो सकता है।
पहला छिड़काव, रोपण के 20-25 दिन बाद सिंजेंटा का अलिका दवा का करे तथा दूसरा छिड़काव यूपीएल के मेटास्टेसिस का करना चाहिए।
आजकल मक्के मे आर्मीवर्म का प्रकोप दिखाई दे रहा है। यह किट फसल के उपज पर गहरा असर डालती है। किटपर नजर बनाए रखने हेतु शुरुवातसे ही फेरोसेन्सर ट्रैप लगानेसे आर्मीवर्म पनपेगा नहीं।

अगर परिवेश मे नमी की मात्रा ज्यादा हो तो मक्के मे डाउनी, तुलासिता, गेरूआ और पत्ती झुलसा जैसे फफूँदिया असर दिखती है। इनकी रोकथाम हेतु ड्रोन 1 मिली प्रति लीटर के मात्रा से छिकड़ाव करे।
किसान भाइयो, इस ब्लॉग के माध्यमसे हमने आपको उपयोगी डेटा, जानकारी और ज्ञान देने की कोशिष कियी है. क्या आपको इससे मदत मिली है? कमेन्ट सेक्शन में अवश्य लिखे.
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