Collection: सी एम् एस उर्वरक

एन पि के के बाद तिन सबसे महत्व पूर्ण पोषक घटक है सल्फर. केल्शियम, मैग्नेशियम.

सल्फर: सल्फर को चौथा सबसे महत्वपूर्ण उर्वरक माना गया है. फसल को जितने नायट्रोजन की जरूरत होती है उसका छटा हिस्सा सल्फर लगता है. तो आगर आप ६ किलो नायट्रोजन या १२ किलो यूरिया दे रहे हो तो १ किलो सल्फर अवश्य दे. यह एक उर्वरक होने के साथ साथ फफूंदीनाशक, मकड़ीनाशक और भुसुधारक भी है.  मार्केट में सल्फर पेलेट, वेटेबल पावडर उपलब्ध है जो मिटटी में मिलाने के बाद ८-१२ महीने में धीरे धीर घुलते है. सल्फर डब्ल्यू डी जी स्वरूप में भी उपलब्ध होता है. यह उत्पादन सल्फर को बहोत महीन बनाकर फिर इसके पानी में तुरंत घुलने वाले ग्रेन्युल बनाए जाते है. यह मिटटी में मिलाने के बाद तीसरे दिन से फसल को फायदा देते है,  लिक्विड सस्पेंशन इतने फायदेमंद नही है. आज मार्केट में उपलब्ध उत्पादनों में सबसे किफायती, तकनीकी तौर पर उत्कृष्ट उत्पादन है टेक्नो झी. इस में ६७ प्रतिशत सल्फर और १४ प्रतिशत जिंक है. इसे प्रति एकड़ ४ किलो दे. ३रे दिन से असर दिखाता है.  

केल्शियम: यह पाचवा महत्वपूर्ण फसल पोषक माना गया है. पौधे में जहा भी जोड़ हो, मजबूती की जरूरत हो, केल्शियम की जरूरत होती है. इसके कमी से पौधों के तने, शाखाए फटती है, फल फटते है. अगर आप छह महीने से अधिक चलने वाली फसल की तैयारी कर रहे है तो बेसल डोस के साथ प्रति एकड़ ५ किलो केल्शियम नायट्रेट अवश्य दे. फुल लगेने पर, दाने भरते वक्त या फल बड़ा होते हुए प्रति एकड़ १ किलो का डोस रिपीट करे. अगर मिटटी में दोष है तो, फल लगने के बाद, १% केल्शियम नायट्रेट का घोल (१५ लिटर के पम्प में १५० ग्राम) छिडके. रासायनिक केल्शियम नायट्रेट और केल्शियम नायट्रेट उर्वरक में फर्क होता है. उर्वरक में केल्शियम नायट्रेट के साथ अमोनियम नायट्रेट मिला हुआ होता है जो केल्शियम की अपटेक में मददगार होता है. 

मेग्नेशियम: यह छ्टे नम्बर का अत्यावश्यक पोषक घटक है. इसे मेग्नेशियम सल्फेट के स्वरूप में फसलों को दिया जाता है.  बेसल डोस के साथ ८ से १० किलो प्रति एकड़ इस्तेमाल करे. इसे आम भाषा में इप्सम सॉल्ट या बाथ (नहाने) साल्ट भी कहा जाता है. 

 इसमें से कुछ उत्पादन ऑनलाइन उपलब्ध है. छुट के आलावा आपको कॅश बैक, बैंक ऑफर, पार्टनर ऑफर, आसान किश्तों में भुगतान जैसे अनेक लाभ मिल सकते है.  एक बार आजमाकर देखे.

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