Collection: कपासका किट प्रबंधन

फसलके किट प्रबंधन के दो अलग अलग परिदृश्य हो सकते है। 

  • परिदृश्य १ : फसल मे कोईभी किट अनियंत्रित तरीकेसे नहीं बढ़ पाती। फसल की सेहत अच्छी होती है और वह अपने आनुवंशिक गुणों नुसार बेहतर उपज देती है। 
  • परिदृश्य २ : फसल पर कीटोंका नियंत्रण हो जाता है। फसल की सेहत खराब हो जाती है और उसके उपज मे कमी आने की संभावना बन जाती है।   

आपकी फसल मे आपको कैसा दृश्य दिखाई दे रहा है, इसपर आपके फसल का किट प्रबंधन तय करे।

अगर प्रथम परिदृश्य दिखाई दे रहा है तो आपके फसल मे किट प्रबंधन हेतु आप स्टीकी ट्रैप, लाइट ट्रैप, फेरोमोंन, नीम आधारित किट नाशक, बवेरिया और बेसिलस थूरिनजेन्सिस जैसे जैविक किटनाशकों का प्रयोग कर सकते है। साथ मे आपको फसल के अवस्था नुसार उर्वरक संतुलन बनाए रखना होगा। किसी भी अतिरिक्त उर्वरक और वृद्धि नियंत्रक की जरूरत शायद ही लगेगी। खर्चा बचेगा और उपज भी अच्छी होगी। 

लेकिन अगर आपके फसल मे दूसरा परिदृश्य दिख रहा है या दिखाई देने की आहत हो रही है तो आपको आधुनिक किट नाशकों की जरूरत होगी। अगर आपके फसल मे सफेद मक्खी, फुदका (जैसिड), एफिड
तैला या थ्रिप्स, बॉलवर्म, गुलाबी सूँडी, तंबाखू सूँडी जैसी कीटों को फैलाव दिखाई दे रहा है, तो आपको अदल-बदल कर लांसर गोल्ड, अलिका, काइट, रंगीला, एम्पलीगो, सुमीप्रेम्प्ट जैसी दवाईयो का छिड़काव करना होगा। साथ मे आप लोह, झिंक, मेंगनीज युक्त सूक्ष्मअन्नद्रव्योंका, विपुल, डबल, प्लेनोंफिक्स, मीराक्यूलान जैसे वृद्धिनियंत्रकों का छिड़काव करना होगा और जड़ों द्वारा फसल के अवस्था नुसार एन पी के की मात्रा देनी होगी जिसमे अगर फसलपर अभी फूल नहीं लगे हो तो प्रति एकड़ ३ किलो १९-१९-१९, अगर फूल लगे हो तो प्रति एकड़ ५ किलो १२-६१-००  और फल लगे हो तो प्रति एकड़ ८ किलो ००-५२-३५ समावेश होगा। 

अगर आपके फसल मे सफेद मक्खी, फुदका (जैसिड), एफिडतैला या थ्रिप्स, बॉलवर्म, गुलाबी सूँडी, तंबाखू सूँडी जैसी कीटों को फैलाव दिखाई दे रहा है, तो आपको अदल-बदल कर लांसर गोल्ड, अलिका, काइट, रंगीला, एम्पलीगो, सुमीप्रेम्प्ट जैसी दवाईयो का छिड़काव करना होगा।