Collection: साइलेज

पशुपालकों के लिए सायलेज (Silage, Murghas) एक वरदान है. यह एक चारे का प्रकार है जिसे सालभर के लिए जमा और इस्तेमाल किया जा सकता है. इस दरम्यान चारे की पोषकता मे कोई कमी नहीं होती.  

सितंबर से लेकर मे-जून तक पशुओ के लिए हरा उपलब्ध नहीं होता. लेकिन अगर हरे चारे को थोड़ा सुखाकर, उसके एक इंच के टुकड़े करके, उन्हे दबाकर हवाबन्द किया  गए तो वह एक वर्ष तक उपयोग मे लाए जा सकते है. तैयार करते समय इसमे नमक, गुड और लेक्टोबेसिलस का कल्चर (Silage culture) मिलाने से सायलेज अधिक पोषक बनाता है. हवा बंद करने के शुरुआती ३० से ४५ दिनों मे लेक्टोबेसिलस लेक्टिक एसिड बनाकर चारे को खट्टा बनाता है. जिसके बाद इसका उपयोग किया जा सकता है.  यह टेस्ट पशुओं को पसंद आती है. इसमे लेक्टोबेसिलस होनेसे पशुओ की पचन शक्ति मे भी सुधार होता है.   

प्रति दिन प्रति पशु को २० से २५ किलो तक सायलेज दिया जा सकता है. 

अगर किसान खुद सायलेज बनाएगा तो उसका खर्चा ३ से ४ रु प्रति किलो होता है. इस चारे को मार्केट मे ७ से ८ रुपये प्रति किलो के दर से भाव मिलता है.  ग्रामीण युवा इस व्यवसाय से अच्छा मुनाफा कमा सकते है. मक्का, नेपियर घास जैसी घासो का सायलेज बनाया जा सकता है. मक्के के दानों मे दूध भरने पर मक्के की कटाई करनी होती है।

सायलेज बनाने हेतु लगने वाले कल्चर, शाफ कटर, बैग यहा अच्छे दामों मे उपलब्ध किए जा रहे है. अवश्य लाभ उठाए. 

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