सिंचाई की शक्ति को उजागर करना: उत्तर प्रदेश में कृषि विकास के लिए एक उत्प्रेरक
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उत्तर प्रदेश में कृषि उपज पर सिंचाई सुविधाओं का महत्व एवं प्रभाव
उत्तर प्रदेश में कृषि उत्पादन के लिए सिंचाई सुविधाएं आवश्यक हैं। राज्य की जलवायु अर्ध-शुष्क है, औसत वार्षिक वर्षा लगभग 1000 मिमी है। हालाँकि, वर्षा पूरे वर्ष असमान रूप से वितरित होती है, और अक्सर सूखे की स्थिति होती है। सिंचाई सुविधाएं यह सुनिश्चित करने में मदद करती हैं कि फसलों को बढ़ने और अच्छी पैदावार देने के लिए पर्याप्त पानी मिले।
उत्तर प्रदेश में सिंचाई का कृषि की उपज पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के एक अध्ययन में पाया गया कि सिंचाई से फसल की पैदावार 50% तक बढ़ सकती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि सिंचाई यह सुनिश्चित करती है कि फसलों को बढ़ने और बायोमास का उत्पादन करने के लिए पर्याप्त पानी मिले, जो उच्च पैदावार के लिए आवश्यक है।
सिंचाई से फसलों की गुणवत्ता में भी सुधार होता है। सिंचाई के तहत उगाई जाने वाली फसलें आम तौर पर स्वस्थ होती हैं और सिंचाई के बिना उगाई जाने वाली फसलों की तुलना में उनका पोषण मूल्य अधिक होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि सिंचाई से फसलों को तनाव से बचाने में मदद मिलती है, जिससे पोषक तत्वों की कमी और अन्य समस्याएं हो सकती हैं।
उत्तर प्रदेश में सिंचाई सुविधाओं की स्थिति
उत्तर प्रदेश में अपेक्षाकृत अच्छी तरह से विकसित सिंचाई प्रणाली है। राज्य में शुद्ध सिंचित क्षेत्र लगभग 80% है, जो राष्ट्रीय औसत 60% से अधिक है। उत्तर प्रदेश में सिंचाई के मुख्य स्रोत नहरें, कुएँ और ट्यूबवेल हैं।
उत्तर प्रदेश की नहर प्रणाली भारत की सबसे बड़ी नहर प्रणाली में से एक है। राज्य में 74,000 किमी से अधिक नहरों का नेटवर्क है। हालाँकि, नहर प्रणाली को पानी की कमी, गाद जमा होना और खराब रखरखाव सहित कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
उत्तर प्रदेश में कुएँ और ट्यूबवेल भी सिंचाई के महत्वपूर्ण स्रोत हैं। राज्य में 20 मिलियन से अधिक कुएं और ट्यूबवेल हैं। हालाँकि, भूजल के उपयोग से राज्य के कई हिस्सों में जल स्तर में गिरावट आई है।
उत्तर प्रदेश में सिंचाई सुविधाओं का पूर्वानुमान
उत्तर प्रदेश सरकार राज्य में सिंचाई सुविधाओं के विस्तार के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार ने 2030 तक शुद्ध सिंचित क्षेत्र को 90% तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।
सरकार राज्य में सिंचाई सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए कई परियोजनाओं में निवेश कर रही है। इन परियोजनाओं में शामिल हैं:
- केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना: यह परियोजना बुन्देलखण्ड क्षेत्र में केन और बेतवा नदियों को जोड़ेगी। इस परियोजना से 6.35 लाख हेक्टेयर भूमि के लिए सिंचाई क्षमता पैदा होने की उम्मीद है।
- सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना: इस परियोजना से पूर्वी उत्तर प्रदेश में 14 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई मिलेगी।
- लखवार व्यासी बांध: यह बांध उत्तराखंड में यमुना नदी पर बनाया जा रहा है। इससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 11 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई मिलेगी।
इन प्रमुख परियोजनाओं के अलावा, सरकार छोटे पैमाने की सिंचाई परियोजनाओं, जैसे खेत तालाबों और वर्षा जल संचयन संरचनाओं के निर्माण में भी निवेश कर रही है।
उत्तर प्रदेश में सिंचाई सुविधाओं के विस्तार से राज्य के कृषि उत्पादन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। ऐसा अनुमान है कि सिंचाई से फसल की पैदावार 50% तक बढ़ सकती है। इससे राज्य में खाद्यान्न, गन्ना और अन्य कृषि उत्पादों का उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी।
सिंचाई सुविधाओं के विस्तार से उत्तर प्रदेश में किसानों की आजीविका में सुधार करने में भी मदद मिलेगी। सिंचाई की सुविधा वाले किसान अधिक उपज पैदा करने और अधिक आय अर्जित करने में सक्षम हैं। इससे राज्य में गरीबी कम करने और किसानों की समग्र भलाई में सुधार करने में मदद मिलेगी।