
तरबूज और खरबूज का साइज, मिठास और चमक कैसे बढाए?
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रिसेट एग्री के विशेष लेख में आपका स्वागत है. भारतीय किसानों के लिए बेहतर मुनाफा, खुशहाल जिन्दगी, यह हमारा नारा है. इसीलिए लेखो की रचना, कृषि की लागत कम करते हुए मुनाफा बढ़ाने के हिसाब से कियी जाती है. आपको हमारा यह प्रयास पसंद आएगा ऐसी आशा करते है. इस वेबसाइट के मेनू में जाकर आप हमारे अन्य ब्लॉग पढ़ सकते है!
जायद की फसलों में तरबूज और खरबूज की फसल से किसानों को अच्छा लाभ होता है. किसान अक्सर मल्चिंग शिट और ड्रिप के मदद से इन फलों की उपज लेते है.
किसी कारण अगर फलों की बढवार में कमी रही, या इनकी चमक और मिठास कम रही तो किसानों को मन चाहा भाव और उपज मिलने में, परेशानी का समाना करना पड़ सकता है. जलवायु में होते बदलाव, रोग कीटों का प्रभाव और मिटटी के दोषों के कारण ऐसा हो सकता है. इन समस्याओं को निपटने हेतु यहा कुछ उपाय दे रहे है, आप इनपर अवश्य गौर करे.
पोटाश की कमी
एन पि के घटकों में पोटाश की जरूरत फुल और फल खिलने के समय सबसे अधिक होती है. अगर किसी कारणवश आप फसल को पोटाश का मात्रा देने में असफल रहे है तो इसे पूरा करने के लिए, फलो के बढवार होते वक्त, ७ दिनों के अन्तराल से, प्रति एकड़ ३ किलो सल्फेट ऑफ़ पोटाश (एसओपि), कम से कम तिन बार अवश्य दे. अगर आप यह खुराक पहले ही दे चुके है तो आप ड्रिप के माध्यम से पोटाश मोबिलाइझर बेक्टेरिया प्रति एकड़ १ लिटर के औसत से दे सकते है. (संदर्भ)
सिलिकॉन की कमी
तरबूज और खरबूज समित खीरावर्गीय फसलों पर किए गये अभ्यास से पता चला है के यह फसले, गन्ना और धान जैसे, सिलिकॉन को जमा नही करती. लेकिन, अगर इनपर सिलिकॉन का छिडकाव किया गया तो वे गर्मी, मिटटी की क्षारीयता तथा किट रोगों का सामना अधिक प्रभावशाली तरीकेसे करती है. सिलिकॉन के प्रभाव से फसल अन्य उर्वरकों को मिटटी से अधिक प्रभावी तरीकेसे अवशोषित करती है, जिससे फल तेजी से बड़े होते है. (संदर्भ)
आर्थिक रणनीति
किसान भाइयों, उपरोक्त जानकारी के आधार पर निर्णय लेने से पहले आप आपना हिसाब लगाए. आपकी लागत कितनी हुई है और उपज को क्या भाव मिलने वाले है? अगर किसी कारण वश, आमदनी में दिक्कत हो तो कोईभी खर्चा करने से बचे. अगर मार्केट अच्छी हो और ग्राहक अच्छे उपज के लिए दाम बढ़ाने के लिए राजी हो तो आप उपरोक्त उपाय करते हुए अधिक मुनाफा कमा सकते है.