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किसान अपने उपज का मार्केटिंग कैसे कर सकता है?

किसान अपनी फसल का मार्केटिंग कैसे कर सकते हैं?

किसान भाईयो विज्ञापन युग है। हर चीज का विज्ञापन होता है। यूनिटी मनोरंजन हमारा करने के लिए विज्ञापन और ज्ञानवर्धन करने के लिए सारा खर्चा करता है और इसी तरह की चीजें छिपी होती हैं। कैसे?

  • अखबार से अगर विज्ञापन निकाल दिया गया तो अखबार की किमत 25 से 50 गुना हो जाएगी। अखबार को विज्ञापन से जो पैसा मिलता है उसे अखबार बना दिया जाता है ताकि अधिक से अधिक लोग उसे खरीद सकें!
  • ज्वेलर, फेशन कंपनियां ढेर सारे सिरियल्स पर पैसा लगाती हैं। इनमे काम करने वाली महिलाएं नए नए फैशन के कपड़े और ज्वेलरी पहनती हैं। उन्हें देखकर सिरियल्स देखने वाली महिलों में यह चीज खरीदने की इच्छा पैदा होती है!
  • YouTube पर लोग ढेर सारे वीडियो साझा करते हैं। हम लोग मुफ़्त में देखते हैं। YouTube वीडियो पर विज्ञापन विज्ञापन और पैसा कमाता है। इसमें से कुछ पैसा वह वीडियो बनाता है

तो क्या किसान विज्ञापन द्वारा अपनी भविष्यवाणी का मार्केटिंग कर सकता है?

मार्केटिंग (व्यापार) तो करना ही होगा, लेकिंग उसे शास्त्रों का शुद्ध होना चाहिए। सबसे पहले हमारे मार्केटिंग के क्रम को ध्यान में रखना है। यह क्रम कुछ इस तरह होता है...

  • विज्ञापन
  • समान/ विज्ञापन पत्र/ प्रचार
  • जनसंपर्क/पब्लिक रिलेशन
  • प्रकाशन/प्रचार/पब्लिसिटी
  • मार्केटिंग
  • विक्री
  • टू माउथ माउथ पब्लिसिटी

इस क्रम को समझने का एक तरीका है।

  • जल्द ही आपके शहर में बोम्बे आ रहा है। यह विज्ञापन है
  • बोम्बे सर्कस का एक भव्य हाथी, उस पर जोकर बिठाकर शहर भर में छत जैसा दिखता है
  • शहर की नामी हस्तिया इस हाथी को अपने पेट में बुलाकर केले खिलाती है, यह जनसंपर्क है
  • हाथी को केले खिलाती शहर की सनक के फोटो अखबार में छपता है, यह सार्वजनिकता है
  • इससे प्रभावित लोग सर्किल के मैदान पर आते हैं, यह भव्यता से परिचित होते हैं। सर्कस में शामिल कलाकार, मांसभक्षी, कसरतो (मार्केटिंग) के बारे में जानकारी जानकर टिकट खरीदा जाता है - यह विक्री है
  • जो लोग सर्कस देखकर अन्य लोग इसके शानदार मजेदार-पैसा होने की बात कहते हैं, जिसे सुनकर और भी लोग भीड़ लगाते हैं। यह "मुँह से मुँह तक पब्लिसिटीसिटी" है

इस पूरी प्रक्रिया में "मुँह से मुँह तक पब्लिसिटी" यह एक तरीका है जो आपको भरभर कर देगा। ज़हर पर विज्ञापन - जैसे - जनसंपर्क -सार्वजनिकता-मार्केटिंग और विक्री को दोहराते हुए आपको "टू माउथ पब्लिसिटी" का ज़ोर रहता है।

अगर भी यह सर्कस का उदाहरण दिया गया है, तो हम सभी जानते हैं कि आजकल के सर्कस में वो बात नहीं हो रही है जो पहले कभी थी। सर्कस की जगह अब एम्यूजमेंट पार्क में ली गई है। जो गावगाव नहीं।

एग्रो मार्केटिंग के बेज़ पर छुट है!

तो हमारे प्रोडक्शन की प्रासंगिकता होगी। अगर आप गलत प्रोडक्शन लेते हैं, जो प्रासंगिक नहीं है, चाहे कितना ज्यादा लगाओ...व्यापार नहीं होगा! लेकिन अगर आप संबंधित प्रोडक्ट की मार्केटिंग उचित जगह और उचित तरीके से करेंगे तो आपके रथ को कोई रोक नहीं होगा! वक्त के साथ प्रोडक्शन की प्रासंगिकता गी. इसे ध्यान में रखते हुए "उत्पादन में बदलाव" कर उसे प्रासंगिक रखना होगा।

रीसेट कृषि के "किसान बाजार" इस ​​ब्लॉग में आपको एग्रो मार्केटिंग के बारे में ढेर सारे लेख पढ़ने को मिलने वाले हैं। इसके आलावा हमारे अन्य ब्लॉग कुछ इस प्रकार है.

बाते भिकारी की
किसान मनोवैज्ञानिक
किसान कैसे कमाए ?
मेरे देश की मिट्टी: मिट्टी प्रबंधन
स्थिति संतुलन करनेवाला प्रबंधन
फ़िजी प्रबंधन
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