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भारत में ख़रीफ़ फसलों की बुआई गति पकड़ रही है

भारत में ख़रीफ़ फ़सलों की बुआई एक महत्वपूर्ण कृषि गतिविधि है, क्योंकि यह मानसून के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है। मानसून की बारिश ख़रीफ़ फसलों की वृद्धि के लिए आवश्यक है, जो बरसात के मौसम में बोई जाती हैं।

16 जून 2023 तक, भारत में ख़रीफ़ फसलों का कुल क्षेत्रफल 49.48 लाख हेक्टेयर (हेक्टेयर) है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि से 13.92% अधिक है। क्षेत्रफल में बढ़ोतरी का श्रेय अच्छी मानसूनी बारिश और अनुकूल मौसम स्थितियों को दिया जा रहा है।

जिन फसलों के क्षेत्रफल में सबसे अधिक वृद्धि देखी गई है वे हैं चावल, दालें और मोटे अनाज। चावल की खेती का क्षेत्र 14.66% बढ़ गया है, दालों की खेती का क्षेत्र 57.27% बढ़ गया है, और मोटे अनाज की खेती का क्षेत्र 64.19% बढ़ गया है।

तिलहन एकमात्र प्रमुख खरीफ फसल है जिसके क्षेत्रफल में गिरावट देखी गई है। तिलहन की खेती का रकबा 14.41% घट गया है। यह कई कारकों के कारण है, जिनमें कम कीमतें और आयातित तिलहनों से बढ़ती प्रतिस्पर्धा शामिल है।

ख़रीफ़ फ़सलों की बुआई अभी भी जारी है और उम्मीद है कि आने वाले हफ़्तों में खेती का रकबा बढ़ता रहेगा। सरकार अच्छी ख़रीफ़ फसल सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठा रही है, जिसमें किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करना और उन्नत बीजों और उर्वरकों के उपयोग को बढ़ावा देना शामिल है।

निष्कर्ष:

भारत में ख़रीफ़ फ़सलों की बुआई में तेज़ी आ गई है और आने वाले हफ़्तों में खेती के रकबे में बढ़ोतरी जारी रहने की उम्मीद है। सरकार अच्छी खरीफ फसल सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठा रही है और उम्मीद है कि इस साल किसानों को अच्छी फसल मिलेगी

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