प्याज के लिये उर्वरक संतुलन कैसे करे?

प्याज के लिये उर्वरक संतुलन कैसे करे?

किसान भाइयो, उर्वरक संतुलन के लिए उपज का लक्ष्य, फसल की प्रजाति, उर्वरको की गुणवत्ता, मिटटी का स्वास्थ्य एव प्रकार, सीजन, मेनेजमेंट प्रकार इनकी जानकारी होना बेहद जरूरी है. हर किसान को अपने ज्ञान, अनुभव और संसाधनों नुसार उचित परवर्तन करने होते है. उर्वरक संतुलन के माध्यम से फसल की बढवार तेज रखते हुए उसकी रोग-किट प्रतिकार क्षमता भी बनाए रखना संभव है. इस लेख के माध्यम से आपको उपयुक्त जानकारी दे रहे है.  

एन पि के उर्वरक 

भारतीय कृषी अनुसंधान परिषद के प्याज और लहसून संशोधन निर्देशालय, राजगुरू नुगर, पुणे नुसार प्याज के उर्वरकों की जरुरुत उसके उपज, प्रजाति, उर्वरक के गुणवत्ता, मिटटी का स्वास्थ्य और सीजन अनुसार बदलती है. यहां किए गए संशोधन से पता चला है के अगर प्याज का उत्पादन 170 कुंटल प्रति एकड़ रहा तो उसे 40 किलो नत्र, 15 किलो फोस्फेट और 25 किलो पोटाश का जरुरुत होगा. पहाड़ी क्षेत्र में फसल की उपज और कार्यकाल लम्बा होने से उर्वरको की जरूरत करीबन डेढ़ गुना बढती है.

नत्र की एक तिहाई मात्रा , फोस्पेट और पोटाश की पूर्ण मात्रा बेसल डोस के साथ मिलाए. नत्र की उर्वरित मात्रा के दो हिस्से बनाकर रोपण के ३० और ४५ दिन (पहाड़ी क्षेत्र के लिए ३० और ६० दिन) बाद देने है.

किसी कारण वश फसल की बढवार सामान्य से कम हो तो वाटर सोल्युबल एन पि के १९-१९-१९ ५ ग्राम प्रति लिटर के औसतसे छिडके. इसे रोपण के ३०, ४५ और ६० वे दिन देना होगा. इससे बढवार में अवश्य लाभ मिलेगा.

कम्पोस्ट

मिटटी में मिलाए जाने वाले कम्पोस्ट की जरूरत उसके नायट्रोजन कंटेंट अनुसार निकालनी होगी और इसके माध्यम रासायनिक उर्वरक से जो नत्र लगता है उतना ही कम्पोस्ट दिया जाना चाहिए, जो करीबन ६ से ७ टन प्रति एकड़ होगा.

सल्फर की जरुरुत

प्याज के फसल में सल्फर का अनन्य साधारण महत्व है. इसे बेसल डोस के साथ देना है. अगर आप टेक्नो झिंक का इस्तेमाल कर रहे है तो प्रति एकड़ ४ किलो इस्तेमाल करे. बेंटोनाईट सल्फर फोर्म्युला हो तो प्रति एकड़ ६ किलो सल्फर इस्तेमाल करे. अगर मिटटी जाच अनुसार आपके मिटटी में सल्फर की मात्रा २५ किलो प्रति हेक्टेअर से कम हो तो सल्फर के डोस को दुगना करे.
पहाड़ी क्षेत्र के लिए, सल्फर के डोसेस करीबन दुगने रखे.

सूक्ष्मअन्न द्रव्य पोषण

सुनियोजित सूक्ष्मअन्न द्रव्य व्यवस्थापन से प्याज के उपज में ७ से १५ प्रतिशत की बढवार होती है. अगर मिटटी जाच में सूक्ष्मअन्नद्रव्य की कमी दिखाई दे रही है तो रोपोर्ट अनुसार इनके डोस बेसल डोस में मिलाने होगे. अगर सल्फर के लिए आपने टेक्नो जिंक इस्तेमाल किया हो तो झिंक उर्वरक अलग से देने की जरूरत नही होगी. अन्यथा प्रति एकड़ ४ किलो झिंक सल्फेट (२१%) अवश्य दे. बोरानकी कमी दूर करने हेतु प्रति एकड़ ३ किलो बोरेक्स देना होगा.

रोपण के बाद ४५ वे तथा ६० वे दिन, ऐतियातन, मायक्रोन्यूट्रिअंट कोम्बी ii १ ग्राम या मिली प्रति लिटर अनुसार छिडकाव करे. जिस जगह आप प्याज की फसल ले रहे है वहा अगर इसके पूर्व धान या गन्ना लिया हो तो, २ मिली प्रति लिटर के हिसाब से ओर्थो सिलिकिक एसिड का प्रयोग करने से किट रोगों की रोकथाम करने में मदत मिलेगी, उपजमें भी लाभ होगा.

सूक्ष्मजीवों का उपयोग

बायो फर्टिलाइजर तथा बायोपेस्टीसाइड के अच्छे परिणाम मिलने हेतु मिटटी में ऑर्गेनिक कार्बन का अनुपात ०.५ प्रतिशत से अधिक होना आवश्यक है. प्याज के लिए आप अझोस्पिरिलम, पि एस बी और केएसबी इन जीवाणु खादों का प्रयोग कर सकते है. इनके डोस १ किलो या १ लिटर प्रति एकड़ के हिसाब से, कम्पोष्ट के साथ दे. ट्रायकोडर्मा, बव्हेरिया, मेटारायझीअम, तथा पेसिलोमायसेस इनका उपयोग १ किलो प्रति एकड़, कम्पोस्ट में मिलाकर देने से फफूंद, निमेटोड, सफेदलट का प्रकोप कम किया जा सकता है.

संदर्भ: प्याज और लहसून संशोधन निर्देशालय, राजगुरू नुगर, पुणे 

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