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कार्बन क्रेडिट क्या है?

कार्बन क्रेडिट क्या है?

आपकी खेती से पर्यावरण को मिलने वाले फ़ायदों के लिए आपको कार्बन क्रेडिट की पूर्ति करनी होगी। मनो ये एक तरह का "ग्रीन रसायन" है, जो दिखाता है कि आपकी खेती से वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा कम हुई है।

कार्बन डाइऑक्साइड कम करने के तरीके:

  • पेड़ लदान: आप अधिक मात्रा में पेड़ लाएंगे, समान मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड वो सोखेंगे।
  • खेत में जलवायु अनुकूल तरीके अपनाना: जैसे कि प्राकृतिक खाद का उपयोग करना, कम पानी में फसल उगाना, या मिट्टी की सेहत का ध्यान रखना।
  • खेत में बिजली की बचत: सौर मंडल या सौर मंडल का उपयोग करके आप कार्बन कम कर सकते हैं।

कार्बन क्रेडिट से आपको क्या लाभ होगा?

  • अतिरिक्त कमाई: आप इन क्रेडिट्स को कंपनी में बेच सकते हैं, जिसमें आपके लिए कार्बन डाइऑक्साइड कमाना जरूरी है।
  • खेती में सुधार: क्रेडिट खोज के लिए आप नई तकनीक अपनाएंगे, जिससे आपकी खेती और भी अच्छी होगी।
  • पर्यावरण संरक्षण: आपकी मेहनत से प्रदूषण कम होगा और धरती की सेहत सुधरेगी।

याद रखें:

  • कार्बन क्रेडिट कोई सरकारी योजना नहीं है।
  • आपको ये दिखाएंगे कि आपकी खेती से कार्बन डाइऑक्साइड का स्टॉक कम हुआ है।
  • ये क्रेडिट्स स्टॉक वाली कंपनी की तलाश आपको खुद करनी होगी।

कार्बन क्रेडिट प्रोडक्शन जो भारत में किसानों के लिए काम कर रही हैं:

  • इंडिगो: यह महिको (भारत) और इंडिगो एजी (यूएसए) का जॉइंट वेंचर है, और यह किसानों के साथ मिलकर क्लाईमेट-स्मार्ट तरीके की व्यवस्था में मदद कर रहे हैं, जिससे कार्बन क्रेडिट जनरेट हो सके।
  • एकेई एनर्जी स्ट्रेंथ: यह दुनिया भर में अग्रणी कार्बन क्रेडिट रिप्लेसमेंट और सप्लायर है। उन्होंने इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (एआईओसीएल) के साथ मिलकर सस्तेनेबल एनर्जी सॉल्यूशंस को बढ़ावा देने के लिए साझेदारी की है।
  • बूमित्रा: यह भारत में किसानों के साथ मिलकर काम करता है ताकि वे उन्नत कृषि उपकरण अपना सहायक बना सकें, जिसमें मिट्टी में कार्बन सीक्वेस्टर हो।

ये उद्योग, सस्टेनेबल एग्रीकल्चर को बढ़ावा देने के लिए दिए गए, भारतीय किसानों के लिए कार्बन क्रेडिट लेक की प्रक्रिया को आसान और आकर्षक बना रहे हैं। साथ ही ये जलवायु परिवर्तन को कम करने में भी मदद कर रही हैं।

इनके अलावा, और भी कई उद्यमी और संगठन इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं, जैसे कि:

  • ट्रांस फॉर्म रूरल इंडिया (टीआरआई): साइंटिफिक कैप और एकोर्न (राबोबैंक) के साथ मिलकर, उन्होंने झारखंड में 100, 000 से अधिक किसानों को लाभ वाला एक प्रोजेक्ट लॉन्च किया है।
  • कोर्सिया कार्बन: यह लोग और नागरिकता के लिए कार्बन ऑफसेटिंग सॉल्यूशंस प्रदान करते हैं, और भारत में कार्बन डाइऑक्साइड को कम करने वाले प्रोजेक्ट्स का समर्थन करते हैं।

ध्यान दें कि भारत में कार्बन क्रेडिट मार्केट अभी विकसित हो रहा है, और किसानों को ऐसी कंपनी चुननी चाहिए जो उनकी हिस्सेदारी और लक्ष्य के साथ हिस्सेदारी हो।

कार्बन क्रेडिट का कॉन्सेप्ट कैसे आया?

यह कॉन्सेप्ट क्लाइमेट चार्ट से लेकर सोलर गैस यूजेज को कम करने के लिए आया है, एक मार्केट-बेस्ड एप्रोच के तौर पर।

कार्बन क्रेडिट का कॉन्सेप्ट कब आया?

यह कॉन्सेप्ट 1990 के दशक में आया था और 1997 में क्योटो स्क्रिप्ट में इसे प्रभावी रूप में पेश किया गया था। क्योटो प्रोटोकॉल एक अंतरराष्ट्रीय संधि है जिसमें अंतर्राष्ट्रीय गैस उद्योग को कम करने की योजना बनाई गई थी। कार्बन क्रेडिट्स को एक मैकेनिज्म के रूप में बनाया गया था ताकि देश अपने बजट में कमी के लक्ष्य को प्राप्त कर सके।

कार्बन क्रेडिट का कॉन्सेप्ट क्यों आया?

कार्बन क्रेडिट के विकास के मुख्य कारण ये हैं:

  • आर्थिक प्रोत्साहन: कार्बन क्रेडिट्स से श्यामा और देश को अपने काम करने के लिए एक वित्तीय प्रोत्साहन की सलाह दी जाती है। एक निर्धारित सीमा से नीचे उत्पाद को कम करके, वे कार्बन क्रेडिट कमा सकते हैं, जिसमें व्यापार या उधार लिया जा सकता है। इससे कार्बन में कमी के लिए एक बाजार बनता है, जहां निवेशक अपने प्रयास से लाभ कमा सकते हैं।
  • पोर्टफोलियो: कार्बन क्रेडिट्स से कंपनियों और देशों को अपने उद्यम में कमी के लक्ष्य को पूरा करने में सबसे किफायती तरीके से पोर्टफोलियो मिलता है। वे क्रूज़ तो वर्कफ़्लो को सीधे अपने ऑपरेशन के माध्यम से कम कर सकते हैं या फिर कार्बन क्रेडिट खरीद सकते हैं।
  • वैश्विक सहयोग: कार्बन क्रेडिट्स वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए जलवायु परिवर्तन पर, विकसित देशों को उन्नत देशों में उद्यम में कमी में निवेश करने की अनुमति दी गई है। इस तरह के औद्योगिक उद्यमों को रिलैक्स और कंसीलर को मदद मिलती है, जो कि ग्लोबल इलेक्ट्रानिक में कमी में योगदान देता है।
  • पर्यावरण लाभ: कार्बन क्रेट्स का अंतिम लक्ष्य पर्यावरण को बढ़ावा देना और जलवायु परिवर्तन को कम करना है। कार्बन पर एक कीमत पर प्रतिबंध, यह परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में निवेश के लिए समुद्र तट और देश को बढ़ावा देता है, जिससे सोलर गैसों के उत्पादन में कमी आती है।

    कार्बन क्रेडिट्स की अवधारणा समय के साथ विकसित हुई है, और विश्व स्तर पर विभिन्न कार्बन बाजार स्थापित किए गए हैं। हालाँकि इस प्रणाली की आलोचना और खुलासों का सामना करना पड़ा है, फिर भी यह जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण उपकरण बना है।

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