
मिलिबग का खात्मा
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छोटे, मुलायम शरीर वाले कीड़े जिनको मिट्टी के रवा (rawa) की तरह दिखते हैं, वही मीलीबग (mealybug) कहलाते हैं. ये कई तरह के पेड़ों पर लगते हैं, जिनमें फल, सब्जी, सजावटी पौधे और खेतों की फसलें शामिल हैं. ये सारी दुनिया में पाए जाते हैं, भारत में भी.
भारत में मीलीबग का फैलना किसानों और बागवानों के लिए चिंता का विषय है. ये कीड़े पौधों को बहुत नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे फसल कम हो जाती है और बाजार में नहीं बेची जा सकती.
भारत में मीलीबग फैलने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- नए मीलीबग किस्मों का आना: बीमार पौधों या पौधों के बीजों के आयात से नए मीलीबग भारत में आ सकते हैं.
- बीमार पौधे लगाना: अगर किसान बीमार पौधे लगाते हैं, तो अनजाने में वो अपने खेतों में मीलीबग ले आते हैं.
- बीमार पौधों का आना-जाना: बीमार पौधों को बेचने या खुद इस्तेमाल करने के लिए ले जाने से भी मीलीबग फैल सकते हैं.
- अच्छा वातावरण: मीलीबग गर्म और आद्र जगहों पर पनपते हैं, इसलिए ऐसी जगहों पर इनका ज्यादा फैलने का खतरा रहता है.
कुछ मीलीबग की किस्में जो भारत में आम हैं:
- सोलेनोप्सिस मीलीबग (Phenacoccus solenopsis): ये बहुत ज्यादा फैलने वाली किस्म है जो 2008 से भारत में कपास की फसल को नुकसान पहुंचा रही है.
- गुलाबी हिबिस्कस मीलीबग (Maconellicoccus hirsutus): ये कई तरह के पेड़ों पर पाए जाते हैं, जिनमें हिबिस्कस, अंगूर और खट्टे फल शामिल हैं.
- सिट्रस मीलीबग (Planococcus citri): ये भारत में खट्टे फलों का सबसे बड़ा दुश्मन है.
अगर आपको अपने पौधों में मीलीबग की चिंता है, तो आप उन्हें नियंत्रित करने के लिए ये चीजें कर सकते हैं:
- अपने पौधों को नियमित रूप से मीलीबग के लक्षणों के लिए जांचें. मीलीबग छोटे, सफेद कीड़े होते हैं जो अक्सर पत्तों के नीचे पाए जाते हैं. ये सफेद, रुई जैसा मोम भी बनाते हैं जिसे बीमार पौधों पर देखा जा सकता है.
- अगर आपको मीलीबग मिलते हैं, तो उन्हें अपने हाथों से या शराब में डूबा हुआ रुई का फाहा लेकर हटा दें.
- आप मीलीबग को नियंत्रित करने के लिए नीम का तेल या कीटनाशक साबुन भी इस्तेमाल कर सकते हैं. लेबल पर दिए निर्देशों को ध्यान से पढ़ें.
- अपने पौधों को स्वस्थ और अच्छी तरह से सींचा हुआ रखें. स्वस्थ पौधों पर मीलीबग का हमला कम होता है.
इन तरीकों को अपनाकर, आप भारत में मीलीबग के फैलने को रोकने और अपने पौधों को नुकसान से बचाने में मदद कर सकते हैं.
मीलीबग के नियंत्रण के लिए पंजीकृत कीटनाशक निम्नलिखित हैं:

कपास मे आनेवाले मिलिबग के नियंत्रण हेतु
- FMC Talstar Plus Bifenthrin 8% + Clothianidin 10% SC 1 ml per liter
- Tata Odis, Crystal Record Buprofezin 20 % + Acephate 50 % w/w WP 2.5 gm per liter
- Upl Apache, swal Oxalis Fipronil 15% + Flonicamid 15% WDG 0.8-1.0 gm per liter
- Bayer Movento Energy, Spirotetramat 11.01 % + Imidacloprid 11.01 % w/w SC 1.25 ml per liter
- Dow Transform, Dhanuka D-one Sulfoxaflor 21.8 % w/w SC 0.75 ml per liter

अंगूर मे आनेवाले मिलिबग के नियंत्रण हेतु
- Dhanuka Apple, Biostadt Banzo Buprofezin 25%SC 1.5 to 3 ml per liter
- Indofil Dash, Methomyl 40 % SP 1.5- 2.5 gm per liter
- Bayer Movento Spirotetramat 15.31 % w/w OD 0.7 to 1.5 ml per liter

आम मे आनेवाले मिलिबग के नियंत्रण हेतु
- Tata Rallis Tafgor, Katyayani DEMAT Dimethoate 30 % EC 1 to 2 ml per liter
- UPL Phoskill, Rain Biotech Monorin, Monocrotophos 36 % SL 1.5 to 3 ml per liter

भिंडी मे आनेवाले मिलिबग के नियंत्रण हेतु
- Bayer Movento Energy Spirotetramat 11.01 % + Imidacloprid 11.01 % w/w SC 1 ml per liter

गन्ने मे आनेवाले मिलिबग के नियंत्रण हेतु
- UPL Phoskill, Rain Biotech Monorin Monocrotophos 36 % SL 1.5 to 3 ml per liter
ध्यान दें: बताई गई दवाओं का इस्तेमाल करने से पहले कृषि विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें.