
पावरी मिल्ड्यू का पागल और प्रभावी नियंत्रण कैसे करें?
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कृषि के विशेष लेख में आपका स्वागत है। भारतीय किसानों के लिए बेहतर, असहाय जीवन, यह हमारा नारा है। इसलिए इस लेख की रचना, कृषि की लागत को कम करके देखने की उम्मीद में है। हमारा यह प्रयास पसंद आएगा ऐसी आशा करता है। इस वेबसाइट के अवरोधक में जाकर आप हमारे अन्य ब्लॉग पढ़ सकते हैं!
पफियों पर भूरे रंग की परत बनाने वाले पाउडरी मिल्ड्यू कवक को नहीं पहचानते। सबसे पहले इसकी सफेद शिट दिखाई देती है जो किसी दुसरे में मिल जाती है। इस बिमारी के कारण संयंत्र का बढ़ना कम होता है, पूर्ण और फल कम होता है और अच्छे से पोस्चर भी नहीं होता है। बिमारी आगे बड़े उद्यमों को खत्म कर सकता है। यह रोग पवन से सामान्यीकृत है। ठंडे और नष्ट हुए वृक्षों में यह चट्टानों को मदत करता है। यह किसी एक कवक से होने वाला रोग नहीं है। इसके 80 से अधिक प्रजातीय हैं जो 10,000 से अधिक पौध प्रजातियों में बिमारी फैलती हैं। यह फफूंद दशकों से लाखों वर्षों से प्रभावित कर रहा है, इसलिए हम इसे किसी एक समग्र दवा से नियंत्रित नहीं कर सकते। हम एक साथ सावधानिया रखेंगे।
कई किसान देखभाल में कमियां रखते हुए सिर्फ महंगी दवाओं पर विचार कर रहे हैं। फिर या तो घटती हात से जाती है या तो दवाई पर खर्चा होता है। परिणाम स्वरूप अन्य होने के बजाय नुकसान ही नुकसान होता है।
अंगूर, काली मिर्च, बेंगन, टमाटर, भिन्डी, टरबूज, खरबूज, करेला, तुरई जैसे यह फफूंदी असर करती है। इन उदासियों में पूरा और फल आने तक बेशुमार खर्च होते हैं और अगर भूरी होते हैं तो बहुत नुकसान होता है।
एक से अधिक प्रजातियों के बिज का उपयोग करें। मिट्टी में पुरानी क्षत-विक्षतता नहीं रहती। स्पष्ट सफाई करें। जो भी कम्पोस्ट इस्तेमाल करें, उसमें ट्राईकोडर्मा जरूर मिलाए। बेसल डोस में पोटाश, केल्शियम, बोरेक्स और सिलिकेट शामिल हैं जिनमें प्राथमिक मिलाए गए हैं। अगर वृष्टि सुखी है तो घटा बनाने के लिए पानी की देनदारी करें।
ढांचे के स्वास्थ्य पर निगरानी बनाए रखें। भूरी के धब्बे नजर ही आते हैं, अंपेलोमायसेस क्विस्क्वालिस इस जैविक औषधि का 5 प्रति लीटर के औसत से छिदकाव करें।
अगर फिर भी भूरी के फैलाव में कमी नहीं होगी तो आप दो सक्रिय तत्वों वाले कवकनाशियों का इस्तेमाल करेंगे। इसके लिए आप एग्री की वेबसाइट को सर्च करें इंजिन में पाउडरी मिल्ड्यू कोमोफंगसाइड इन शब्दों के साथ सर्च करेंगे तो आपको उपयुक्त दवा दिखाई देगी। इसमें कस्तोदिया, कल्च, केब्रियोटॉप, इम्पेक्ट एक्ट्रा, शमीर, विश्राम जैसी औषधियों का समावेश है। आम हो चुकी दवाओं का इस्तेमाल ना करें।