
किसानसायन दवाओं के कितने प्रकार हैं?
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वैश्विक मे जीतनी कृषिरसायन औषधि का उपयोग होती है, भारत मे उसका एक भी प्रमाण नहीं होता। ऐसा होते हुए भी भारतीय भविष्यवाणी मे रासायनिक रेसिड्यू की समस्या सबसे अधिक पाई जाती है। यह विपरीत चित्र क्यों दिखाई दे रहा है ?
इसके दो मुख्य कारण है..
1)किसानों को किटनाशकों का ज्ञान ना होना
2) मिलावटी/बनावटी/नकली किट कीटाणुनाशकों का उपयोग करें
इन दोनों में एक ही उपाय है, किसानों को जाग्रत करना। एग्रीकल्चर के माध्यम से हम यही करना चाहते हैं। आज के इस लेख में हम कृषिरासायनिक दवाओं के प्रकार जान लेंगे। इसके तीन मुख्य आधार हैं।
उपयोग पर आधारित प्रकार :
- स्पाइडर-नाशक (एकारिसाइड): मकड़ी और ज्यू जैसे अस्टपेड कीटों मारनेवाले/रोखनेवाले पदार्थ: डीडीटी, डाइकोफोल, फेनपायरेक्समेट
- एंटीफीडेंट्स (एंटी-फीडेंट): रसायन जो किटों को खाने से होते हैं। जैसे: क्लोर्डिमफोर्न, फेंटिन और अजैरेक्टीन (नीम कार्क)
- जीवाणुनाशक (जीवाणुनाशक): रासायनिक जो रासायनिक या मिट्टी में जीवाणु मारने या मारने के लिए उपयोग किए जाते हैं। जैसे: कॉपर हाइड्रॉक्साइड, कासुगामाइसिन, स्ट्रेप्टोमाइसिन, किसी प्रकार का साइक्लिन
- कवकनाशी/फफंदनाशी (कवकनाशी): जिन लोगों का उपयोग कवक या कवक की रोकथाम, उपचार के लिए किया जाता है। जैसे: कार्बेंडाजिम, थियाबेंडाजोल, थायोफेनेट-मिथाइल,
- केमोस्टेरिलेंट (कीमो-बाँझ): रसायन जो किसी कीट को बांज कर देते हैं और इस प्रकार से उसका जन्म होने की आशंका होती है। केमोस्टेरिलेंट अंडे के उत्पादन को ठेस पहुंचाकर कार्य करता है, अंडों की मृत्यु का कारण बनता है जैसे: एज़िरिडाइन, डिफ्लुबेंजुरोन
- शाखनाशी (शाकनाशी): पदार्थ जो दिखने को दिखाते हैं मारने के लिए या उनके विकास या विकास को विकृत करने के लिए उपयोग किए जाते हैं। जैसे: पैराक्वेट, ग्लाइफोसेट, 2,4-डी
- अपराधबोध (कीटनाशक): एक ऐसा अपराध जिसके उपयोग की कीड़ों को मारने के लिए या उनका विकास या विकास को भ्रष्ट करने के लिए किया जाता है। जैसे: मोनोक्रोटोफॉस, कार्बोफुरन, लैम्बडासीहैलोथ्रिन
- जंतु नाशक (नेमाटोसाइड) : वे रसायन जो नेमाटोड को नियंत्रण करने के लिए उपयोग किए जाते हैं। जैसे: एबामेक्टिन, ट्रायज़ोफोस
- पादप अधिक्रमण (पादप वृद्धि नियामक): वे पदार्थ जो अपरिवर्तित रूप में परिवर्तित होते हैं, पुष्पन या सृजन दर को बदलते हैं। जैसे: एनएए, एथेफोन
- कृंतकनाशक/मूषकनाशक (कृंतकनाशक): चहचहाहट और संबंधित पशुओं को मारने के लिए उपयुक्त पदार्थ। जैसे: जीत फासिंग, ब्रोमैडियोलेन
असर के तरीके के आधार पर विज्ञान:
- टंकण संबंधी किटनाशक: टंकण संबंधी रसायनों की टहनी को छूने से ही परिणाम होता है। यह परिणाम के बाहरी सतह पर रहता है और जब कीटक इस सतह को खराब कर देता है तो धारणा बन जाती है। जैसे एंडोसल्फान, मैलाथियान, फेनवेलरेट
- आमाशयिक ( पेट/स्टमक): जो लक्षित किए हुए व्यापक के अंदर कार्य करते हैं। इन सम्मिलन के प्रवेश का मुख्य तरीका अंतर्ग्रहण के माध्यम से है। कुछ पेट के जहर वाले बैक्टीरिया बैसिलस थुरिंगिन का सेवन और जीत फॉस्मेटिक
- प्रणालीगत/दैहिक: प्रणालीगत भ्रष्ट वे कुछ सक्रिय घटक के समान हैं। यह परिसर को लगे हुए, काटने वाले और छेद वाले लोगों को प्रभावित कर सकता है। उदाहरण मोनोक्रोटोफॉस, कार्बोफुरन।
- ट्रांसलैमिनर: ये पदार्थ लिफाफे के अंदर प्रवेश करते हैं और लिफाफे के अंदर जा जाते हैं। यह कुछ पत्ते खानेवाले/चूसनेवाले और मकड़ी के खिलाफ दिखाई दे रहा है। सामान्य तौर पर, इस प्रकार की सामग्री स्पाइडर माइट्स और/या पत्तिसुरंगक (लीफमाइनर्स) के विरुद्ध सक्रिय होती है। एबा-मेक्टिन, पाइरिप्रोक्सीफेन, क्लोरफेनपायर, स्पिनोसैड और एसेफेट शामिल हैं
- फ्युमिगेंट/घूम्रण: फ्यूमिगेंट गैसीय संबद्धता वाले होते हैं जो कृषि क्षेत्रों, मकानों और घरों के घरों, सीलनों और विभिन्न अन्य साइट पर सड़कों को नियंत्रित करते हैं। एल्युमिनियम फॉस्फाइड, मिथाइल ब्रोमाइड्स, एकोपिक्रिन और आयोडोफॉर्म फ्यूमिगेंट्स, डीडीवीपी, लिंडेन, क्लोरपाइरीफोस।
विषाक्तता के आधार परमाणु विज्ञान:
- नितान्त आघात: 1 से 50 मिलीग्राम प्रति किलो का मौखिक डोस 50 प्रतिशत चहुंओर मारता है। इस पर लाल रंग के लोगो का उपयोग होता है। चिह्न के भीतर खोपड़ी का चिह्न होता है और पोइज़न यह शब्द लिखा जाता है
- अति आकर्षण: 51 से 50 मिलीग्राम प्रति किलो का मौखिक डोस 50 प्रतिशत चहक को मार देता है। इस पर पीले रंग के लोगो का उपयोग होता है। चिन्ह के अंदर यह शब्द लिखा जाता है।
- मध्यम संचरण: 50 से 5000 मिलीग्राम प्रति किलो का मौखिक डोस 50 प्रतिशत चहुंओर मारता है। इसपरनीले रंग के लोगो का उपयोग होता है। हस्ताक्षर के अंदर डेंजर यह शब्द लिखा जाता है
- थोड़ा खतरा: 5000 से अधिक मिलीग्राम प्रति किलो का मौखिक डोस 50 प्रतिशत चहक को मारता है। इस पर हरे रंग के लोगो का उपयोग होता है। कोशन यह शब्द लिखा है
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