
छह कमजोर के फंगस को नियंत्रित करने वाला दमदार दवा!
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भारतीय कृषि व्यवसाय से निर्मित मसालों पर कई देशों ने प्रतिबंध लगाने की खबर बार-बार आ रही है। जबकि सच्चाई यह है कि हमारे किसान अन्य देशों के डॉक्टर बहुत ही कम औषधियों का प्रयोग करते हैं। फिर हमारा सब्जेक्ट मे केमिकल के रेसीडेयू क्यों पाया जाता है?
इसका कारण यह है कि हमारे किसान उपयोग में आने वाली दवाओं के प्रति जागरूक नहीं हैं। सरकारी अधिकारी योन की भारती ना होने की बजह से भारत में बिकी जाने वाली दवाएँ अक्सर उत्पाद, निर्माण और नकली होती हैं। लेबल पर लिखे गए टेल्स की दवा में कोई भी शामिल नहीं है और जो भी होता है उसकी अंतिम तिथि का कोई भी सलाहकार नहीं होता है।
ऐसे में किसान जो हट लगे वह ड्रग छिड़कता है। दवा छिड़कने का सही वक्त, औषधीय उपयोग में ना आने से उपजी मे केमिकल रेसिड्यू आता है। किसानों को इस विषय में मनोवैज्ञानिक जानकारी पढ़नी चाहिए, लिखित और अभ्यास का उपयोग करना चाहिए।
आज इस लेख के माध्यम से हम आपको छह पत्तियों के गुणों को नियंत्रित करने वाली औषधि के बारे में बता रहे हैं।
एजोस्ट्रोबिन 11% + टेब्यूकोनाज़ोल 18.3% w/w एस सी ( एज़ोक्सीस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाज़ोल 18.3% w/w SC ) एक डबल खुराक है।
इस फॉर्म्यूले की खासियत यह है कि यह आधुनिक कीबोर्ड असेंबल कॉन्सटनट्रेट है। इसका उपयोग करनेवाले के लिए और अंधेरी के लिए सुरक्षित है। दो दवाएं एक साथ अलग अलग तरीके से काम करती हैं और इसकी प्रतिकृति शक्ति निर्माण में देर हो रही है। दोनों औषधियों की कुल मात्रा 30 प्रतिशत से कम है, इससे राहत मिलती है और प्रोबेबिलिटी बहुत कम है।
अज़ोस्ट्रोबिन एक सिस्टमगत क्रेटीनॉक है जो स्टीन के अंदर समाकर टेररिस्ट को रोकता है और फसल में सुधार भी लाता है। यह सक्रिय तत्व रॉकेट के मैकटोकोंड्रिया में इलेक्ट्रोन के बहाव को रोकता है।
टेब्युकोनाज़ोल एक ग्रेडिएंट की सेल वाल के बनने में गडबडी करता है जिससे ग्रेडिएंट जेनरेट नहीं होता है। यह भी एक सिस्टमगॅट कलाकारीनायक है।
इसका उपयोग उन्नत एम्पलीफायरों के उत्पादन को नियंत्रित करने के लिए किया जा सकता है
- काली मिर्च का डायबैक, फलसदन, पावडर
- धान का सेठ ब्लाइट
- प्याज का परपल (बंगानी) ब्लोच
- गेहू का येलो रस्ट
- टमाटर की अंगमारी
- आलू की अंगमारी








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