
खाद डालकर भी ज़िंक की कमी! फसलों की बढ़ती समस्या और इसका हल!
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दोस्तों, क्या आपने देखा है कि आपकी फसलें पहले जितना अच्छा नहीं बढ़ रही हैं? क्या फूल, फल, अनाज या तेल बिज कम मिल रहे हैं? अगर हाँ, तो हो सकता है आपकी फसलें ज़िंक की कमी (zinc deficiency) से जूझ रही हो। आजकल यह समस्या बढ़ रही है और उर्वरको उपयोग करने पर भी फायदा नहीं मिल पाता. लेकिन चिंता की कोई बात नहीं, हम यहाँ आपको समझाने के लिए हैं कि ये क्यों हो रहा है और आप इसके बारे में क्या कर सकते हैं।
2016 में, विश्व स्तर पर कृषि उद्देश्यों के लिए लगभग 255,000 टन जिंक का उपयोग किया गया था!
ज़िंक क्यों ज़रूरी है Why plants need zinc?

ज़िंक पौधों के लिए एक सुपरहीरो की तरह है। ये उनको मज़बूत बनाने, बीमारियों से लड़ने, और हम जो खाना खाते हैं उसे पैदा करने में मदद करता है। जिंक फसल मे अनेक कार्यों मे उपयोगी है। जिसमे से चुनिंदा कार्य है कुच्छ इस प्रकार के है।
- एंजाइम सक्रियण और जैव रासायनिक प्रतिक्रियाएं (Enzyme activity)
- प्रकाश संश्लेषण और क्लोरोफिल उत्पादन (Photosynthesis & Chlorophyll synthesis)
- प्रोटीन संश्लेषण और वृद्धि नियमन (Protein synthesis and Growth Regulation)
- कार्बोहाइड्रेट चयापचय (Carbohydrate metbolism)
- कोशिका झिल्ली संरचना और अखंडता (Cell membrane integrity)
- पराग उत्पादन और प्रजनन (pollen production and reproduction)
- तनाव सहनशीलता (Stress tolerance)
- रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity)
- बीज विकास और अंकुरण (Seed development and sprouting)
- पौधों के हार्मोन का संश्लेषण (Plant hormone synthesis)
कभी-कभी, चाहे आप ज़िंक खाद का इस्तेमाल कर रहे हो, आपके पौधे इस ज़रूरी पोषक तत्व को प्राप्त नहीं कर सकते हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं:
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ज़्यादा कैल्शियम कार्बोनेट: अगर आपकी मिट्टी में 5% से ज़्यादा कैल्शियम कार्बोनेट है, तो ये ज़िंक को पानी मे घुलने नहीं देता जिससे पौधे इसका इस्तेमाल नहीं कर सकते। एक सरल मिट्टी परीक्षण आपको बता सकता है कि आपकी मिट्टी में कितना कैल्शियम कार्बोनेट है।
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हाई pH लेवल: अगर आपकी मिट्टी ज़्यादा alkaline है (pH 7.5 से ज़्यादा), तो ज़िंक असलीय रूप में बदल सकता है जो पौधे अपटेक नहीं कर सकते हैं।
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रेती मिट्टी: रेती मिट्टी पोषक तत्वों को अच्छी तरह से नहीं पकड़ती है, इसलिए ज़िंक आसानी से बह सकता है। इस स्थिति में, आपको मिट्टी में ज़िंक खाद डालना होगा, पत्तों पर ज़िंक के घोल का छिड़काव करना होगा, और मिट्टी के कंपोष्ट की मात्रा को सुधारना होगा।
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ज़्यादा फॉस्फोरस: अधिक फॉस्फोरस खाद का इस्तेमाल करने से ज़िंक वह जिंक के साथ मिलकर स्थिर हो जाता है। जिससे ये पौधों के लिए उपलब्ध नहीं हो पाता है। ज़िंक और फॉस्फोरस खाद को कभी भी मिक्स ना करें, और ज़रूरत से ज़्यादा फॉस्फोरस (डी ए पी, एस एस पी, फॉस्फेरिक एसिड ) का उपयोग करने से बचें।
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कम ऑर्गेनिक मैटर: ऑर्गेनिक मैटर एक स्लो रिलीज खाद की तरह काम करता है, पोषक तत्वों की एक स्थिर सप्लाय प्रदान करता है, जिसमें ज़िंक भी शामिल है। अपनी मिट्टी में कम से कम 1% ऑर्गेनिक मैटर का लक्ष्य रखें।
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क्रॉप रोटेशन का अभाव : गेहूँ, ज्वार, धान, और मक्का जैसे अनाज को बार-बार उगाने से मिट्टी में ज़िंक की कमी हो सकती है। अगर आप इन फसलों को अक्सर उगा रहे हैं, तो आप ज़िंक खाद डाल सकते हैं या पत्तों पर ज़िंक के 0.5% घोल का छिड़काव कर सकते हैं।
सही ज़िंक खाद चुनना
कई प्रकार के ज़िंक खाद उपलब्ध हैं, हर एक के अपने फायदे हैं:
- ज़िंक सल्फेट: ये दो रूपों में आता है – hepta hydrate (21% ज़िंक) और mono hydrate (33% ज़िंक)। यह सस्ते होते है। सफेद या हल्के हरे क्रिस्टलाइन होते है। इसमे अक्सर नमक की मिलावट हो सकती है
- ज़िंक ऑक्साइड सस्पेंशन: इसमें 39.5% ज़िंक होता है, लेकिन घटिया दर्जे के सस्पेंशन से बचें जो अधिक गाढ़ा होता है। इसमे चुने की मिलावट हो सकती है। जिस मिट्टी का पीएच 7 से कम है उसीमे उपयोगी होगा। ड्रिप से दे।
- ज़िंक ऑक्साइड और एलिमेंटल सल्फर मिक्स्चर: ये एक अच्छा विकल्प है क्योंकि ये मिट्टी के पीएच को सही करने और ज़िंक की उपलब्धता को सुधारने में मदद कर सकता है।
- ज़िंक ई डी टी ए: इसमें 12% ज़िंक होता है और ये पानी में आसानी से घुल जाता है। इसको 500 ग्राम प्रति एकड़ के औसत से मिट्टी मे मिलाए। छिड़काव का कुछ खास फायदा नहीं मिलता है।
खुद बनाए जिंक ईडीटीए का घोल
अपना खुद का ज़िंक खाद बनाने के लिए, 500 ग्राम ज़िंक सल्फेट (hepta या mono hydrate में से कोई भी) और 2 किलो डाय सोडियम ई डी टी ए को 200 लीटर पानी में घोल लें। इस घोल को छान लें और 1 एकड़ ज़मीन पर इस्तेमाल करें।
याद रखें, पत्तों पर 0.5% ज़िंक सल्फेट घोल का छिड़काव करना ज़िंक ई डी टी ए इस्तेमाल करने से ज़्यादा प्रभावशाली है। हालांकि, ज़िंक ई डी टी ए मिट्टी में मिलाने के लिए ज़िंक सल्फेट से बेहतर है।
हमें उम्मीद है कि ये जानकारी आपकी फसलों में ज़िंक की कमी से निपटने में मदद करेगी। इस लेख को यहा तक पढ़ने के लिए हम अन्नदाता के आभारी है। हम भारतीय किसानों को जानकारी देकर, जागृत करते हुए एकजुट करना चाहते है। क्या ऐसे लेख पढ़कर आप हमसे जुड़े रहना चाहते हो? हमारे WhatsApp और YouTube चैनलों से अवश्य जुड़े।
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