Collection: बिज

हमारे पूर्वजों को बीज की समझ निरिक्षण से पता चली. लगभग 10,000 साल पहले उन्होंने पाया कि कुछ बीज अनाज की बेहतर गुणवत्ता और मात्रा पैदा करते हैं. तभी से बीजों का चयन शुरू हुआ. निरिक्षण के माध्यम से ही हमारे पुरखों ने पौधों और जानवरों में नस्लों के संकरण को जाना. हालाँकि, 1856 से 1863 के बीच, ग्रेगर मेडेल ने आनुवंशिकता के नियमों की स्थापना की. इस ज्ञान के माध्यम से कई वैज्ञानिकों ने उच्च उपज देने वाली किस्मों और संकरों का विकास किया. जीन एडिटिंग के आविष्कार के बाद अब आनुवंशिक रूप से संशोधित बीज सोयाबीन, मक्का (खेत और मिठाई), कैनोला, कपास, बैंगन, अल्फाल्फा, चुकंदर, समर स्क्वैश, पपीता, सेब और आलू के लिए उपलब्ध हैं. भारत में इनका उपयोग नही हो रहा है. देर-सवेर, राजनीतिक रूप से मजबूत, समझदार और साहसी सरकार भारत में भी GMO बीजों की अनुमति देगी!

एमेजन पर ढेर सारे बिज उपलब्ध है. इनके साथ पक्की रसीद आती है. बिचोलिया का हिस्सा घटने से बिज कम दाम में उपलब्ध हो जाते है. 

बिज