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सभी बीजों के लिए ट्रिपल पावर टिका!

सभी बीजों के लिए ट्रिपल पावर टिका!

अगर बुआई के पहले ही प्रभावशाली दवासे बिजशोधन किया गया तो

  • अधिक से अधिक बिज अंकुरित होते है
  • पौधे तेजी से बढ़ते है
  • उपज में फायदा होता है

सोयबीन, मूंगफल्ली, मक्का, चना, गेहू, धान, सरसों, मटार, मसूर, गन्ना, कपास, टमाटर, भिन्डी, धनिया, आलू, लहसुन  इन सारी फसलों में अच्छे बिज शोधन का बहोत महत्व है. बीते कुच्छ दशकों में किसानों ने ....

कार्बेंडाझिम, मेटालेक्सिल, मेफेनोक्झाम, केप्टन, थायाबेडाझोल, थायरम, कर्बोक्झिन जैसे दवाओं का इस्तेमाल बिजशोधन के लिए किया है. 

इन दवाओं का बार बार इस्तेमाल होने से उनका अपेक्षाकृत परिणाम नही मिलता. बीते दशक में संशोधन करके कम्पनियों ने बिजशोधन के नये फोर्म्युले विकसित किए है. उनकी बनावट खास होती है। इसमे....

  • एक या अधिक फफूंदीनाशक
  • एक या अधिक किटनाशक 
  • सक्रिय तत्वों को बीजों पर फैलाने वाला स्प्रेडर 
  • सक्रिय तत्वों को बीजों पर चिपकाने वाला स्टिकर
  • एक समान फैलाव हुआ है, यह दिखाने वाला कलर 
  • ईन सभी तत्वों का एकजीव घोल बनाने वाला घोलक... होते है 

जब भी आप बीज प्रकिया की दवा चुनते हो तब क्या उसमे यह सारे घटक है? इस बात का पता अवश्य करे।

रिसेट एग्री आपको नये फोर्म्युले के बारे में बताना चाहता है . इस फोर्म्युलो में अझोक्सीस्ट्रोबिन, थायोफेनेट मिथिल, थायमथोक्झाम  इन तिन सक्रिय तत्वों का समावेश किया गया है.

  • अझोक्सीस्ट्रोबिन  - यह एक सिस्टीमिक (प्रणालीगत) और प्रभावशाली फफूंदी नाशक है, एमीस्टार नामसे यह उत्पादन इस्तेमाल किया जाता है
  • थायोफेनेट मिथिल - यह भी एक जानामाना प्रणालीगत फफूंदीनाशक है जिसे रोको के नाम से इसेमल किया जाता है.
  • थायमथोक्झाम - यहभी एक प्रणालीगत सक्रिय तत्व है. यह किटनाशक है जिसे हमने एकटारा के नाम से इस्तेमाल किया है.

दो फफूंदीनाशक और एक किटनाशक से बना यह फोर्म्युला मार्किट में युपिएल का इलेक्ट्रोन और शोल का केस्केड नाम से उपलब्ध हुआ है. 

बीजों के आकर अनुसार बिज शोधन के लिए इसके डोस कुछ इस प्रकार के है

  • गेहू के बीजों समान फसलों में १ मिली प्रति १ किलो बिज
  • सोयबीन समान फसलों में १० मिली प्रति किलो बिज
  • आलू और गन्ने जैसी फसलों में प्रति एकड़ के लिए ४०० मिली 

सोयबीन, मक्का, मूंगफल्ली, चना, गेहू, धान, सरसों, मटार, मसूर, गन्ना, कपास, टमाटर, भिन्डी, धनिया, आलू, लहसुन जैसे बीजों पर इसके अच्छे परिणाम देखे गए  है. 

इन फसलों के पौधों में शुरुआत में आनेवाले जडगलन, पौधों की अंगमारी से बचाव होता है. साथ में तना मक्खी, दीमक, सफेद लट इन कीटो से पौधों की रक्षा होती है. 

बिज शोधन करते समय किसान भाइयों को कुछ बातों का ध्यान रखना है.....

जरूरी नहीं के प्राप्त बीजों मे सभी अंकुरित हो। जिन मे फफूंद, बेक्टरिया या किट लगी है उन बीजों को निकाल देना ही बेहतर है. अधिकतर बीज पानिमे भिगोए जाते है. इसमे से तैरने वाले बीज निकाल दे. कुछ किसान इस पानी मे नमक मिलाते है. नमक मिलाने से पानी की घनता बढ़ती है, कुछ और हलके बीज तैरने लगते है. इनको भी बाहर निकाल दे. अब बीजों को अच्छे से धोए ताकि नमक निकल जाए. कुछ बीज जिनके छिलके मोटे और कठोर होते है, उनको रात भर या दो दिनों तक भिगोए. 

कई किसान बीजों को भिगोते हुए ही इनमे बीज प्रकिया के रसायन मिलाते है. लेकिन यह सही नहीं होता.  

भीगे हुए बीजों को पानी से निकाल कर थोडा सुखाए. यह सही वक्त है जब बिजशोधन प्रकिया कीयी जानी चाहिए. बिजशोधन हल्के हातोंसे करे. दवा का कलर सभी बीजोंपर एक समान लगे उस हिसाब से दवा मिलाए.

जिन बीजों की उपरी परत हल्की होती है (सोयबीन, मूंगफली) उनको भिगोए नही. खराब बीजो को चुनके अलग करे और इनपर हलके हाथों से  बिजशोधन करे.

किसान भाइयों युपिएल का इलेक्ट्रोन फोर्म्युला एकदम नया है. इसमें एक साथ तिन सक्रिय तत्व है. तीनों प्रणालीगत होने से जड़ो, तनो और पत्तियों में फैलते है. बिज और मिटटी जनित फफूंदीयों से पौध को बचाते है. भूमि जनित किट और चुसक किटो से पौधे को बचाते है. इससे पौध को मिटटी में जमने के लिए अच्छा वक्त और वातावरण मिलता है. 

अगर आप किसी कारणवश बिज प्रकिया नही कर पाए तो प्रति एकड़ ४०० मिली दवा २०० -५०० लिटर पानी में मिलाकर ड्रेंचींग भी कर सकते है.

दवा खरीद ते समय पक्की रसीद ले. इस्तेमाल से पहले साथ मिले पर्ची को ध्यानपूर्वक पढ़े. इस्तेमाल करते समय थोड़ी दवा ओरिजनल पेकिंग में बचाके रखे. दवा का असर ना मिलने पर इसके नकली होने की शिकायत दर्ज करे.    

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दवा के ऑनलाइन खरीद पर छुट के आलावा आपको कॅश बैक, छोटी मासिक किश्तो में भुगतान, उत्पादन प्राप्त होने पर भुगतान, बैंक ऑफर,  पार्टनर ऑफर, फ्री होम डिलीवरी, जैसी सुविधाए प्राप्त होगी. पक्की रसीद मिलेगी.  

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