
अंजीर की खेती: अलौदीन के जिन से भी उत्तम मुनाफा
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कहावत है कि जिसे ढूंढा गली गली, वो घर के पिछवाड़े मिली! अनेक किसान अपनी इनकम बढ़ाने के रास्ते ढूंढते है। कोनसी नई फसल मिलेगी जो लॉटरी जैसा मुनाफा देगी? खोज जारी रहती है। कितने सारे किसान नए नए फसलों पर दाव लगाते है। कभी कभार मुनाफा होता है लेकिन अधिकतर जुआ ही निकलता है। आज हम अंजीर फार्मिंग का अभ्यास करते हुए, वह फॉर्म्युला खोजेंगे जो अलौदीन के जिन से भी बेहतर फायदा देगा। हमने देखा है कि किसानों ने अंजीर की खेती करते हुए मुनाफा बनाने के शानदार तरीके खोजे है। इसमें आप कम से कम लागत में काम शुरू कर सकते हैं और चाहे जितनी प्रगति कर सकते हैं। अंजीर अरब देशों से आया, मिठास से भरा, लोकप्रिय फल है जिसे इसे बंजर धरती पर भी उगाया जा सकता है! या ये कहें कि अंजीर को गलती से भी अच्छी मिट्टी वाली जमीन पर न लगाएं।इस फसल के लिए अच्छे सिंचाई प्रबंधन की जरूरत होती है, पानी अन्य फसलों के मुकाबले थोड़ा कम ही लगता है जो हर किसान मेनेज कर सकता है।
प्रमुख प्रजातियाँ
पुरंदर पुणे, ब्राउन तुर्की, ब्लैक मिशन और कोनाड्रिया यह अंजीर की कुछ नामचीन प्रजातियाँ हैं। लागत कम रखने हेतु जून-जुलाई में अच्छे मातृवृक्ष की टहनियों से पौधे बनाए जा सकते है। आम किसान भी खुद के लिए नर्सरी बना सकते है। 5-6 माह के तंदुरुस्थ पौधों को ऑर्गेनिक मेन्युअर, पत्तियों के साथ गड्ढे में लगाने पर पहले वर्ष से ही उपज शुरू हो जाती है। हर साल कुछ बढ़ते हुए पांच वर्ष में औसत वार्षिक उपज तक पहुंचा जा सकता है, जो १२ में. टन प्रति एकड़ है।
पौधों की संख्या
पौधों की संख्या मिट्टी की गुणवत्ता और किसान के अनुभव के आधार अनुसार तय करे। अगर मिट्टी कम उपजावू है और किसान को पूर्वानुभाव नहीं है तो पौधों मे 20 फिट का अंतर रखे। आगर मिट्टी उपजावू है तो इस अंतर को घटा कर 14 फिट करे। अगर मिट्टी उपजावू है और किसान को अनुभव है तो वह एक एकड़ मे दो पौधों मे 3 फिट का अंतर रखते हुए दो लाइनों मे 6 फिट का अंतर रखते हुए पौधों संख्या 2100-2200 तक बढाते हुए सघन बागवानी कर सकते है। सही वक्त पर और उचित तरीकेसे फ्रूनिंग जरूरी रहता है।
कीट-व्याधियों से बचाव
अन्य फलसों के मुकाबले अंजीर पर किट रोगों का कम प्रभाव पड़ता है। पौधों के जड़ों मे निमेटोड ना हो इसलिए गेंदे के पौधे लगाने से जड़ों की सेहत बनी रहती है। फफूंद जनित तांबेरा के नियंत्रण के लिए सोडियम पर कबरोनेट, लौंग तेल के छिड़काव से फफूंद नियंत्रित होती है। गर्मी बढ़ने पर लाल मकड़ी का प्रकोप बढ़ सकता है। यह प्रकोप खेत के एक छोर से शुरू होता है और हवा से फैलता है। इसके नियंत्रण हेतु गरमी के मौसम मे सादे पानी का छिड़काव करने से मकड़ी पनप नहीं सकती।
पंछियों से फलों को बचाने के लिए चमकीली पताका लगाए या फिश नेट से कव्हर करे। फल मक्खीके प्रकोप चे फलों को बचाने हेतु मक्षिकारी का फेरोमोन ट्रैप का उपयोग करे। 4 से 5 ट्रैप प्रति एकड़ लगाए और इनका निरीक्षण करे। अगर मक्खी फस रही है तो ट्रैप की संख्या बढ़ाए।
फ्रेश अंजीर की मार्केटिंग
शहरी आबादी पास होने पर, सुपर शॉप, शॉपिंग मॉल, फलों की दुकानों के माध्यम से रिटेलिंग कर सकते है। इसके लिए फलों का सॉर्टिंग करते हुए पके हुए और फुले हुए फल निकाल दे और पारदर्शी पोली पेकिंग मे 6, मध्यम आकार के 40 से 50 ग्राम के फल भरे। इसमे अंजीर की पत्ती बिछाने से फल अधिक वक्त तक ताजे रहते है। फल दोपहर मे तोड़कर, शाम तक सॉर्टिंग और पैकिंग करके रवाना करते पर दूसरे दिन और तीसरे दिन तक बेच जा सकते है। इसका प्रति किलो विक्री मूल्य 200 रुपये तक होता जिसमे खर्चे निकाल कर 50 से 60 रु प्रति किलो शुद्ध मुनाफा हो सकता है। अगर एक एकड़ से प्रति दिन 40 से 50 किलो फल भेजे गए तो शुद्ध मुनाफा 2500 रु प्रति एकड़ होगा। यह सिलसिला 3 से 4 महीने चलने पर एक वर्ष मे प्रति एकड़ 3 लाख का शुद्ध मुनाफा होता है।
मार्केटिंग के लिए, आप छह आकर्षण तकनीकों का उपयोग करके खुदरा दुकानों को लुभा सकते हैं:
- उन्हें शुरुआती फसल या सबसे रसीले फल विशेष रूप से पेश करें। यदि आपके पास अनोखी किस्में हैं जो उन्हें कहीं और नहीं मिल सकती हैं तो आपको अधिक लाभ होगा।
- अपनी उमदा फसल व्यवस्थापन, पुरस्कारों या सकारात्मक मीडिया उल्लेखों को साझा करके अपनी विशेषज्ञता का प्रदर्शन करें। उन्हें बताएं कि आप गुणवत्ता और निरंतर सप्लाय की परवाह करते हैं।
- कैसे आपके अंजीर उनके स्टॉल की अपील और बिक्री को बढ़ा सकते हैं, इसे हाइलाइट करें। नियमित फलों की तुलना में उनके रंग, स्वाद और मार्जिन का प्रदर्शन करें।
- बाजार में मुफ्त नमूने चखाने की पेशकश करें, जिससे ग्राहक पहली बार ताजा स्वाद का अनुभव कर सकें। संतुष्ट ग्राहकों के मुंह का स्वाद आपका सबसे अच्छा प्रलोभन हो सकता है।
- उनकी जरूरतों को समझकर और लचीले विकल्प देकर तालमेल बनाएं। क्या आप नियमित रूप से वितरण कर सकते हैं? तेज टर्नअराउंड के लिए कम मात्रा की पेशकश करें? विशिष्ट ग्राहक प्राथमिकताओं को पूरा करें?
- फलों के साथ जैम, जेली, बर्फी जैसे व्यंजन भी पेश करे.
याद रखें, ईमानदारी और जुनून प्रमुख तत्व हैं। अपने अंजीर की गुणवत्ता का प्रदर्शन करके, विश्वास पैदा करके और पारस्परिक रूप से लाभप्रद सौदे पेश करके, आप फल स्टॉल मालिकों को अपने साहसिक कार्य में वफादार साझेदार बनने के लिए मना सकते हैं!
सुखे अंजीर की प्रक्रिया
सुके मेवे के लिए इस्तेमाल होने वाले अंजीर की वरायटी अलग होती है। इसे डंठल और छेद को काटने के बाद सूरज की तपती धूप में सुखाया जाता है। सूखे अंजीरों को धोकर फिर से ओवन में सुखाया जाता है। धागे में पिरोकर अच्छे से पैक किया जाता है। अब यह मार्केट में बेचे जा सकते हैं। इसकी शेल्फ लाइफ 6 से 7 माह होती है। एक एकड मे 12 मे. टन फ्रेश फलो के उत्पादन से 4.2 मे. टन सुखे अंजीर तैयार होते है. जिसका मूल्य गुणवत्ता नुसार 12 लाख से 42 लाख के बीच मे आएगा। लागत निकाल देने पर 4 से 14 लाख का शुद्ध मुनाफा हो सकता है।
कुछ किसान फ्रेश अंजीर के चिप्स बनाकर इन्हें सुखाते हैं। सूखे चिप्स को पीसकर पावडर भी बनाई जाती है। इनकी शेल्फ लाइफ दो वर्ष होती है और मिठाई और आइसक्रीम उद्योग में इसकी बड़ी मांग है। इसमे होने वाल मुनाफा सूखे अंजीर के बराबरी से आका जा सकता है।
नुकसान से मूनफे की और!
इस सारे प्रक्रिया के दौरान कुछ फल थोड़े अधिक पक जाते हैं. इनकी मार्केट व्हेल्यु झीरो हो जात हिया. इन्हें जाम-जेली बनाने के लिए उपयोग में लाया जाता है। इसके लिए इन्हें बुलबुले पानी में धोकर, पीसकर प्यूरी बनाते हैं। इसमें जेलिंग एजेंट मिलाकर अच्छे से पकाया जाता है। कांच के जार में भरकर लेबल लगाया तो पांच से छः फ्लेवर में बनने वाले जाम-जेली को सुपर मार्केट में बढ़िया दाम मिलता है। इसका शेल्फ लाइफ दो वर्ष तक हो सकता है। एक किलो ताजे फलो से 800 ग्राम तक जाम बनया जा सकता है जिसक मूल्य 800 रुपये हो सकता है। खर्चा निकालते हुए प्रति किलो 150 से 200 रु के औसत से शुद्ध मुनाफा होगा। अगर एक एकड़ से 12 मे टन ताजे फलों का हिसाब लगाए तो शुद्ध मुनाफा 18 से 20 लाख तक पहुच सकता है।
मौका है, चौका लगाए !
आज अनेक किसान अंजीर फार्मिंग करते हुए प्रति एकड़ 8 से 12 लाख का कारोबार करते हुए अच्छा मुनाफा कमाते हैं। पश्चिम महाराष्ट्र, गुजरात का जूनागढ़ परिसर, उत्तर प्रदेश में लखनऊ, कर्नाटक में मैसूर और तमिलनाडु में कोयंबटूर, इन इलाकों के कुछ किसानों ने मिलकर उद्यम लगाए हैं। कुछ किसान अन्य किसानों से अंजीर खरीदकर, व्यक्तिगत उद्यम के माध्यम से प्रक्रिया करते हैं।
उपरोक्त आकडे पढ़कर हो सकता है के आप अजिर की खेती करने का मन बना ले। लेकिन यह समझना होगा के आपको बेचने की कला अवगत होना जरूरी है। जरूरी यह नहीं के आप अंजीर की खेती और उद्यम करे। अगर आप बेचने की क्षमता विकसित करने पर जोर देगे तो आपके क्षेत्र मे आम सी लगने वाली उपज से अंजीर जैसा मुनाफा कमा सकते है।
गुणवत्ता पूर्ण फसल प्रजातियों का चयन, उमदा और वैज्ञानिक रखरखाव, स्वाद और शुद्धता के प्रति प्रतिबद्धता के साथ-साथ विश्वसनीय ब्रांडिंग और आर्थिक निपुणता के बिना कोई फसल और उद्यम लाभदायक नहीं हो सकता।
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